: अमर उजाला में संजय पांडेय को फिलहाल मिल गया है कुछ काम : इंदौर से खबर है कि वरिष्ठ पत्रकार ललित उपमन्यु एक बार फिर दैनिक भास्कर समूह से जुड़ गए है. उपमन्यु वर्तमान में इंदौर में ही पत्रिका समाचार के टैबलाइड अखबार ‘नैनो’ के प्रभारी के साथ ही विशेष संवाददाता के पद पर पदस्थ थे. ललिल उपमन्यु का अचानक दैनिक भास्कर चले जाना शहर में धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहे पत्रिका समूह के लिए करारा झटका माना जा रहा है.
बताया जा रहा है कि नेशनल हेड कल्पेश याज्ञनिक और स्थानीय संपादक अविनाश जैन पिछले कई दिनों से इंदौर एडिशन के लिए एक ऐसे चेहरे की तलाश कर रहे थे जो आलराउंडर की भूमिका निभा सके. ललित उपमन्यु को इंदौरी पत्रकारिता का 24 सालों का काफी लंबा अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत नईदुनिया से की थी. 12 साल नई दुनिया में गुजारने के बाद 7 साल दैनिक भास्कर में ही स्पेशल करेस्पांडेंट की सफल पारी खेली. श्री उपमन्यु पिछले पांच साल से दैनिक जागरण और फिर पत्रिका के इवनिंगर न्यूज टुडे के संपादक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुके हैं. भास्कर में उनकी भूमिका का पता तो नहीं चल पाया है लेकिन कयास लगाया जा रहा है कि भास्कर प्रबंधन उपमन्यु को कंटेंट को और मजबूती देने व स्पेशल प्रोजेक्ट प्रभारी बनाकर लाया है.
अमर उजाला, गाजियाबाद से सूचना है कि अमर उजाला प्रबंधन ने पुष्पेंद्र शर्मा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. पुष्पेंद्र ने आफिस आना बंद कर दिया है. अमर उजाला प्रबंधन गाजियाबाद के प्रभारी की तलाश में है. अंतरिम व्यवस्था के तहत संजय पांडेय को गाजियाबाद देखने को कहा गया है. संजय पांडेय पिछले कई महीनों से लगभग बेरोजगार वाली स्थिति में अमर उजाला के नोएडा आफिस में बैठ रहे हैं. बहुत दिनों बाद उन्हें काम मिला है पर काम ऐसा कि उसे वे अपने कद के मुताबिक नहीं पा रहे हैं, सो, आते ही गाजियाबाद वालों से कह दिया कि दो-तीन महीने तक ही देखूंगा, तब तक कोई नई व्यवस्था यहां के लिए हो जाएगी. संजय पांडेय को यशवंत व्यास का करीबी माना जाता है. संजय पांडेय इससे पहले भास्कर में हुआ करते थे.
शुचिता राय
July 22, 2010 at 9:27 am
चलो देर आये दुरस्त आये…
भास्कर को अपनी पुरानी टीम की याद तो आई…
ललित उपमन्यु जाना पहचाना नाम हैं …
प्रशासनिक और स्पेशल स्टोरी के साथ ही कंटेंट को कैसे मजबूत बनाया जाये ये उनसे अच्छा कोई नहीं समझ सकता हैं..
ये वाकई पत्रिका समूह के लिए करारा झटका हैं…
ललित जी को ढेर सारी शुभकामनाये….
