बहाली के बदले जागरण ने 5 लाख रुपये दिए : किसी अख़बार और पत्रकार के बीच इस देश में सबसे लम्बा चला मुकदमा आखिरकार पत्रकार ने जीत लिया. तबादले और बर्खास्तगी हुए. सब-जज से लेकर हाई कोर्ट तक आधा दर्जन मुकदमे चले. चंडीगढ़ की लेबर कोर्ट में 15 साल तक यह विवाद चला. आखिरकार अखबार ने हार मान ली. उसे पत्रकार को बहाली के बदले मोटी रकम देनी पड़ी. विवाद दैनिक जागरण और जगमोहन फुटेला के बीच था. फुटेला जागरण, नोएडा की शुरुआत से ही संपादक कमलेश्वर की टीम में और सन ९० से चंडीगढ़ ब्यूरो चीफ थे. राजीव गांधी के अंतिम संस्कार की कवरेज के लिए उन्हें खासतौर पर दिल्ली बुलाया गया. उनकी उस स्टोरी को उस दिन के हिंदी अखबारों में सबसे बेहतर मानते हुए उन्हें बीच में राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख भी बनाया गया था.
बाद में निजी कारणों से वे वापिस चंडीगढ़ चले गए थे. राम मंदिर की कवरेज को लेकर बने दबाव के कारण कमलेश्वर ने इस्तीफ़ा दे दिया था. मालिकों में तू तू मैं मैं हो गयी थी. फुटेला के मुताबिक़ उन्हें दिल्ली बुला कर नौकरी के बदले तब तक एमडी और मैनेजिंग एडिटर रहे सुनील गुप्ता के खिलाफ कुछ दस्तावेजों पर साइन करने को कहा गया. उनने नहीं किये तो उन्हें चंडीगढ़ से नोएडा ट्रान्सफर कर दिया गया. फुटेला ने इस तबादले को ये कह कर कोर्ट में चैलेन्ज किया कि बछावत की दी परिभाषा के मुताबिक़ विशेष संवाददाता या ब्यूरो चीफ वो होता है जो राज्य के विधायी कार्यकलापों को कवर करता है सो उसका तबादला राजधानी से किसी तहसील पर नहीं हो सकता.
जागरण प्रबंधन ने फुटेला को ब्यूरो चीफ मानने से ही इनकार कर दिया. उसे लगा कि वो बछावत की दी परिभाषा का तोड़ नहीं ढूंढ पाएगी तो उसने फुटेला को मुम्बई ट्रान्सफर कर दिया. फुटेला ने कहा कि वहां ब्यूरो नहीं है, न सर्कुलेशन के आधार पर जागरण का कोई रिपोर्टर सरकारी मान्यता का हकदार और न राज्य के विधानमंडल में प्रवेश का हकदार है. फिर भी वे जाने को तैयार हैं पर, जागरण से सामान समेत जाने का किराया नहीं मिला. इस कारण वे गए नहीं. उधर, जब तक अदालत ने फुटेला को ब्यूरो चीफ घोषित किया, जागरण ने एक जांच के आधार पर उन्हें बर्खास्त कर दिया. इस बीच अख़बार में कोई दर्जन भर विज्ञापनों के ज़रिये फुटेला पर जांच में शामिल न होने के आरोप अलग से लगे.
जागरण की जांच अदालत की कसौटी पर खरी न उतर सकी. मैनेजमेंट के लोग अदालत से मिले आखिरी मौके तक जब सबूत पेश नहीं कर सके तो अदालत ने उनकी एविडेंस ‘बाय आर्डर’ बंद कर दी. मैनेजमेंट के लोग हाई कोर्ट चले गए. वहां कोई तेरह साल लग गए. हाईकोर्ट ने छ: महीने में मामला निबटाने का निर्देश दिया. जांच पहले ही अवैध करार की जा चुकी थी. शुरू से मुकदमे लड़ते लड़ाते आ रहे नरेन्द्र मोहन जी भी स्वर्ग सिधार चुके थे. जागरण ने हथियार डाल दिए. फुटेला को बहाली की एवज में पांच लाख रुपये की रकम पेशकश की गयी. इस पर फुटेला मान गए. 5 जून को जागरण ने पांच लाख रुपये का ड्राफ्ट दे भी दिया.
फुटेला ने ‘भड़ास4मीडिया’ से कहा,”जहां रफ कागज़ पे ज़रा सी स्याही गिर जाने पे ही कलम- मजदूर को सुबह से दफ्तर न आने का फरमान सुना दिया जाता हो, ऐसे निजाम को ऐसे संघर्ष से कुछ सबक ज़रूर मिलेगा. मेहनतकशों की हालत कुछ बेहतर ज़रूर होगी. भगवान् आदरणीय नरेन्द्र मोहन जी की आत्मा को शान्ति प्रदान करे.”
