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दुख-दर्द

नीरू ने गलत किया, उसे माफ कर देना था

निरुपमा पाठकनीरू की मौत (15) : धर्मेंद्र पाठक की चिट्ठी के एक-एक शब्द में दर्शन है : सवाल क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए कि कुंआरी लड़की कैसे गर्भवती हो गई? : सनातनी व्यवस्था में पला-बढ़ा इंसान अपनी बेटी को पत्र के माध्यम से धमकी भला क्यों देगा? : उस भोगवादी संस्कृति का क्या करेंगे जिसका शिकार नीरू हुई? : यहां अमेरिकन कल्चर नहीं चलेगा, यह भारत है : प्रिय भाई यशवंत, निरुपमा प्रकरण को सही तरीके से उठाने के लिए बधाई भी, धन्यवाद भी. निरुपमा जिस शहर की लड़की है, उस शहर से मेरा बहुत गहरा नाता है. मैं और डा. संतोष मानव (डिप्टी एडिटर, दैनिक भास्कर, ग्वालियर) उसी शहर के हैं. हम दोनों भाई तो वहीं की पैदाइश हैं. दैनिक जागरण के सीनियर सब एडिटर चंदन जायसवाल ने मुझे फोन पर बताया कि भइया आपके शहर की एक लेडी जर्नलिस्ट ने खुदकुशी कर ली है. रात के साढ़े 12 बजे थे. मैं गोरखपुर में सो रहा था. आपके पोर्टल पर देखा तो सारी जानकारी मिली. मन दुखी हुआ. मैंने नीरू के पिता धर्मेंद्र पाठक की चिट्ठी भी पढ़ी.

निरुपमा पाठक

निरुपमा पाठकनीरू की मौत (15) : धर्मेंद्र पाठक की चिट्ठी के एक-एक शब्द में दर्शन है : सवाल क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए कि कुंआरी लड़की कैसे गर्भवती हो गई? : सनातनी व्यवस्था में पला-बढ़ा इंसान अपनी बेटी को पत्र के माध्यम से धमकी भला क्यों देगा? : उस भोगवादी संस्कृति का क्या करेंगे जिसका शिकार नीरू हुई? : यहां अमेरिकन कल्चर नहीं चलेगा, यह भारत है : प्रिय भाई यशवंत, निरुपमा प्रकरण को सही तरीके से उठाने के लिए बधाई भी, धन्यवाद भी. निरुपमा जिस शहर की लड़की है, उस शहर से मेरा बहुत गहरा नाता है. मैं और डा. संतोष मानव (डिप्टी एडिटर, दैनिक भास्कर, ग्वालियर) उसी शहर के हैं. हम दोनों भाई तो वहीं की पैदाइश हैं. दैनिक जागरण के सीनियर सब एडिटर चंदन जायसवाल ने मुझे फोन पर बताया कि भइया आपके शहर की एक लेडी जर्नलिस्ट ने खुदकुशी कर ली है. रात के साढ़े 12 बजे थे. मैं गोरखपुर में सो रहा था. आपके पोर्टल पर देखा तो सारी जानकारी मिली. मन दुखी हुआ. मैंने नीरू के पिता धर्मेंद्र पाठक की चिट्ठी भी पढ़ी.

इस चिट्ठी के एक-एक शब्द में दर्शन है. पर, उस दर्शन का दिग्दर्शन यह कि नीरू की अकाल मौत हो गई. किस काम का है वह दर्शन. जैसा कि भारतीय मीडिया का चलन है, हमने नीरू की खबर को बेचने के लिए हरसंभव जतन किया. यह जतन जारी है. कल-परसों, किसी भी दिन यह पता ही चल जाएगा कि यह खुदकुशी थी या फिर हत्या. लेकिन एक सवाल का जवाब जरूर चाहूंगा… क्या हम बच्चों को अपनी आंखों से दूर इस बात के लिए भेजते हैं कि वह गर्भवती होकर आए? धर्मेंद्र पाठक जी को मीडिया कटघरे में खड़ा करे पर यह सवाल क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए कि एक कुंआरी लड़की कैसे गर्भवती हो गई? हत्या और खुदकुशी को मारिए गोली. यह तो वर्दी वाले (पुलिस और कोर्ट) तय ही कर देंगे कि क्या हुआ था. पर, उस बाप की, उस भाई-बहन और मां की परेशानी को कौन समझेगा जिनकी हालत बद से बदतर हो गई?

