वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार डा. जगदीश चंद्रकेश की कल रात उनके घर के अध्ययन कक्ष में हत्या कर दी गई. उनका आवास दिल्ली के लारेंस रोड पर स्थित है. एचटी ग्रुप की मैग्जीन कादंबिनी में करीब 25-26 वर्ष तक काम करने के बाद छह वर्ष पहले रिटायर हुए डा. चंद्रकेश की हत्या किस इरादे से की गई, यह पता नहीं चल पाया है. वे अपने मकान के उपर बने अध्ययन कक्ष में सोए हुए थे. हत्यारों ने अध्ययन कक्ष में घुसकर उनकी जान ले ली. वे इन दिनों एक किताब लिखने में लगे हुए थे. कुछ महीनों पहले ही उनकी तीन-चार किताबें मार्केट में आईं.
आगरा के रहने वाले डा. जगदीश चंद्रकेश पुरातत्व व संस्कृति के विशेषज्ञ माने जाते थे. इन विषयों पर उन्होंने काफी कुछ काम किया है. डा. चंद्रकेश की उम्र करीब 67 वर्ष रही होगी. आज सुबह परिजन जब स्टडी रुम गए तो उनकी लाश खून से लथपथ मिली. डा. चंद्रकेश दिल्ली प्रेस में भी काम कर चुके हैं. बताया जाता है कि उनके घर में पहले भी एक बार चोरी हो चुकी है. उनके शव के अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही है. डा. चंद्रकेश की हत्या की खबर जिसे भी मिल रही है, वह हतप्रभ हो जा रहा है. सभी का यह कहना है कि राजधानी दिल्ली जैसी जगह पर किसी पत्रकार-साहित्यकार की इस तरह हत्या हो जा रही है, यह बेहद शर्मनाक है. यह सब तब हो रहा है जब कामनवेल्थ गेम्स बहुत नजदीक हैं और पुलिस के लोग चप्पे चप्पे पर सुरक्षा का दावा कर रहे हैं.
Comments on “घर में घुसकर डा. जगदीश चंद्रकेश को मार डाला”
यह बेहद दुखद है। घटना के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए।
सर,
लोग पत्र्कारो को मार ही सकते है क्योकि उंके पास और कोइ चारा ही नही है
जोकि एक निन्दनिय घतना है ऐसे लोगो को फासी की सजा मिलनी चाहीऐ
आपका शुभचिंतक
लिलम थापा
यह खबर पढ़ कर मैं सन्न रह गया हूं। डॉक्टर चंद्रिकेश जैसे शरीफ और यारों के यार पत्रकार को कोई पागल ही मार सकता है। इसकी गहरी जांच होनी चाहिए। बहुत गमगीन हूं मैं। मेरे पहले कहानी संग्रह ‘लोग हाशिए पर’ की चर्चा गोष्ठी दिल्ली में डॉक्टर चंद्रिकेश ने ही आयोजित की थी – संभवतः सन् 1980 में। उन्हें मेरा आखिरी सलाम।
rajdhani mai agar esa ho raha hai to badi dukhad baat hai siner journalist ko istrah se mar dena police ki sabse badi kamjori hai
dr.chanderes ji ko istrah se marne wale ko kadi kadi se saja milni chaiye iswer unki atma ko shanti pradan kare
man peeda se bhar gayaa hai. mere prati unke man mey sneh tha. main unke ghar bhi ja chuka hoo. kitabghar mey bhi unse bhet ho chkee thee. ve achchhe lekhak aur behatar manhushya bhi they. mujhe achchhe se yaad hai, varsho pahale jab mai unse mila thaa. tab ve apnee billi kee tabeeyat ko le kar pareshaan the. itane pareshan ki hamlog mazaa le rahe the. aaj main sochataa hoo, unke man me kitanee karunaa thee.
इस घटना से पत्रकारिता लांछित व लजित हुई है । इसकी पूरी जांच निर्धारित समय सीमा के भीतर हो । ऐसा तो नहीं कि सच / खरी खरी लिखने के बदले राजनीित में प्रविष्ट अपराधी तत्वों ने विदवान डौ.चंद्रिकेश की हत्या की हो । ऐसी घटनाएं प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता को धराशायी करने का षडयंत्र है ।