: डिजऑनर किलिंग के खिलाफ कड़े कानून की मांग : नई दिल्ली : वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और कीर्ति सिंह ने केंद्र सरकार से डिजऑनर किलिंग के खिलाफ एक कड़े केंद्रीय कानून बनाने की मांग की है जिसके दायरे में ऐसे मामलों में जांच को पटरी से उतारने वाले पुलिस अधिकारियों को भी लाने की जरूरत है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में निरुपमा को न्याय अभियान, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और आईआईएमसी एलुमनी एसोसिएशन की तरफ से डिजऑनर किलिंग के खिलाफ कन्वेंशन में प्रस्ताव पारित करके निरुपमा पाठक हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग दोहराई गई.
प्रशांत भूषण ने कहा कि मौजूदा कानून भी डिजऑनर किलिंग के मामलों से निपटने में सक्षम हैं लेकिन अगर ऐसे मामलों के लिए एक खास कानून हो तो और बेहतर होगा. उन्होंने पुलिस और निचले स्तर पर न्यायपालिका में भी इस तरह के मामलों को लेकर एक तरह के नकारात्मक रवैए को निशाना बनाया.
वरिष्ठ वकील कीर्ति सिंह ने कहा कि डिजऑनर किलिंग एक नागरिक के मौलिक अधिकार- चयन के अधिकार- के खिलाफ है इसलिए इसके खिलाफ एक केंद्रीय कानून बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से इस कानून को बनाने की तैयारी कर रही है, उससे बहुत कुछ बदलने वाला नहीं है.
जेएनयू के शिक्षक समाजशास्त्री प्रो. आनंद कुमार ने कहा कि राजनीतिक आजादी तो मिल चुकी है, अब हमें सामाजिक आजादी की जरूरत है. उन्होंने कहा कि निरुपमा पाठक के मामले में पुलिस जिस तरह से जांच कर रही है, वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.
कन्वेंशन को संबोधित करते हुए नीलम कटारा ने कहा कि न्यायपालिका भी उन लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश करती है जो ताकतवर हैं. उन्होंने कहा कि कन्यादान शब्द कहता है कि महिला एक संपत्ति है जिसे दान किया जा सकता है और यह वो चीज है जो डिजऑनर किलिंग की जड़ में हैं.
प्रेस क्लब के महासचिव पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने जाति व्यवस्था को डिजऑनर किलिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञ जाति को हर चीज में इस्तेमाल करते हैं तो उनसे डिजऑनर किलिंग के खिलाफ कितनी उम्मीद की जा सकती है.
एडवा की महासचिव सुधा सुंदररमन ने कहा कि निरुपमा को न्याय दिलाने के अभियान को कोडरमा ले जाने की जरूरत है क्योंकि वहां बैठे पुलिस अधिकारी इस मामले को पूरी तरह से दबाने में जुटे हैं.
सामाजिक आंदोलनों से जुड़ी पत्रकार भाषा सिंह ने कहा कि सरकार बिना जन दबाव के कोई भी कदम नहीं उठाएगी और इसलिए मीडिया और आम लोगों को डिजऑनर किलिंग के खिलाफ सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत है. सभा का संचालन आईआईएमसी के प्रो. आनंद प्रधान ने किया. सभा में प्रस्ताव पारित करके झारखंड पुलिस के टालू और लापरवाह रवैए की कड़ी भर्त्सना की गई. प्रेस विज्ञप्ति
Bhootnath
September 14, 2010 at 6:53 am
Aims ki report ke bad yah saabit ho gaya hai ki nirupama ki hatya nahi huvi balki usne aatmhatya ki thhi. uske bad media ke chand logon dvara is tarah ka aayojan samajh se pare hai. darasal yah sab aayojan ek sochi samjhi ran-niti ka hissa hai, taaki ek propganda khara kar NIRUPAMA ko aatmhatya ke liye majboor karne vale uske youn shoshak premi priybhanshu ko bachaya ja sake. Tajjub ki baat hai ki aatmhatya saabit hone ke bad abhitak priybhanshu ko giraftar kyon nahi kiya gaya hai. shayad patrakar hone aour DELHI ke kuchh mediavalon ke halla ke karan !