मैं नहीं जानता कि धर्मेद्र पाठक को कोडरमा जिले के लोग पत्रकार निरुपमा के पिता के रूप में कितना जानते हैं पर जिले के लोग पाठक जी को ही जानते हैं. नीरू अब इस संसार में नहीं है. उसके कर्म हैं. अमेरिकन कल्चर कहता है कि इस्तेमाल करो और फेंको. वहां सेक्स वर्जित नहीं है. जितना मजा लेना है लो, फिर आगे की देखो. लेकिन मेरे भाई, यह भारत है. हम बेशक बेहद माडर्न हो गए हैं पर हमारी जड़ों में आज भी धर्मेंद्र पाठक जैसे लोग हैं जो सनातनी व्यवस्था को मानते हैं, उसके आधार पर जीते हैं. सनातनी व्यवस्था में पला-बढ़ा इंसान अपनी बेटी को पत्र के माध्यम से धमकी क्योंकर देगा? अपने खून को धमकी देने वाला वहशी होगा, बाप नहीं.

नीरू ने गलत किया. उसे माफ किया जाना चाहिए था. पाठक जी ने उसे लगभग माफ करने का मूड भी बना लिया था (जैसा कि पत्र कहता है) पर उस भोगवादी संस्कृति का क्या करेंगे जिसका शिकार नीरू हुई? उस लड़के को क्यों नहीं खोजा जा रहा जिसने उसे गर्भवती किया? कहां है वह? उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है? क्या वह निर्दोष है? इस घटना का दूसरा पहलू और हताश करने वाला है. मेरी जानकारी में तीन अभिभावक ऐसे हैं जो संभवतः अब अपनी बच्चियों को हैदराबाद न भेजें. उनके मन में डर है. हमारे हाथ की पांचों अंगुलियां एकसमान नहीं होती और न ही हर लड़की नीरू जैसी होती है. पर, चिंता तो होती है. उस चिंता का निराकरण क्या है? आशा है, भाई लोग इस पर मनन करेंगे क्योंकि नीरू के शरीर का अंत हुआ है, इस देश से कामांधता का अंत नहीं हुआ है.

लेखक आनंद सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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0 Comments

  1. raj

    May 4, 2010 at 11:44 am

    aanand ji bahut sahi kaha aapne…4 dino se mai bhi samjhane ki koshish kar raha hu in pagal ho chuke so called journlists ko….jo journlism aur pragtishil hone ki duhai de rahe hai..unse kahe ki aisa pyar aur pragatishilta aap apni bahno aur betiyo ko bhi do…es delhi se bahar bhi ek hindustan hai…jo us paap ko manjuri nahi deta jo us ladki ne kiya…kyonki hamara desh kuchh niyam,adarsh aur dharm par tika hai ..aur hamara desh hi kyon har desh ka apni sanskriti hoti hai aur usase khilwad karne wale ka wahi hashra hota hai jo es ladki ka hua hai…khud klanoon ye sajaye deta hai….agar kisi ko koi nahi pata ho to mujhse puchh le…aur ek baat aanand bhai…koi mayank saxena hai jo aaj bhadas par hi mujhe samjha rahe the ki kunti bhi es desh me thi….unko pata hona chahiye ki kunti thi to esi desh me lekin pooja kunti ki nahi..sita ki hoti hai…jisne 14 saal tak apni ijjat bachaye rakhi thi….ek baat aur ladki ki maa ko arrest kar liya gaya hai lekin us ladke ko arrest nah ikya gaya hai jiske karan us ladki ki hatya ya aatmhatya ka mamla hua.

