अंतरिम राशि देने में अखबारों की टालमटोल

Spread the love

हाईकोर्ट के फैसले पर अभी तक अमल नहीं :  इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद वाराणसी अंचल के पत्रकारों, गैर-पत्रकारों को तीस प्रतिशत बेसिक अंतरिम राहत देने में ग्यारहों प्रमुख अखबार टालमटोल कर रहे हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद नोटिस जारी होने के बावजूद डीएलसी (डिप्टी लेबर कमिश्नर) के यहां हुई मीटिंगों में अब तक समस्या का कोई हल निकला है। इससे पत्रकार संगठनों का रोष बढ़ता जा रहा है। अब 11 अगस्त को अगली मीटिंग मोकर्रर की गई है, जिसमें अखबार मालिकानों को उन कर्मचारियों की सूची प्रस्तुत करनी है, जिन्हें भुगतान कर दिया गया है अथवा नहीं किया गया है। चेतावनी दी गई है कि फैसले के तीन माह के भीतर छह सितंबर 09 तक भुगतान सुनिश्चित नहीं हो जाता है तो पत्रकार संगठन फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के जनरल सेक्रेट्री अजय मुखर्जी ने भड़ास4मीडिया को बताया कि जब केंद्र सरकार ने 8 जनवरी 2008 को पूरे देश के अखबारों के लिए गजट जारी कर दिया कि पत्रकारों, गैरपत्रकारों को तीस प्रतिशत बेसिक अंतरिम राहत राशि दी जाए, फिर भी आज तक उस पर अमल क्यों नहीं हो सका है? श्रम विभाग की उदासीनता के कारण हमें हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। हाईकोर्ट ने भी हमारे पक्ष में फैसला सुना दिया कि वाराणसी के एडिशनल लेबर कमिश्नर डी.के.कंचन देय सुनिश्चित कराएं, फिर भी पिछले दो महीने से सिर्फ मीटिंगें हो रही हैं। मामले का कोई हल नहीं निकल रहा है। अभी तक पूरे देश में सिर्फ पीटीआई ने अपने कर्मचारियों को यह राहत राशि उपलब्ध कराई है। 

अजय मुखर्जी ने बताया कि पांच जून 09 को हाईकोर्ट के आदेश के साथ उन्होंने वाराणसी समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन और काशी पत्रकार संघ की ओर से डीएलसी को मामले की पुनः सुनवाई का प्रार्थनापत्र दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के बाद डीएलसी ने कुल ग्यारह समाचारपत्रों गांडीव, आज, दैनिक जागरण, तरुण मित्र, अमर उजाला, हिंदुस्तान, कांपैक्ट, आई-नेक्स्ट, यूनाइटेड भारत आदि के खिलाफ नोटिस जारी किया था। ड़ीएलसी ने नोटिस में इस बात का जवाब मांगा था कि उन्होंने अपने कर्मचारियों को तीस प्रतिशत बेसिक अंतरिम राहत राशि का अभी तक भुगतान किया है या नहीं? नोटिस का जवाब देने के लिए जून और जुलाई की मीटिंगों में अखबार मालिकानों की ओर से टालमटोल किया गया।  डीएलसी के यहां मीटिंग में किसी अखबार की तरफ से बताया गया कि वह तो पहले से ही उससे ज्यादा भुगतान कर रहा है। किसी का कहना था कि अखबार उद्योग इस समय मंदी और महंगाई की मार से जूझ रहा है, इसलिए वह आर्थिक तंगी के कारण अपने कर्मचारियों को तीस प्रतिशत बेसिक अंतरिम राहत राशि देने में असमर्थ हैं। इस तरह के विकल्प भी रखे गए कि थोड़ी-बहुत भुगतान के लिए कोई बीच का रास्ता निकाल लिया जाए।  

मालिकान पक्ष से कुछ ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने कर्मचारियों को भुगतान जारी कर दिया है। लेकिन सुनवाई के दौरान कर्मचारी संगठन अपनी मांग पर अड़े रहे। उनका कहना था कि गलत जानकारी दी जा रही है। किसी को भी भुगतान नहीं किया गया है। आखिरकार बात बनी नहीं और सुनवाई की अगली तिथि घोषित कर दी गई।  इसके बाद गत माह 29 जुलाई 09 को पुनः दोनों पक्षों को तलब किया गया। इस सुनवाई में एडिशनल कमिश्नर ने अखबार मालिकान पक्ष को आगाह किया कि वे उन कर्मचारियों की सूची प्रस्तुत करें, जिन्हें अंतरिम राहत राशि का भुगतान कर दिया गया है और जिन्हें नहीं किया गया है। यदि वे इस आदेश का अनुपालन नहीं करते तो लेबर कोर्ट को उनके खिलाफ आरसी जारी करनी पड़ेगी। हाईकोर्ट के आदेशानुसार किसी भी कीमत पर यह भुगतान करना ही होगा। इस पर मालिकान पक्ष ने लेबर कोर्ट से दस दिन का समय मांगा। सुनवाई की अगली तारीख 11 अगस्त 09 रखी गई है। इस दिन अखबार मालिकान पक्ष को लेबर कोर्ट के सामने भुगतान-प्राप्त पत्रकारों, गैरपत्रकारों की सूची प्रस्तुत करनी है।

समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के जनरल सेक्रेटरी अजय मुखर्जी और काशी पत्रकार संघ अध्यक्ष योगेश गुप्त ने बताया कि वाराणसी लेबर कोर्ट निर्धारित समय सीमा के भीतर अंतरिम राहत राशि दिलाना सुनिश्चित नहीं कर सका तो वे पुनः हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मैनेजमेंट भुगतान देने के मूड में नहीं दिख रहा है। सभी अलग-अलग पहल कर रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक कर्मियों की ओर से भी अंतरिम देय के लिए हमारी यूनियन एक-दो दिन में एडिशनल लेबर कमिश्नर के यहां ही एक और मांग पत्र प्रस्तुत करने जा रही है। हमारे साथ पत्रकार संगठनों की ओर से समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष मनोहर खांडेलकर, भूतपूर्व अध्यक्ष काशी पत्रकार संघ प्रदीप कुमार और संजय अस्थाना आदि इस मामले की एकजुटता से पैरोकारी कर रहे हैं।

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *