आरकेबी का नया मोर्चा : थ्री-आर कैंपेन

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आरकेबीथ्री-आर…री-कॉल, रोलबैक, रिफंड : मुंबई की पॉवर कंपनियों (रिलायंस, टाटा, बेस्ट) और एमईआरसी (महाराष्ट्रा इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन) की मनमानियों के खिलाफ पहली लड़ाई जीतने के बाद लेमन टीवी ने अपने आगामी संघर्ष का दायरा काफी व्यापक कर लिया है। आरकेबी शो एंकर राजीव कुंवर बजाज उर्फ आरकेबी ने ऐलान किया है कि अब वह महामुंबई के लिए थ्री-आर कैंपेन का नया मोरचा खोलने जा रहे हैं। थ्री-आर कैंपेन, यानी री-कॉल, रोलबैक, रिफंड। आरकेबी के प्लेटफॉर्म से इस महाभियान में महामुंबई की पहले से ज्यादा शानदार भागेदारी होगी। मुंबई के करोड़ों विद्युत उपभोक्ताओं और हिंदुस्तान के साठ से ज्यादा एनजीओ, सभी राजनीतिक दलों को लेमन टीवी के प्लेटफॉर्म पर एक साथ लामबंद कर रिलायंस एनर्जी को पछाड़ने के बाद अत्यंत जोशीले अंदाज में आरकेबी बताते हैं कि अब उनका कारवां बहुत बड़ी लड़ाई का आगाज करने जा रहा है। इस दूसरे चरण के महासंग्राम का बिगुल बज चुका है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि मीडिया के मोरचे से कामयाबी की दिशा में बढ़ रहे करोड़ो-करोड़ मुंबईवासी इस महासंग्राम में पहले से ज्यादा उत्साह के साथ अवश्य शिरकत करेंगे। भड़ास4मीडिया के साथ अपने ताजा महाअभियान का खुलासा किया आरकेबी ने।

उन्होंने बताया कि थ्री-आर कैंपेन का पहला मोरचा होगा री-कॉल, यानी वापस बुलाओ। ….किसे?…..उन जनप्रतिनिधियों, विधायकों, सांसदों, पार्षदों को, जो कुर्सी संभालने के बाद जनता का भरोसा खो बैठे हों। वे चुनाव में मतदाताओं से जो वायदे करके जाते हैं, यदि उन्हें नहीं निभाते, अपने क्षेत्र, अपनी जनता के हितों-जरूरतों को भुला देते हैं, तो जनता को भी यह पूरा अधिकार मिलना चाहिए कि वह अपने ऐसे गैरभरोसेमंद नेताओं को क्षेत्र में वापस बुला ले और फिर से अपना नया नेता चुने। आरकेबी का मानना है कि चुनाव से पहले और जीत जाने के बाद ज्यादातर नेता मतदाताओं के भरोसे के नहीं रह जाते हैं। राजपाट मिलने के बाद उनकी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। वे अपने मतदाताओं को भूल कर तरह-तरह के समाजविरोधी तत्वों, ठेकेदारों, बिल्डरों, माफिया, धन्नासेठों के पाले में खेलने लग जाते हैं। स्टेट पॉवर के उन्माद में वे यह मान बैठते हैं कि अब आगे पांच साल तक उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यही कानूनी और संवैधानिक अनुकूलता उन्हें इस हद तक अवसरपरस्त, बेलगाम और ढीट बना देती है कि प्रायः वे जरायम की दुनिया में खुल्लमखुल्ला भयानक करतूतें करने से भी नहीं हिचकते। वैसे भी गठबंधन कर सत्ता हथियाने की घिनौनी जुगलबंदियों ने जब से निर्वाचित माननीयों की खरीद-फरोख्त का धंधा सरेआम कर दिया है, मतदाता की जरूरते उनकी कार्य-संस्कृति से बाहर हो चुकी हैं। ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि सिस्टम को पारदर्शी और ताकत बनाए रखने के लिए जनता को सिर्फ मतदान तक ही सीमित न रखा जाए, बल्कि उसे यह पूरा अधिकार दिया जाए कि वह जब चाहे, स्वच्छंद विचरण कर रहे अपने गैरभरोसे के प्रतिनिधि को उसकी औकात में ला सके। पहली बार आरकेबी शो के मीडिया प्लेटफॉर्म से यह ताजा ललकार बुलंद होने जा रही है।

