अलीगढ़ के पत्रकार सोमेश शिवांकर को जिले के एक थाना प्रभारी ने कथित अपहरण के मामले में फांस कर मामला कोर्ट तक पहुंचा दिया है। यद्यपि इस घटना के बाद थाना प्रभारी को एसएसपी असीम अरुण ने पुलिस लाइन में अपने दफ्तर से अटैच कर दिया है, लेकिन शिवांकर के सिर से आशंकाओं के बादल छंटे नहीं हैं। उन्होंने थाना प्रभारी की इस मनमानी से प्रेस कौंसिल, पुलिस और प्रशासन के उच्चाधिकारियों सहित प्रदेश व केंद्र सरकारों को भी लिखित तौर पर अवगत करा दिया है। शिवांकर पूर्व में ‘स्टार न्यूज’ और ‘डीएलए’ से जुड़े रहे हैं। इस समय वह ‘एनएनआई’ न्यूज एजेंसी के लिए बतौर रिपोर्टर काम कर रहे हैं।
साथ ही, वह ‘सांध्य यूपी’ नाम से स्वयं का एक हिंदी सांध्य दैनिक भी निकाल रहे थे, जो इन दिनों पुलिसिया उत्पीड़न के कारण बंद चल रहा है। शिवांकर ने भड़ास4मीडिया को बताया कि जिले के पाली मुकीमपुर थाने के इंचार्ज विजयकुमार चौरसिया लंबे समय से उनके पीछे पड़े हुए हैं। वजह खबरों को लेकर कोई समझौता न करना। पिछले दिनों उनके थानाक्षेत्र से एक तेईस वर्षीय युवक लापता हो गया था। बरामद होने पर उसने बताया कि वह अपने तीन अन्य साथियों के साथ शराब के नशे में घर वालों को बिना सूचित किए कहीं अन्यत्र चला गया था। पुलिस को पता चला तो उसे पकड़ कर एक दिन थाने में रखा गया। इस बीच थाना प्रभारी के लाख दबाव के बावजूद उसने वही बात पुलिस को बताई, जो घर वालों को मालूम थी कि वह साथियों के बहकावे और नशे में कहीं चला गया था। इसके बावजूद थाना प्रभारी ने पूरे मामले को लिखित में धारा 364 के तहत अपहरण करार देते हुए उसमें मनमाने तरीके से सोमेश शिवांकर का नाम भी अज्ञात आरोपियों में दर्ज कर मामले को कोर्ट फाइल कर दिया है। आरोप लगाया गया है कि सोमेश ने कट्टे की नोक पर युवक को अगवा करने में मदद की है।
जब यह हकीकत जिले के पत्रकारों को पता चली तो उन्होंने जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक असीम अरुण से इसकी शिकायत की। इस बीच सोमेश ने लिखित तौर पर आईजी, डीआईजी, पुलिस महानिदेशक आदि को पूरे प्रकरण से अवगत करा दिया। एसएसपी ने तत्काल मामले को संज्ञान लेते हुए थाना प्रभारी को लाइन से अटैच कर दिया। अब पूरा मामला जांच के लिए अतरौली सर्किल के सीओ प्रवीण रंजन को सौंप दिया गया है। शिवांकर का कहना है कि वह पूरी तरह बेदाग हैं। उन्हें थाना प्रभारी की साजिश के तहत फंसाया गया है। पत्रकारिता के दौरान वह पुलिस के काले कारनामों का अक्सर भंडाफोड़ करते रहे हैं। इसीलिए वह पुलिस के लिए सिरदर्द बनते रहे हैं। दिक्कत यह है कि थाना प्रभारी ने केस डायरी कोर्ट को में भेज दिया है। पूरी रिपोर्ट झूठी है।