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दुख-दर्द

डीजीपी के फरमान से बस्तर के पत्रकार दहशत में

छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित संभाग बस्तर के पत्रकारों पर इन दिनों संकट के बादल मंडरा रहे है. एक तरफ पुलिस तो दूसरी ओर नक्सली. दोनों के बीच पत्रकार पिस रहे हैं. नक्सलियों के खिलाफ ज्वाइंट ऑपरेशन की तैयारी पुलिस द्वारा की जा रही है. इसके बारे में राज्य के डीजीपी विश्वरंजन ने स्पष्ट कहा है कि बस्तर के कुछ पत्रकार भी नक्सलियों का सहयोग करते हैं और ऐसे पत्रकारों की सूची उनके पास है. बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकार, जिनका पाला अक्सर नक्सलियों से सीधा पड़ता है, वे इस फरमान से दहशतज़दा हैं.

<p align="justify">छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित संभाग बस्तर के पत्रकारों पर इन दिनों संकट के बादल मंडरा रहे है. एक तरफ पुलिस तो दूसरी ओर नक्सली. दोनों के बीच पत्रकार पिस रहे हैं. नक्सलियों के खिलाफ ज्वाइंट ऑपरेशन की तैयारी पुलिस द्वारा की जा रही है. इसके बारे में राज्य के डीजीपी विश्वरंजन ने स्पष्ट कहा है कि बस्तर के कुछ पत्रकार भी नक्सलियों का सहयोग करते हैं और ऐसे पत्रकारों की सूची उनके पास है. बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकार, जिनका पाला अक्सर नक्सलियों से सीधा पड़ता है, वे इस फरमान से दहशतज़दा हैं. </p>

छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित संभाग बस्तर के पत्रकारों पर इन दिनों संकट के बादल मंडरा रहे है. एक तरफ पुलिस तो दूसरी ओर नक्सली. दोनों के बीच पत्रकार पिस रहे हैं. नक्सलियों के खिलाफ ज्वाइंट ऑपरेशन की तैयारी पुलिस द्वारा की जा रही है. इसके बारे में राज्य के डीजीपी विश्वरंजन ने स्पष्ट कहा है कि बस्तर के कुछ पत्रकार भी नक्सलियों का सहयोग करते हैं और ऐसे पत्रकारों की सूची उनके पास है. बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकार, जिनका पाला अक्सर नक्सलियों से सीधा पड़ता है, वे इस फरमान से दहशतज़दा हैं.

वैसे भी, पत्रकार नक्सली और पुलिस, दोनों के बीच सेतु की तरह काम करते रहे हैं. अब पुलिस कहती है कि ऑपरेशन के दौरान पत्रकार भी सिर्फ पुलिस की भाषा बोलें. जो पत्रकार ऐसा नहीं करेगा, उसे भी नक्सली सहयोगी मान लिया जायेगा. पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर वृहद स्तर पर प्रहार की तयारी छत्तीसगढ़ में इन दिनों चल रही है. यही नहीं, कुछ पत्रकार भी पुलिस के टट्टू बने हुए हैं. वहीं नक्सली भी लगातार पत्रकारों को बन्दूक की नोक पर रखते हुए अपने पक्ष में लिखने के लिए बाध्य कर रहे हैं. ऐसे में बस्तर के पत्रकार दोनों ओर से पिस रहे हैं. इस विषय पर राष्ट्रीय स्तर के मीडिया संगठनों को आगे आना चाहिए लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है.

शिवप्रकाश

जगदलपुर (बस्तर), छत्तीसगढ़

[email protected]

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