लकड़ी माफिया और पुलिस को शिकस्त : हरदोई जिले के पत्रकार लकड़ी माफिया के खिलाफ अपनी लड़ाई जीत गए। उनकी एकजुटता ने माफिया, राजनेता और पुलिस गठजोड़ को धूल चटा दी। गत माह यहां के दो पत्रकारों को जिंदा जलाने की कोशिश के बाद उल्टे उन्हीं के खिलाफ मामला भी दर्ज करा दिया गया था। सारा कुचक्र बसपा विधायक, ग्राम प्रधान और पाली थाना पुलिस के स्तर से रचा गया था। उसके बाद विभिन्न स्तरों पर शुरू हुए पत्रकारों के जोरदार आंदोलन के आगे पुलिस प्रशासन को झुकना पड़ा। इस पूरी लड़ाई में भड़ास4मीडिया ने भी आंदोलनकारियों का मुकाबला आसान किया। अंतिम समय तक उनकी आवाज बुलंद करता रहा। हरदोई के पत्रकारों ने भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित खबरों की फोटो स्टेट प्रतियां जनता के बीच वितरित कीं और पोस्टर चिपकाए। आखिरकार पुलिस को पत्रकारों के खिलाफ संगीन धाराओ में दर्ज मामला समाप्त करना पड़ा।
गौरतलब है कि जिले के पाली थाने के कहराई नकतौरा गांव में बीती 18 जुलाई को दैनिक जागरण के संवाद सूत्र विनोद मिश्रा और ‘आज’ के श्रीप्रकाश बाजपेयी को समाचार कवरेज के दौरान लकडी माफिया ने जिन्दा जलाने का प्रयास किया था। दोनों पत्रकारों की जान बच गई थी। इस घटना के बाद आरोपियों के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया गया था। लकडी माफिया और कुछ सफ़ेदपोशों की शह पर पुलिस ने ग्राम प्रधान रामश्री के पति नन्हे की शिकायत पर दोनों पीड़ित पत्रकारों के खिलाफ भी पाली थाने में अपराध दर्ज कर लिया था। इसके बाद जिले के पत्रकारों में गुस्सा फैल गया था। पुलिस और प्रशासन को साफ़ शब्दों में अवगत करा दिया गया था कि अगर पत्रकारों के खिलाफ दर्ज मामला वापस नहीं हुआ तो नतीजे ठीक नहीं होंगे। पत्रकारों पर हमले और मुक़दमे के विरोध में पत्रकार संगठनों ने पूरे प्रदेश और जिले में विरोध प्रदर्शन किये। पूरे जिले में इस काण्ड को लेकर बैठकें होने लगीं। इस विरोध की लहर से प्रशासन और पुलिस को मानो सांप सूंघ गया। प्रेस कांफ्रेंस में सवालों की झडी से पूरा सरकारी तंत्र हैरान था।
पत्रकारों की इस लड़ाई में भड़ास4मीडिया की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। आंदोलित पत्रकारों ने भड़ास पर प्रकाशित समाचार के प्रिंट निकलवाकर पोस्टरों के रूप में जगह जगह चस्पा कर दिए। जिसने भी इसको पढ़ा, अपने को भी लड़ाई में शामिल कर लिया। समाचार पत्रों के संपादकों से भी इलाकाई लोगों ने अपना रोष जाहिर किया। इसके बाद घटनाक्रमों की कवरेज भी होने लगी। पुलिस कप्तान नवनीत राणा ने पहल कर पूरे मामले की कई स्तरों से जांच कराई। इसके बाद दोनों पत्रकारों के खिलाफ दर्ज मामला समाप्त कर दिया गया। राणा ने यह भी बताया कि पत्रकारों ने जो मामला दर्ज कराया है, उसकी अभी जांच नहीं हो सकी है। उसकी भी जांच की जा रही है। उन्होंने पत्रकारों को सलाह दी कि पेड़ कटान जैसी सूचनाओं से ऊपर उठ कर स्वस्थ पत्रकारिता की ओर अग्रसर हों। अगर मीडिया के किसी भी साथी को लगता है कि समाचार सकंलन में उसे कोई दिक्कत आ सकती है तो समय से सूचित कर दे, हम फोर्स की सुविधा भी दे सकते हैं। मुकदमा समाप्त किए जाने पर ग्रामीण पत्रकार परिषद के अतुल कपूर, प्रशांत पाठक आदि ने पुलिस कप्तान के प्रति आभार व्यक्त किया है।