दूसरा पत्र : यशवंत जी, मैंने दिनांक 31-10-2009 को ‘भड़ास4मीडिया’ को ‘सच बताओ पायलजी’ नामक एक लेख भेजा था. इसमें मैंने चंडीगढ़ जागरण से पायलजी को निकाले जाने की वजह बताई थी. पायलजी ने चंडीगढ़ जागरण से निकाले जाने की जो वजह गिनाईं थीं उनमें से एक भी सही नहीं थीं. मेरे हिसाब से पायलजी ने इस बारे में जो कुछ कहा, वो एकतरफा था और उसमें बहुत हद तक झूठ शामिल था. आपने इसमें दूसरे पक्ष की राय को शामिल नहीं किया था, लिहाजा इस संबंध में जो सच मैं जानता था, दूसरे पक्ष की हैसियत से, उसे मैंने बताना जरूरी समझा, फिर भी आपने मेरे लेख को क्यों शामिल नहीं किया?
पायल चक्रवर्ती का लेख ‘मैंने मां-बाप के डेढ़ लाख रुपये बर्बाद कर दिए’ आपने किस आधार पर भड़ास4मीडिया पर पब्लिश किया, ये पूरी तरह से आपका फैसला है. मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है. भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित ख़बरों को विश्वनीयता और सत्यता की कसौटी पर परखा जाता है, ऐसा आप दावा करते हैं. शायद यही वजह है कि कुछ ही समय में भड़ास4मीडिया की लोकप्रियता इतनी बढ़ी है. इसे पढ़ने वालों की संख्या लाखों में है. मीडिया की अंदर-बाहर की ख़बरें, इससे जुड़े लोगों की आप-बीती और उन पर चर्चा, बहस के लिए भड़ास4मीडिया एक बेहतर मंच है. इसलिए मुझे उम्मीद थी कि मेरे द्वारा लिखे हुए को आप शामिल करेंगे और पाठकों को दोनों पक्षों से रुबरु होने का मौका मिलेगा जो कि पत्रकारिता का बुनियादी उसूल है.
मैं निराश हूं कि आपने मेरा लेख शामिल नहीं किया. जरुर कुछ कारण रहे होंगे. लेकिन अगर आप बता सकें तो मैं उन कारणों को जरूर जानना चाहूंगा. पत्रकारिता में मैं अभी प्रशिक्षु हूं.
–पवन कुमार
singhrahul383@gmail.com
9313495321
पहला पत्र : सच बताओ पायलजी : मैं भड़ास4मीडिया का नियमित पाठक हूं. लेकिन पिछले तीन-चार दिनों से इसे पढ़ नहीं पाया. लेकिन आज जब मैंने इसमें एक खबर ‘मैंने मां-बाप के डेढ़ लाख रुपये बर्बाद कर दिए’ पढ़ी तो बड़ा आश्चर्य हुआ. आश्चर्य इसलिए की पायलजी ने चंडीगढ़ जागरण से निकाले जाने को भयंकर दुख-दर्द के साथ बयां तो किया लेकिन वहां से निकाले जाने की असली वजह नहीं बताई. जहां से पायल जी पढ़कर निकली है, वहीं से पढ़कर मैं भी निकला हूं और मैं ये दावा कर सकता हूं कि मैं इनके मिजाज, रहन-सहन और क्रियाकलापों के बारे में बहुत हद तक ठीक-ठीक जानता हूं.
इनके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए इनके इंस्टीट्यूट जागरण इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन में भी संपर्क किया जा सकता है. जहां तक मुझे पता चला है और जो बातें फिजा में तैर रही हैं, उनके अनुसार चंडीगढ़ जागरण से पायल जी को उनके पहनावे के कारण निकाला गया है. इनके सीनियर ने कई बार पहनावे को लेकर इन्हें नसीहतें दी. इन नसीहतों का इन पर कोई असर नहीं हुआ और अंतत: इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और ये सब इनके प्रशिक्षण की अवधि के बीच हुआ. इंस्टीट्यूट में पायल जी क्या और कैसे कपड़े पहनकर आती थीं, ये हर कोई बता सकता है.
पायल जी शायद नहीं जानतीं कि उनकी कईं सीनियर लड़कियां जागरण में काम कर रही है. वो सब किसी क्षेत्र विशेष से नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों से आती हैं. वो सभी अक्सर इंस्टीट्यूट आती रहती हैं. किसी को जागरण से कोई शिकायत नहीं है. यशवंत जी, आपको चंडीगढ़ जागरण से संपर्क करके उनका पक्ष भी प्रकाशित करना चाहिए. पायल जी के कई साथी भी वहां है वे सारी हकीकत बयान कर सकते हैं. पायल जी किसी की छवि पर बेवजह हमला करके सहानुभूति बटोरने का प्रयास कर रही है.
–पवन कुमार
singhrahul383@gmail.com
9313495321
Comments on “‘पायल पहनावे के कारण निकाली गईं””
pawan ji aap bhale he jagran k sath jude ho.lekin jagran ki asliyat ko nahi chepa sakte.mera manna hai ki payal ji sahi keh rahi hain.jo ki jagran k liye ek matr udharan nahi hai.jagran par es treh k or bhrastachar vale aarop lagna aab aam bat ho gai hai.