Suchendra Mishra
July 22, 2010 at 9:57 am
दैनिक भास्कर की वेब पोर्टल कंपनी आईएमसीएल के एड सेल्स जनरल मैनेजर संजय सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया है।
devendra bhatnagar
July 22, 2010 at 11:48 am
lalitji badhai, waise bhi patrika ki asliyat samne aane lagi hai. woh ab doobta jahaj hai. kuch mahine aour wait kariye kai log wapas bhaskar mai aayenge. patrika ka return ticket jald katne wala hai. _ devendra bhatnagar. bhopal
prasoon
July 22, 2010 at 1:30 pm
[b]ज्यादा दिन नही हुए जब पत्रिका को दुब्ती नव बाता रहे लोग पत्रिका मे पत्वार मारने पहुचे थे. आना जान तो लगा रहता है. पर इतना तय है की भास्कर मे हलचल जरुर मची है. तभी तो नतिओनल् हेअड को खुद मोर्चा सम्भालाना पद………….? विसे भी इस पूरी उछल कूद मे पत्रकारों का भला होगा [/b]
subhas sharma
July 22, 2010 at 2:50 pm
DEVENDRA Je jera isko bhe ped lo
कभी मध्य प्रदेश में अपने एकछत्र राज का दंभ भरने वाले भास्कर को अपनी अस्मत बचाने के लिए नए-नए हथकण्डे अपनाने पड़ रहे है। ताजा घटनाक्रम में भास्कर ने भोपाल अपकंट्री में अपने रेट दो तिहाई से भी कम कर दिए है। अब यहां भास्कर का मूल्य 3 रुपये से घटाकर 1.50 रुपये कर दिया गया है। पत्रिका एवं अन्य अखबारों द्वारा कड़ी टक्कर मिलने से दैनिक भास्कर की प्रसार संख्या पर आश्चर्यजनक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
संकट की स्थिति भांपते हुए चतुर प्रबंधन ने अखबार का मूल्य सप्ताह में चार दिन आधा कर दिया है। घटती प्रसार संख्या एवं कमजोर सेल्स टीम ने भास्कर जैसे स्थापित ब्राण्ड को भी प्राइस वार में कूदने पर मजबूर कर दिया है। खबर है कि पिछले कुछ माह में भास्कर की प्रसार संख्या भोपाल लोकल एवं अपकंट्री में बहुत तेजी से गिरी है जिसने उच्च प्रबंधन को सकते में डाल दिया है। यही वजह है कि अभी हाल ही में भास्कर ने अपने छोटे प्रोडक्ट ‘जन-जागृति’ का रेट कम करके 1.50 रुपये प्रतिदिन अर्थात् 45 रुपये मासिक कर दिया था और अब अपकंट्री के रेट गिरा दिये हैं।
बताया जाता है भास्कर के चेयरमैन रमेश अग्रवाल भोपाल के मामले में बहुत गंभीर हैं और इस संबंध में पिछले कुछ सप्ताह से मैदानी टीम की लगातार मीटिंग ले रहे हैं। भास्कर के लिए सबसे बड़ी चिन्ता की वजह पत्रिका बना हुआ है। इतने कम समय में भोपाल में भास्कर के बराबर प्रसार संख्या खड़ी कर इस अखबार ने पूरे भास्कर खेमे में खलबली मचा रखी है। परेशानियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भास्कर भोपाल में सेल्स को लेकर हर सप्ताह नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, कभी पाठक योजना, कभी हॉकर स्कीम तो कभी दिल्ली और यूपी से नए-नए अधिकारियों की भर्ती।
devendra bhatnagar
July 23, 2010 at 12:01 pm
subhashji, sorry to say but mujhe aapki samjh par taras aa raha hai. price war aour staff ka chodna do alag-alag mamle hai. bhaskar ne rate kam kare hai apni prasar sankhya ko aour aage badane ke liye. waise bhi patrika ki itni aoukaat nahi ki woh bhaskar ki copy kam kar sake. rahi baat imaan ki to indore mai ek mantri ne hi use ghutne tekne ko majboor kar diya hai. aji aap dekhiye indore aour bhopal se kitne journlist wapas bhaskar aate hai, waise mere ek jawab ne aapko tilmila diya iisse saaf hai ki baat sacchi ho to kadvi to lagegi hi, thanks subhash ji
Ankit Khandelwal
July 23, 2010 at 1:36 pm
Dear Davendra ji,
Mujhe aapki is baat per, ‘Indore main patrika to ek mantri ne ghutne tikaa diye’ itni haasi or aap per daya aa rahi hain. Aap yeah bhool gaye ki vo patrika hi tha jisne bekhauf bhartachariyon ke khilaf khabrein chappi thi, bhaskar vo kaam to aaj tak nahi kar paaya.ab aapke is kathan ka matlab aap us mantri ka support kar rahe hain? yaani ek corrupt person ko support rahe hain?
Matlab aapko to patrkar keha hi nahi ja sakta ?