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दुख-दर्द

नौनिहाल शर्मा के परिवार को मदद की जरूरत

बात 1993 की है। अमर उजाला, मेरठ में कार्यरत वरिष्ठ उपसंपादक नौनिहाल शर्मा रात को कार्यालय से लौटते वक्त रोड एक्सीडेंट के शिकार हो गए और इस दुनिया को उन्होंने हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। मेरठ के पत्रकार जगत को उस वक्त गहरा धक्का लगा। अखबार के मालिकान से लेकर उनके सहयोगियों तक, भारी संख्या में लोगों का हुजूम उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ा। तमाम ढांढस बधाए गए और मदद के आश्वासन दिए गए, लेकिन नौनिहाल जी के परिवार ने उस दिन से लेकर आज तक एक दिन चैन से नहीं बिताया। उस समय उनके बच्चे बहुत छोटे थे।

<p align="justify">बात 1993 की है। अमर उजाला, मेरठ में कार्यरत वरिष्ठ उपसंपादक नौनिहाल शर्मा रात को कार्यालय से लौटते वक्त रोड एक्सीडेंट के शिकार हो गए और इस दुनिया को उन्होंने हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। मेरठ के पत्रकार जगत को उस वक्त गहरा धक्का लगा। अखबार के मालिकान से लेकर उनके सहयोगियों तक, भारी संख्या में लोगों का हुजूम उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ा। तमाम ढांढस बधाए गए और मदद के आश्वासन दिए गए, लेकिन नौनिहाल जी के परिवार ने उस दिन से लेकर आज तक एक दिन चैन से नहीं बिताया। उस समय उनके बच्चे बहुत छोटे थे। </p>

बात 1993 की है। अमर उजाला, मेरठ में कार्यरत वरिष्ठ उपसंपादक नौनिहाल शर्मा रात को कार्यालय से लौटते वक्त रोड एक्सीडेंट के शिकार हो गए और इस दुनिया को उन्होंने हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। मेरठ के पत्रकार जगत को उस वक्त गहरा धक्का लगा। अखबार के मालिकान से लेकर उनके सहयोगियों तक, भारी संख्या में लोगों का हुजूम उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ा। तमाम ढांढस बधाए गए और मदद के आश्वासन दिए गए, लेकिन नौनिहाल जी के परिवार ने उस दिन से लेकर आज तक एक दिन चैन से नहीं बिताया। उस समय उनके बच्चे बहुत छोटे थे।

अखबार प्रबंधन ने उस समय वादा किया था कि बच्चों के बड़े होने पर इनको संस्थान में उपयुक्त नौकरी दी जाएगी। लेकिन कुछ कन्फ्यूजन रहा और कुछ संस्थान की ढिलाई कि बार-बार कोशिश के बावजूद उनके बड़े बेटे मधुरेश को संस्थान में नौकरी नहीं दी गई। छोटे बेटे को जैसे-तैसे परिवार ने बीटेक में एडमिशन दिलाया और बेटी सामान्य ग्रेजुएशन कर रही है। बड़ा बेटा ट्यूशन करके परिवार का खर्च चलाता है।

बमुश्किल गुजर-बसर कर रहे नौनिहाल शर्मा के परिवार पर फिर एक विपदा आ गई है। नौनिहाल जी की पत्नी सुधा शर्मा को अचानक ब्रेन हेमरेज हुआ है। वे पिछले कई दिनों से गढ़ रोड स्थित अजय हास्पिटल के आईसीयू में भर्ती हैं। अब तक परिवार की पूरी जमा पूंजी उनके इलाज में लग चुकी है। तकरीबन 50 हजार रुपये अभी तक खर्च हो चुके हैं और सुधा शर्मा की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। पत्रकारिता की भेंट चढ़ने वाले हर शख्स की कमोबेश ऐसी ही कहानी रहती है।

नौनिकाल शर्मा का परिवार जागृति विहार के सेक्टर-3 में रहता है। उनके बेटे का मोबाइल नंबर 09358625104 है। मेरठ के पुराने पत्रकारों में ऐसा कोई नहीं जो नौनिकाल शर्मा को न जानता हो। सबके दिलों में उनके लिए सम्मान भी है और संवेदना भी। लेकिन उनके परिवार की मदद करने के लिए न तो उनका कोई साथी आगे आ रहा है और न पत्रकार संगठन। इस परिवार पर आई विपदा की इस घड़ी में अगर पत्रकार आगे आते हैं तो परिवार की हिम्मत भी बढ़ेगी और पत्रकारिता की कद भी।

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0 Comments

  1. Devmani Pandey

    January 23, 2010 at 6:21 am

    नौनिहाल जैसे प्रेरक व्यक्तित्व से मिलाने के लिए भुवेंद्र त्यागी को धन्यवाद। उनके परिवार के प्रति पत्रकारिता जगत की चुप्पी का क्या अर्थ लगाया जाय ?

  2. sachin more

    May 17, 2010 at 2:06 pm

    swrgiya Nonihaal Sharma ji ko ashrupurit shraddhnjali …ye patrakarita ke liye bahut sharm ki baat he ki kisi varisth patrakar ke pariwrwalo ko is tarah ki pareshaniyo ka samna karna pad raha he….

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