प्रिय भाई यशवंत जी, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर की हरियाणा चुनाव की कवरेज़ पर टिप्पणी पढने को मिली है. इन दोनों अख़बारों की फटेहाल जग जाहिर है. पैसे के नाम पर बिक जाना इनकी आदत है. पत्रकारिता जाये भाड़ में, इन की बला से. दूसरों को नैतिकता का सबक सिखाने वाले इन दोनों अखबारों पर प्रभाष जोशी जी का साया जरूर पड़ना चाहिए वेरना पूरे देश को ये दोनों मगरमच्छ खा जायेंगे… वैसे इनके पीछे चलने वाले भी कम नहीं हैं. देश की भावी पीढी इन दोनों अख़बारों पर लानत देगी एक दिन. दैनिक जागरण के नरेन्द्र मोहन पर आयी टिप्पणी भी सामयिक ही है.
जागरण के जालंधर यूनिट को स्थापित करने वाले संपादक राकेश शांतिदूत को जिस तरह से इस अख़बार ने निकाला था, वह भी कम निंदनीय नहीं था. बाद में जिस टीम ने इस अख़बार को स्थापित किया जिस में रोपड़ से रणदीप वशिष्ट, होशियारपुर से राजेश जैन, कपूरथला से कुलदीप शर्मा, लुधियाना से हरबीर भंवर और विनय राणा, उप समाचार संपादक सुशील खन्ना आदि को अब चलता किया जा चुका है. अमृतसर से अशोक नीर और सुशील खन्ना अपने अपने साधनों से इसी अख़बार से अभी तक इसलिए जुड़े हुए हैं कि उनके पास दूसरा कोई आप्शन ही नहीं है.
मेरा नाम भी अख़बार के जालंधर यूनिट की संस्थापक टीम में रहा है. निशिकांत ठाकुर नाम के मुख्य महाप्रबंधक के पद पर विराजमान शख्स ने अपने एक भांजे को एडजस्ट करने के लिए मेरा तबादला कर दिया. उन दिनों मेरे माता-पिता का एक एक्सीडेंट के बाद इलाज चल रहा था. मेरे पास नौकरी छोड़ देने के इलावा कोई चारा नहीं था. परिवारवाद का शिकार हो चुके इस अख़बार पर जिन लोगों ने टिप्पणी दी है उसमे कोई कही अतिशयोक्ति नहीं है. ये दोनों अख़बार इस समय पत्रकारिता के लिए चुनौती बन चुके हैं और आने वाला समय इन लोगों को कभी क्षमा नहीं करेगा.
धन्यवाद.
ऋषि नागर
Editor
Day Night News
Surrey, British Columbia, Canada.