  2. Dheeraj Prasad

    May 4, 2010 at 12:05 pm

    धीरज प्रसाद, CNEB न्यूज़ नॉएडा से
    आनंद सिंह जी आपके विचारो को काटना गलत होगा| आपने बात एक दम ठीक कही है, यशवंत भाई इस पर आपको पुनः विचार करना चाहिए, मै आनंद साहब के विचारों को आदर देता हूँ, आप यह क्यों भूल गए की, सीता केवल रावण के यहाँ बंदी थी उसने किसी भी तरह का कोई पाप नहीं किया था, पर फिर भी समाज व संस्कृति के परिधि में आने के कारण भगवन राम ने सीता का त्याग कर दिया था, केवल इस लिए नहीं की वह रावण के यहाँ बंदी थी, फिर तो रही बात निरुपमा की तो हाँ अगर कोई ऐसी गलती कर आए तो यक़ीनन पूरा घर सदमे में आ जाता है| हम केवल निरुपमा की ही चर्चा किए जा रहे है, पर उस लडके का क्या जिसने इस परिस्थिति को जन्म दिया | हम केवल सहानुभूति की भाषा ही समझते है, पर सच्चाई को लगातार नकारते है, जो एक दम गलत है,
    यह भारत है भाई साहब अमेरिका / लन्दन नहीं, जहाँ पहले से ही कोई मान मर्यादा नहीं होती, जहाँ खुद माँ- पिता ही अपने बच्चो को अपनी गृहस्ती संभालने के लिए कह देते है, जहाँ शादी तो होती है पर तलक होने में जरा सा भी समय नहीं लगता, अमेरिका और लन्दन आदि बाहरी देशो में माँ – पिता अपने बच्चों के लिए कोई खास सपना नहीं सजा कर रखते हैं| अब आप ही बताए की क्या निरुपमा ने यह सही किया| क्या उसे इस बात का जरा सा भी ख्याल नहीं रहा, की उसके पीछे उसका पूरा परिवार भी है, वह बात अलग है की परदेश में दोनों संग रहा करते थे | गलती हम खुद भी कही न कही कर देते है, जिसे बाद में हम नकारते है |

    धन्यवाद् – आपका मित्र
    धीरज प्रसाद
    CNEB न्यूज़, नॉएडा

  3. ऋषभ

    May 4, 2010 at 12:14 pm

    मुझे भी नाराजगी है उस लड़के से, जिसके प्यार में निरुपमा ने सारी हदें पार कर दीं और उस लड़के ने बयान दे दिया की निरुपमा तीन महीने से गर्भवती थी ये बात उसे पता तक नहीं. जो दुनिया छोड़ गयी उसके चरित्र का हनन उसी का प्रेमी कर रहा है. जिसकी वजह से वो गर्भवती हुई, वही कह रहा है मी उसे यह पता नहीं. वाह रे प्रेमी. जेल में तो उस लड़के को भी केवल इसी बयान पर दाल दिया जाना चाहिए क्योंकि वो सीधे अपनी प्रेमिका के चरित्र पर उंगली उठा रहा है.

  4. siddhartha mishra"svatantra"

    May 4, 2010 at 12:15 pm

    anand g ,
    vande matram,
    is mudde se jude aapke vicharo se main purnataya sahmat hoo.magar yaha main kehna chahunga ki logo ne vikas ka galat matlab nikal liya hai.unnati ke liye har ek karm ya kukarm karne se bhi log nahi darte.jaha tak prashn hai naitikta ka to hindustan se india banne k kram me humne uski tilanali de di.jaha tak baat patrakarita ki hai to ye ek mission hai,is se jude logo ki sarva pratham kasouti charitra hoti.is liye ye hamesha dhyan rakhna padega apni pavitrata ka….nahi to taiyar rahna hoga hybride ki ek nayi kaum se mukable k liye..hybrid manav. yaha hame ek shapath leni hogi …rashtradharm ki.apni asmita ki raksha phir chahe vo neeru ho ya arushi.ghar ki maa ho ya bharat maa.is baat ki sarvapratham jimmedari hai patkaro par.tabhi ti akbar allahabadi ne kaha tha:-
    kheecho na kamano ko na talvar nikalo.
    jab top mukabil ho to akhbar nikalo.
    jai hind,jai bharat[b][u][/u][/b]

  5. Dheeraj Prasad

    May 4, 2010 at 12:18 pm

    धीरज प्रसाद, CNEB न्यूज़ नॉएडा से
    आनंद सिंह जी आपके विचारो को काटना गलत होगा| आपने बात एक दम ठीक कही है, यशवंत भाई इस पर आपको पुनः विचार करना चाहिए, मै आनंद साहब के विचारों को आदर देता हूँ, आप यह क्यों भूल गए की, सीता केवल रावण के यहाँ बंदी थी उसने किसी भी तरह का कोई पाप नहीं किया था, पर फिर भी समाज व संस्कृति के परिधि में आने के कारण भगवन राम ने सीता का त्याग कर दिया था, केवल इस लिए नहीं की वह रावण के यहाँ बंदी थी, फिर तो रही बात निरुपमा की तो हाँ अगर कोई ऐसी गलती कर आए तो यक़ीनन पूरा घर सदमे में आ जाता है| हम केवल निरुपमा की ही चर्चा किए जा रहे है, पर उस लडके का क्या जिसने इस परिस्थिति को जन्म दिया | हम केवल सहानुभूति की भाषा ही समझते है, पर सच्चाई को लगातार नकारते है, जो एक दम गलत है,
    यह भारत है भाई साहब अमेरिका / लन्दन नहीं, जहाँ पहले से ही कोई मान मर्यादा नहीं होती, जहाँ खुद माँ- पिता ही अपने बच्चो को अपनी गृहस्ती संभालने के लिए कह देते है, जहाँ शादी तो होती है पर तलक होने में जरा सा भी समय नहीं लगता, अमेरिका और लन्दन आदि बाहरी देशो में माँ – पिता अपने बच्चों के लिए कोई खास सपना नहीं सजा कर रखते हैं| अब आप ही बताए की क्या निरुपमा ने यह सही किया| क्या उसे इस बात का जरा सा भी ख्याल नहीं रहा, की उसके पीछे उसका पूरा परिवार भी है, वह बात अलग है की परदेश में दोनों संग रहा करते थे | गलती हम खुद भी कही न कही कर देते है, जिसे बाद में हम नकारते है |

