हसन अली से रिश्ते के आरोप में नपे विजय शंकर पांडेय

: पुणे के घोड़ा व्यापारी हसन अली से कथित संबंधों के कारण विजय शंकर पांडेय से प्रवर्तन निदेशालय करेगा पूछताछ : प्रमुख सचिव सूचना के पद से हटाकर विजय को अब राजस्व परिषद का सदस्य बनाया दिया गया : विजय शंकर पांडेय नप गए. कभी भ्रष्टाचारी आईएएस की शिनाख्त कराने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले विजय शंकर पांडेय पर एक बड़े भ्रष्टाचारी से मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार की कोठी पर बुलडोजर चलेगा!

इंडियन एक्सप्रेस की वजीहा शाह की कोठी ढहाने की कोशिश : लखनऊ विकास प्राधिकरण वालों का कहना है, ऊपर से आदेश है : जाने-माने खेल पत्रकार और क्रिकेट कमेंटेटर कबीर शाह की बेटी हैं वजीहा : लखनऊ में इंडियन एक्सप्रेस की वरिष्ठ पत्रकार वजीहा शाह का घर तो एलडीए वाले मीडिया की चौकसी के कारण नहीं गिरा पाए लेकिन जाते-जाते कह गए कि हमें ऊपर से आदेश है, दोबारा आकर इसे बुल्डोजर से ढहा देंगे। यह कोठी (मॉल एवेन्यू 108, एमजी मार्ग, लखनऊ) कभी प्रदेश के मशहूर न्यायाधीश रहे नियामतुल्ला की है, जो 1936 में बनाई गई थी। इसमें अब उनकी तीसरी पीढ़ी रह रही है। वजीहा शाह जाने-माने खेल पत्रकार एवं क्रिकेट कमेंटेटर कबीर शाह की बेटी हैं। उनके घर के दूसरी तरफ मुख्यमंत्री मायावती का कार्यालय है।

आठ को मान्यता, पांच की निरस्त

उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ के आठ पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता से नवाजने के साथ ही पांच पत्रकारों की मान्यता निरस्त कर दी है। ऐसा पहली बार हुआ कि मान्यता-मुक्त हुए पत्रकारों का सरकारी भवनों में प्रवेश भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में पत्रकारों को मान्यता देने के लिए सूचना विभाग के अधीन बनी उप समिति ने गत दिनों एक बैठक कर कुल आठ पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता देकर उपकृत किया। इस बैठक का उन पत्रकारों को लम्बे समय से इंतजार था, जो राज्य मुख्यालय की मान्यता पाने की लाइन में थे। उनमें से आठ को मान्यता मिल गई, जबकि मान्यता न मिलने से निराश पत्रकारों ने उपसमिति पर दोहरे मापदण्ड अपनाने का आरोप लगाया है। उपसमिति ने जिन पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता दी है, उनमें ‘वॉयस ऑफ़  इण्डिया’ न्यूज चैनल के अनुराग शुक्ला और दिनेश यादव, कैमरामैन मनीष तिवारी, ‘महुआ’ चैनल के कुमार शौबीर, ‘ईटीवी’ उत्तर प्रदेश के अनिल सिन्हा को राज्य मुख्यालय की मान्यता दी गई है। इनके अलावा ‘यूनाइटेड भारत’ के एसपी सिंह, ‘राहत टाइम्स’ के अमित सक्सेना और ‘समाजवाद का उदय’ अखबार के प्रभात त्रिपाठी को भी राज्य मुख्यालय की मान्यता मिल गई है। ‘ईटीवी’ छोड़ कर ‘पी7 न्यूज’ चैनल ज्वाइन करने वाले ज्ञानेन्द्र शुक्ला को उपसमिति ने मान्यता के लिए उपयुक्त नहीं माना। जिन्हें मान्यता मिल गई, उनकी तो बल्ले-बल्ले हो रही है, लेकिन कुछ दुखी भी हैं।

लखनऊ के मीडिया जगत में खलबली

सूचना निदर्शिनी से पत्रकारों के नाम-पते गायब : सरकार पर जासूसी कराने का आरोप : लखनऊ के पत्रकारों में इन दिनों प्रदेश सरकार की मीडिया विरोधी नीतियों को लेकर भारी गुस्सा है। सबसे ज्यादा रोष इस बात पर है कि पहली बार ‘सूचना निदर्शिनी’ से सिर्फ पत्रकारों के नाम-पते गायब कर दिए गए हैं। गुस्साए मीडियाकर्मियों का दूसरा आरोप है कि एनेक्सी स्थित मीडिया सेंटर पहुंचने वाले पत्रकारों की इन दिनों जासूसी कराई जा रही है। वहां के रजिस्टर में हर पत्रकार के नाम-पते दर्ज हो रहे हैं। लखनऊ के पत्रकारों में एक ओर जहां मान्यता की चर्चाएं सुर्खियों में हैं, वही मीडियाकर्मियों के साथ प्रदेश सरकार के ताजा रवैये ने खलबली मचा रखी है। जिसको लेकर पत्रकारों में सबसे ज्यादा रोष है, वह है सूचना विभाग की इस साल की डायरी ‘सूचना निदर्शिनी’। जब से प्रदेश का सूचना विभाग यह डायरी प्रकाशित कर रहा है, उससे पहली बार पत्रकारों को बाहर कर दिया गया है। हर साल इस डायरी में प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, दोनों के स्टॉफ के अधिकारियों, सभी मंत्रियों, विधायकों, एमएलसी, आईएएस, आईपीएस, सूचना विभाग प्रमुख अधिकारियों, निगमों के अध्यक्षों और सभी प्रमुख अखबारों के मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों के फोन नंबर, पते आदि प्रकाशित होते रहे हैं। पहली बार इस डायरी में सिर्फ पत्रकारों के नाम-पते नहीं छापे गए हैं। इस रवैये से नाखुश पत्रकारों का मानना है कि माया सरकार सुनियोजित तरीके से मीडियाकर्मियों को दरकिनार रखना चाहती है।