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अब हर क्रिसमस आंखों में आंसू भर देगी

[caption id="attachment_14886" align="alignleft"]कमल शर्माकमल शर्मा[/caption]अशोक, हम तुम्‍हें भुला न पाएंगे :  एक समय में ईटीवी, मध्‍य प्रदेश डेस्‍क पर काम करने वाले रजनीशकांत का मुझे तकरीबन ढाई बजे के करीब एसएमएस आया। पढ़ा तो धक्‍क रह गया। फिर पढ़ा, फिर पढ़ा…. कम से कम पांच सात बार पढ़ लिया झटपट-झटपट। अशोक उपाध्‍याय…. यह तो वे नहीं होंगे जो ईटीवी में मेरे बिजनेस डेस्‍क इंजार्च के रूप में काम करते हुए मित्र बन गए। खुद मैं अपने मन से बात करने लगा कि यार ये अशोक उपाध्‍याय हैदराबाद वाले ही हैं क्‍या या कोई और? रजनीशकांत को ही फोन लगाया, पूछा… ये अपने अशोक जी ही हैं या कोई दूसरे? उसने बताया- सर अपने अशोक जी ही नहीं रहे। तुरंत दिल्‍ली में इंडिया टीवी में कार्यरत भानु प्रकाश को फोन लगाया। भानु प्रकाश को इस नाम से जानता कौन है… उनका नाम तो सभी ने बाबा कर रखा है। तो… यह कह लीजिए बाबा को फोन लगाया- बाबा, ये बुरी खबर क्‍या है अशोक जी के बारे में। उन्‍होंने बताया- सर, सुबह ही पता चला।

कमल शर्मा

कमल शर्माअशोक, हम तुम्‍हें भुला न पाएंगे :  एक समय में ईटीवी, मध्‍य प्रदेश डेस्‍क पर काम करने वाले रजनीशकांत का मुझे तकरीबन ढाई बजे के करीब एसएमएस आया। पढ़ा तो धक्‍क रह गया। फिर पढ़ा, फिर पढ़ा…. कम से कम पांच सात बार पढ़ लिया झटपट-झटपट। अशोक उपाध्‍याय…. यह तो वे नहीं होंगे जो ईटीवी में मेरे बिजनेस डेस्‍क इंजार्च के रूप में काम करते हुए मित्र बन गए। खुद मैं अपने मन से बात करने लगा कि यार ये अशोक उपाध्‍याय हैदराबाद वाले ही हैं क्‍या या कोई और? रजनीशकांत को ही फोन लगाया, पूछा… ये अपने अशोक जी ही हैं या कोई दूसरे? उसने बताया- सर अपने अशोक जी ही नहीं रहे। तुरंत दिल्‍ली में इंडिया टीवी में कार्यरत भानु प्रकाश को फोन लगाया। भानु प्रकाश को इस नाम से जानता कौन है… उनका नाम तो सभी ने बाबा कर रखा है। तो… यह कह लीजिए बाबा को फोन लगाया- बाबा, ये बुरी खबर क्‍या है अशोक जी के बारे में। उन्‍होंने बताया- सर, सुबह ही पता चला।