    धन्यवाद् – आपका मित्र
    धीरज प्रसाद
    CNEB न्यूज़, नॉएडा

  6. neeraj kumar

    May 4, 2010 at 12:20 pm

    anad ji apne biljul sahi kaha hai. hamare samaj me bijatiye sadi swikar nahai kiya jata.kai bar majburi bas ya bache ko payar bus swikar kar bhi liya jata hai to samaj us paribar ko swiakar nahi karta , pathak ji ne koi galti nahi ki chithi likha samjhaya.galti to us media aur tathkathit patrakaro ki hai jisne court se phale age ajkar phaisla sunane laga hai

  7. abhishek shukla

    May 4, 2010 at 12:22 pm

    yaar, tum saare journalists thodi si salike wali language use nahi kar sakte kya???
    ladki ne paap kiya, bachchon ko isliye bahar bhejte hai ki vo garbhvati hokar aaye…..tum logo ke ye words padh k lagta hai ki koi jaahil kisi ki maut ki cheer-faad kar rha hai….bas karo yaar, plz kuch to sharm karo, apne peshe ki kuch to izzat rakho.

  8. ratan

    May 4, 2010 at 12:32 pm

    साले सब के सब दोगले हैं, राह चलती किसी लड़की की छाती इनकी नजरों से कभी शायद ही बची होगी। सनातन धर्म, नैतिकता की दुहाई तो हस्तमैथुन के चरम के साथ ही बह जाती है। सारे नियम कायदे लड़कियों पर ही लागू होते हैं। लड़का-लड़की लगभग शादी तो कर ही चुके थे। पर मां-बाप की इच्छा का सोचकर एक बार फिर रुक गए। लड़की अपने पिता से बेहद स्नेह करती थी। गर्भवती बनने की बात, लड़की को खुद संभवत: इसका पता नहीं था। नहीं तो इस कॉमेंट को करने वाले एडीटरों और कामेंट करने वाले और नीरू के बाप के इतिहास को उठाकर देखिए कि इन्होंने सनातन धर्म और एंटी-अमेरिकनिज्म का कितना पालन किया है। सालों के दोस्तों से पूछो की जवानी में कितनी बार फिजिकल हुए हैं। हरामी जैसे शब्दों को अस्तित्व जितनी जल्दी मिट जाए उतना ही बढिय़ा। रही सीता के महान होने की बात और कुंती की पूजा नहीं होने की बात। तो नारी ने सीता बनके सदियां बिता दी है। सालों ने दिया क्या सीताओं को। सीता को तो गूंगी बना रखा है और उसके हाथ इस संस्कृति के नाम पर सीताओं के हाथ पीछे की ओर बांध रखे हैं। और ऐसी सीता की बातें करके बस अपने चरमपंथ और मर्दवाद को रोमेंटिसाइज करना है। एड्स घर के सभी सदस्यों को मर्द से ही क्यों फैलता है? औरत से क्यों नहीं? व्याभिचार के खांचे में हमेशा औरत को ही फंसा जाता है। आज तक इन सनातनियों ने कितने मर्दों को पकड़ा है। जो कुआंरे बाप बनते हैं। जो शादी से पहले हस्तमैथुन या शारीरिक संसर्ग करते हैं।…..

  9. pk

    May 4, 2010 at 1:04 pm

    baat kuch bhi ho lekin hattya solution nahi hai anandji. maanta hu niru nein family ki lazz nahi rakhi lekin usne situation ko face kiya. rahi baat american culture ki to aap bhi ise se bacchein hain kiya? matlab hamari life tyle puri thra indian hai? hum sex ko culture se mix kar dekhtein hain, yeh hamari kuntha hai. aapke office mein hi ladies ko lekare rozana kitni kis thra ki baat hoti hai use battane ki zarrurat nahi hai. kiya aapnein bhartiya style mein rokne ki kossis ki. niru ke saathan par apki sister hooti to kiya karte.