ramesh singh
June 7, 2010 at 10:50 am
C…o…n…g…r…a…t…u…l…a…t…i…o…n…s………. JAI HO
ravishankar vedoriya 9685229651
June 7, 2010 at 12:13 pm
badai ho futela ji koi bhi jurm bardas karna jurm ko badava dena hai apne bhi isko nahi saha apki jeet to usi din ho gayi thi badai ho apko
keshav
June 7, 2010 at 12:15 pm
aise kasai aur kroor sansthan se itne lambe sanhgarsh ke liye badhai. dikkat keval meadia gharano ke anty- journlistic attitude ki nahin hai, unse jyada ghatiya political parties hain kyonki ye log chor-chor mousere bhai hain. in be-imanon ka koi iman nahin hai. narendr mohan pahle bjp se mp bane aur mahendra mohan sp se. baad mein jab jagran ne dono se khabar ke liye pakage mnaga tab lalji tandon aur mohan singh bilbilane lage. ye dal meadia gharanon se kabhi nahin poochte ki tum wage-board, labour laws kyno nahin lagoo karte. futela ji ke dhairya, sahas ko badhai. kesav, new delhi
Haresh Kumar
June 7, 2010 at 1:18 pm
अगर आप सच्चाई के रास्ते पर हैं तो जीत आपकी तय है भले ही समय ज्यादा लग जाता है , कुध लोग परिस्थितिवश हार मान लेते हैं और नियति का मान कर चुप हो जाते हैं। परंतु जो संघर्ष करते हैं उन्हें सफलता जरुर मिलती है।
sagarbandhu
June 7, 2010 at 1:57 pm
….phuyela jee badhai ho. aap me adamya sahas hai. aap ne lamba sangharsh karke ladai jiti hai. aap ka sangharsh patrakaro ke liye prernadayak aur akhabar ke maliko ke liye sabak hai.
punit bhargava
June 7, 2010 at 3:11 pm
congrats, you have set the standard. Revolution will start from here.
sharad
June 7, 2010 at 3:24 pm
हिम्मते मरदा…मददे खुदा…..सच की लड़ाई…संघर्ष की मिसाल…अनुकरणीय
sharad
June 7, 2010 at 3:27 pm
हिम्मते मरदा…मददे खुदा…हक की लड़ाई…संघर्ष की मिसाल…अनुकरणीय
Puneet Nigam
June 7, 2010 at 3:47 pm
बधाई हो फुटेला जी ,
आपने एक नई मिसाल कायम की है।
और उम्मीद है कि नं01 अखबार इससे सीख लेगा।
वैसे दाद देनी पडेगी आपकी हिम्मत की
वरना यहां तो छोटे मोटे अखबार व चैनल भी पैसे मांगने पर आंखे दिखाते हैं और आपने तो शेर के मुंह से निवाला छीना है।
यशवंत भाई,
इस तरह के बहादुरी भरे कारनामे करने वाले भाई लोगों को कुछ सम्मान वगैरा देने का कार्यक्रम बनाया जाये
आप पहल करो तो फाइनेन्सर भी मिल जायेगा ।
Dr Matsyendra Prabhakar
June 7, 2010 at 4:16 pm
Congratulations Futela jee, your courage and patience is proud of MEDIAKERs.
manu
June 7, 2010 at 6:21 pm
ise thare se ladai ladne ki himmat kuch or kalam-majduro me ho jaye to media ki taswir badal sakti hai.all the best
Rishi Naagar
June 7, 2010 at 6:37 pm
Raavan mara gya! Badi per neki ki jeet hui! Jhooth haar gya, sachai jeet gayee!
Badhai ho Jagmohan ji! Shame shame, Jagran walo!
dileepkumarsinha
June 7, 2010 at 7:34 pm
Jagmohan Futela ji ko badhai
sanjayawasthi
June 8, 2010 at 7:01 am
congratulations futela sir, This victory will pave the path for others who are facing exploitation.
SatyaMeva Jayate
rajoo tiwari
June 8, 2010 at 8:58 am
Maa chu… gayi Jagran waalon ki. Badhai ho Futelaji.
brajkiduniya
June 8, 2010 at 9:14 am
यह तो वही बात हुई कि चींटी ने हाथी को हरा दिया.आपका जुझारूपन हम सभी पत्रकारों के लिए अनुकरणीय है.
keshav
June 8, 2010 at 9:46 am
aise ladai ke liye ek kosh banaya jana chahiye. mere ek parichit jo amar ujala mein lad rahe hain, bheekh mnagne ki halat mein pahnuch gaye hain. keshav, n delhi
mahaveer negi
June 8, 2010 at 12:11 pm
badai ho futela ji ………….. Apki yah jeet nikat bhavishya me patrkaron ke lie ek uddhran hogi……………. ek baar fir badai ………
somveer sharma bhiwani Haryana
June 8, 2010 at 1:11 pm
wah janab man gaye
preetam singh
June 8, 2010 at 3:32 pm
देश का सबसे बड़ा शोषक अखबार है जागरण,कुछ साल पहले मेरठ के सम्मानित पत्रकार ओमकार चौधरी जी के साथ तत्कालीन सांसद अमरपाल ने मारपीट की थी तो धीरेंद्र मोहन ने ओमकार जी का साथ न देकर अमरपाल का साथ दिया था क्योंकि अमरपाल का भाई कानपुर में तब नरेंद्र मोहन का फैमिली डाक्टर था।
rahul gaziyabadi
June 8, 2010 at 6:53 pm
futela ji namshkaar, aapne jo kiya nishchit hi baki sathiyon ke liye ek sabak hai ki jab no.1 akhbaar main pattrkaar ko hak lene ke liye 15 saal ka waqt lag gaya to baki jagah haal kya hoga? baharhaal aap ki jeet ke liye badhaai.
satya prakash "AZAD"
June 9, 2010 at 6:08 am
और पत्रकार साथियों को शायद इससे अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए हिम्मत मिलेगी.
vkpandit
July 25, 2010 at 1:07 pm
Jalandhar press club kay sanchalak paterkaroo ki bhalai ki bajay parivaar ki bhallai ki aur jiada diyaan day rahay hai. kissi paterkaar per musibat aay too sahayata ki bajaiy bicholiay jiyada sakriay hoo jattay hai. Kher kush logo koo sham bitaanay ka ek accha sathan mil gya hai bhai……….