उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ के आठ पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता से नवाजने के साथ ही पांच पत्रकारों की मान्यता निरस्त कर दी है। ऐसा पहली बार हुआ कि मान्यता-मुक्त हुए पत्रकारों का सरकारी भवनों में प्रवेश भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में पत्रकारों को मान्यता देने के लिए सूचना विभाग के अधीन बनी उप समिति ने गत दिनों एक बैठक कर कुल आठ पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता देकर उपकृत किया। इस बैठक का उन पत्रकारों को लम्बे समय से इंतजार था, जो राज्य मुख्यालय की मान्यता पाने की लाइन में थे। उनमें से आठ को मान्यता मिल गई, जबकि मान्यता न मिलने से निराश पत्रकारों ने उपसमिति पर दोहरे मापदण्ड अपनाने का आरोप लगाया है। उपसमिति ने जिन पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता दी है, उनमें ‘वॉयस ऑफ़ इण्डिया’ न्यूज चैनल के अनुराग शुक्ला और दिनेश यादव, कैमरामैन मनीष तिवारी, ‘महुआ’ चैनल के कुमार शौबीर, ‘ईटीवी’ उत्तर प्रदेश के अनिल सिन्हा को राज्य मुख्यालय की मान्यता दी गई है। इनके अलावा ‘यूनाइटेड भारत’ के एसपी सिंह, ‘राहत टाइम्स’ के अमित सक्सेना और ‘समाजवाद का उदय’ अखबार के प्रभात त्रिपाठी को भी राज्य मुख्यालय की मान्यता मिल गई है। ‘ईटीवी’ छोड़ कर ‘पी7 न्यूज’ चैनल ज्वाइन करने वाले ज्ञानेन्द्र शुक्ला को उपसमिति ने मान्यता के लिए उपयुक्त नहीं माना। जिन्हें मान्यता मिल गई, उनकी तो बल्ले-बल्ले हो रही है, लेकिन कुछ दुखी भी हैं।
प्रदेश सरकार ने पांच और पत्रकारों की मान्यता निरस्त कर दी है। इन सभी पत्रकारों का सरकारी भवनों में प्रवेश भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने यह कार्रवाई मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के पदाधिकारियों की उस शिकायत पर की है, जिसमें उन पत्रकारों पर संस्थान बदलने के बाद भी पूर्व संस्थान की मान्यता का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था। जिन पत्रकारों की मान्यता निरस्त की गई है, उनमें योगेश श्रीवास्तव, देवराज सिंह, राजेन्द्र गौतम हिन्दी दैनिक ‘स्वतंत्र भारत’ से थे, जबकि आरसी भट्ट और अभिलाश भट्ट आजाद न्यूज चैनल में थे। इन सभी को संस्थान बदलने के कारण अपनी मान्यता गंवानी पड़ी है। ‘स्वतंत्र भारत’ के इन तीन में से दो पत्रकार योगेश श्रीवास्तव और राजेन्द्र गौतम ने प्रो. निशीथ राय के अखबार ‘डेली न्यूज एक्टिविस्ट’ को ज्वाइन कर लिया है। देवराज सिंह डीएलए के साथ जुड़ गए हैं। इनके अलावा अभिलाश भट्ट और आरसी भट्ट ‘जन संदेश’ न्यूज़ चैनल में जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब मायावती सरकार ने मान्यता निरस्त होने के बाद पत्रकारों के सरकारी भवनों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पूर्व चार अन्य पत्रकारों की मान्यता सरकार ने निरस्त कर दी थी, जिनमें से सुरेश बहादुर सिंह व सच्चिदानंद गुप्ता को उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश मिल गया है, लेकिन सरकारी भवनों में विशेष कर लालबहादुर शास्त्री भवन (एनेक्सी) में उनके प्रवेश की अनुमति सरकार ने नहीं दी है।
‘जन संदेश’ न्यूज़ चैनल में सेवारत आरसी भट्ट ने भड़ास4मीडिया को बताया कि संस्थान बदलने वाले पत्रकारों ने सूचना विभाग को अपने स्थानांतरण से अवगत करा दिया है। नियमतः ऐसे पत्रकारों की मान्यता स्वतः निरस्त हो जाती है, जो किसी ऐसे संस्थान से जुड़ गए हों, जिसका कार्यकाल साल भर से कम हो। किसी संस्थान के एक वर्ष की अवधि पूरी कर लेने के बाद उस संस्थान से जुड़े पूर्व मान्यता वाले पत्रकारों को स्वतः मान्यता मिल जाती है। अतः उनकी मान्यता सूचना नियमावली के अंतर्गत स्थगित हुई है। हमारे नए संस्थान ‘जन संदेश’ के एक साल का कार्यकाल पूरा होने में लगभग चार माह शेष हैं। मैं भी इसी प्रक्रिया में हूं। इसमें कोई सरकारी साजिश जैसी बात नहीं है। नवंबर तक संस्थान के एक साल पूरा कर लेने पर मेरी अथवा अन्य साथियों की भी मान्यता पुनः बहाल हो जाएगी।