आरकेबी बताते हैं कि लेमन टीवी के मंच से थ्री-आर कैंपेन का दूसरा मोरचा होगा रोलबैक। इसके भी उद्देश्य साफ हैं। कोई लाग-लपेट नहीं। हम अपने महामुंबई के साथ सरकार से मांग करने जा रहे हैं कि रोलबैक यानी, सिर्फ बिजली दर ब्रेक करने से काम नहीं चलेगा। मंदी-महंगाई ने जनता को और भी कई तरह से कुचला है, कहीं का नहीं रख-छोड़ा है। और ऊपर से सरकार अपने तरीके से महंगाई लादती जा रही है। तरह-तरह के देय थोपती जा रही है। सरकार और प्राइवेट सेक्टर दोनों जनता को अपने-अपने दायरे में दबोचते जा रहे हैं। अब यह सिलसिला थमना चाहिए, रुकना चाहिए। इससे ज्यादा जनता का दोहन अब और बर्दाश्त नहीं। कत्तई इसके खिलाफ लामबंदी बहुत जरूरी हो चली है। राजनीति इतनी आत्मजीवी और पतित-लालची हो गई है कि उसके पहरेदार जनता के सुख-दुख की बजाय अपना घर भरने में व्यस्त हैं। आरकेबी शो बताएगा कि कहां-कहां, क्या-क्या हो रहा है सरकार के स्तर। जिस तरह रिलायंस एनर्जी की वृद्धि-दरों को काबू किया गया है, उसी तरह अन्य सरकारी-गैरसरकारी दरों की बढ़ोत्तरी भी निरस्त की जाए। उस पर रोलबैक होना चाहिए, उस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।

….और थ्री-आर कैंपेन का तीसरा मोरचा रिफंड। यानी, जो रोलबैक किया जाए, उसके बकाए की राशि जनता को ब्याज सहित लौटाई जाए। आरकेबी कहते हैं कि पूंजीवाद बुरा नहीं, लेकिन वह सिर्फ अमीरों-पूंजीपतियों, उद्योगपतियों नहीं, जनता का, उपभोक्ता वर्ग का पूंजीवाद हो। एक ओर अंबार लगता जा रहा है, दूसरी तरफ अथाह कंगाली। यह नहीं चलेगा। रुकिए, देखिए, सोचिए-समझिए कि पूंजी का रास्ता किधर हो, किसके लिए हो? वह जिस दिशा में बेतहाशा भाग रही है, लोगों को कुचलती हुई, उसे थामना होगा, रोकना होगा। आज आंख मूंद कर जनहित की अनदेखी कर रहे मीडिया से जनता को बहुत उम्मीदें हैं कि वह बोले, असली भेद खोले, छोटे पर्दे पर चटपटे व्यंजन परोसने से काम नहीं चलेगा। लेमन टीवी ने जनता के इस दर्द को, तकलीफों को बहुत गहरे से महसूस किया है और उसी की साझेदारी, लामबंदी से इस लड़ाई का तीसरा सिरा भी उसके अंजाम तक पहुंचाना है। हम अपने मंच से जनता को जगाएंगे, उद्यमियों, पूंजीपतियों, राजनेताओं, सरकारों को बताएंगे कि महामुंबई जाग चुका है। इस अंगड़ाई के तेवर पहचानो और संभल जाओ, लोगों की मांगों और जरूरतों पर गौर करो। लोग जो चाहते हैं, वह करना ही पड़ेगा। मनमाना, अंधाधुंध जो उसकी जेब का पैसा भकोस लिया है, उसे वापस करो ब्याज सहित।

…और अंत में

आरकेबी कहते हैं कि हमे भरोसा है, हम लड़े और जीते हैं, आगे भी लड़े और जीतेंगे। हमारा महामुंबई आरकेबी शो के सहारे संघर्ष करना सीख गया है। वह देखना चाहता है कि जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।

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