बाबा के मुताबिक उनके पास ईटीवी के कई पुराने साथियों के फोन आए पर वे इसलिए नहीं जा पाए क्योंकि उन्हें जोरदार बुखार है। इसके बाद भड़ास4मीडिया साइट खोली… और अशोक जी की फोटूएं एवं रिपोर्ट ने रुलाई ला दी। उनके बारे में जो भी तीन चार रिपोर्ट थी, सब पढ़ डाली। बेटे का रुदन और पत्‍नी की पीड़ा। क्‍या अशोक जी, यही क्रिसमस चुना था, हम सब दोस्‍तों को छोड़कर जाने के लिए। काश आज यह क्रिसमस आता ही नहीं….कौ न छीन ले गया हमारे इस अच्‍छे दोस्‍त को, किसे कोसूं? मैं हैदराबाद से ईटीवी छोड़कर मुंबई वीडियोकॉन में आया, जो कि एक बिजनैस चैनल लाना चाहता था, लेकिन कई घटनाओं की वजह से आ न पाया। वीडियोकॉन के बाद सीएनबीसी समूह ज्‍वाइन किया। अशोक जी से कई बार बातें हुई। उन्‍होंने दो चार बार इच्‍छा भी प्रकट की कि मैं भी मुंबई आना चाहता हूं, कुछ देखो, कमलजी अपने साथ ही बुला लो। लेकिन मैंने हर बार कहा- अशोक जी, आप हैदराबाद में शांति से अच्‍छे से जी रहे हैं लेकिन हमारी तो मजबूरी है कि हमारा घर बार सब मुंबई में है, इसलिए यहां आ गए अन्‍यथा आप जिस चारमीनार और अलमस्‍त शहर में रहते हैं वह सुकून की जिंदगी के लिए सबसे अच्‍छा शहर है।

लेकिन, अशोक जी चाहते थे कि हैदराबाद से निकलूं क्‍योंकि अपने मित्र परमेंद्र जी तो निकल गए। सो जब वीओआई टीवी में भर्ती का दरवाजा खुला, वे वहां पहुंच ही गए। हालांकि, उनका काम, व्‍यक्तिव और ज्ञान उन्‍हें किसी भी चैनल, अखबार, पोर्टल में अच्‍छी नौकरी दिला सकता था। वे एक समर्पित और सक्षम योद्धा थे लेकिन यशवंत जी, जो आपने लिखा…. पिछले एक साल से वीओआई में जिस तरह अव्यवस्था रही, सेलरी नहीं मिली, बेरोजगारी के कई महीने झेलने पड़े, भुगतान नहीं मिला, बकाया के लिए मिले चेक बाउंस हुए, पीएफ के लिए पैसे काटे गए पर एकाउंट में जमा ही नहीं किया गया… उसने सैकड़ों वीओआई कर्मियों को अंदर से तोड़कर रख दिया। जिनके चेहरों पर कभी रौनक व हंसी-खुशी हुआ करती थी, वे उदास व मलिन होते गए…. अशोक उपाध्याय के साथ भी यही सब कुछ हुआ। बस… इसने ही असमय अशोक जी को हमसे छीन लिया।

अशोक जी जैसा सहृदय, सरल, बच्‍चे जैसा कभी-कभी खिल-खिलाने वाला… अपने में मस्‍त अशोक…. यह सब प्रहार सहन नहीं कर पाया। अशोक जी और मैं हैदराबाद में जब भी फ्री होते, शाम को न्‍यूज खत्‍म होने के बाद गपशप जरूर करते। वे सिगरेट पीते होते तो वहां जाकर खड़े होकर चार पांच जने गपियाते। कई बार उन्‍होंने अपने हैदराबाद के घर पर बुलाया लेकिन मैं जा नहीं सका। महान गायक मोहम्‍मद रफी ने एक यादगार गीत गाया है…….. तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे…. अशोक, हम दोस्‍त तुम्‍हें कभी भुला ना पाएंगे। लेकिन अब हर क्रिसमस आंखों में आंसू भर देगी क्‍योंकि पहले ही एक त्‍यौहार ईद मुझे रुलाती है जब जनसत्ता, मुंबई में कार्यरत मेरा दोस्‍त और वरिष्‍ठ पत्रकार जावेद इकबाल का इंतकाल हुआ और हम उसे खाक के सुपर्द कर आए। अशोक यार, तुम भी ना…. अब वापस आ जाओ…।

लेखक कमल शर्मा नेटवर्क18 के पोर्टल कमोडिटीजकंट्रोल डॉट कॉम में संपादक-हिंदी पद पर कार्यरत हैं। उनसे संपर्क 09819297548 के जरिए किया जा सकता है।

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