  10. कमल शर्मा

    May 4, 2010 at 1:32 pm

    इस पूरे प्रकरण में नीरु के प्रेमी के साथ पुलिस को कड़ी पूछताछ करनी चाहिए। गर्भवती बनाने के बाद तत्‍काल लडकी से शादी करनी चाहिए थी। इतना सब हो जाने के बाद लड़की को उसके मां पिता को राजी करने लिए भेजना या जाना ही संदेह के घेरे में है। प्रेम में लोग मान मर्यादाओं का ख्‍याल रखते हैं। प्रेम का मतलब शारीरिक मजे नहीं है, लेकिन लगता है नीरु के प्रेमी ने आनंद उठाने के बाद उससे खुद ही किनारा करना अच्‍छा समझा होगा। इस दोनों के लीव इन रिलेशनशीप संबंध में क्‍या क्‍या हुआ और क्‍या कोई झगड़ा हुआ किसी को पता नहीं है। दोस्‍त लोग सब अपने अपने हिसाब से बातें बता रहे हैं। गर्भवती होने का पता न लडके को हो और न लडकी को, ऐसा हो नहीं सकता। नीरु के इस प्रेमी से पुलिस को थर्ड डिग्री का इस्‍तेमाल कर बाते पता लगानी चाहिए। यह साधारण मौत नहीं है। टिप्‍पणी में ऋषभ ने जो लिखा है वह एकदम सही है। साथ ही आनंद सिंह ने जो पत्र लिखा है वह भारतीय स्थिति को जानने के लिए सही आईना है। जांच हो तो सारे रहस्‍य सामने आ जाएंगे लेकिन पुलिस पहले उस प्रेमी को पकड़े जिसकी वजह से यह हादसा हुआ।

  11. arvind malguri

    May 4, 2010 at 1:34 pm

    बड़ा दुख हुआ आनंद जी क इस पत्र को पढ़ कर जी आप लोग उस मौत का मजाक बना रहे हैं ,मुझे एक बात आपसे पूछनी है कि आप किसी के संबंधो के बारे में इस प्रकार से कैसे कुछ कह सकते हैं .आप जिस सनातन धर्म कि बात कर रहे हैं मुझे बताइये कि उसमें कहाँ किसी की जान लेने का अधिकार किसे को है .आप एक बात भूल रहे हैं आप जिसे भोग कह रहे हैं वो आपकी मानसिकता को दर्शाता है , जब वो दोनों एक दुसरे को आपना जीवन सोंप चुके थे तथा शादी क बंधन में बंधने वाले थे तो वो भोग नहीं ,,और सेक्स की चर्चा तो आप अपने अख़बार में जो खुले आम करते हैं उसे हम किस संस्कृति से जोड़ें ..आप का ये लेख आपके अन्दर की कुंठित मानसिकता को दर्शा रहा है …..आपको बता दूँ अगर धर्मेंद्र पाठक ,निरुपमा की बात को मान लेते तो उनका स्थान निरुपमा की नजरों में और भी बड़ा हो जाता ,,अब जब सारा देश उनकी थू थू कर रहा है ,कहाँ है उनका जूठा सम्मान जिसकी खातिर एक मासूम को …………..

  12. arun

    May 4, 2010 at 2:31 pm

    Its not fair to discuss this topic more . Close this topic We can not reach on any decession . Nirpumma Died or killed ? May be killed but its better we close this topic . other wiise she was raped by words so many time .

  13. poonam prasad

    May 4, 2010 at 4:39 pm

    neeru ke pita ne jo kiya wo sab guusse ka parinaam hai. shayad unohne bhi nhi socha hoga ki unki beti ko wo khud maar denge, lekin halat aise hue ki wo apa kho baithe or apni beti ko hi kho diya. jis prakar sab keh rhe hai ki neeru or ladke ko pta nhi tha ki wo pregnent hai toh main apko bta du ki ye bilkul bhi sach nhi hai. kyunki 10-12 week ka matlub 2 month hote hain or isme ladkiyon ka monthly routine change ho jata hai. isliye ladki ko pta sabse pahle chalta hai or aisa nhi ho skta ki neeru ne apni pregnent hone ki baat apne boyfriend ko na btayi ho. kyunki neeru ko us par pura bharosa tha isliye usne baby abort nhi karwaya hoga. warna itni educated neeru koi b upaye kar skti thi jisse uska baby abort ho jaye.

  14. rahul kumar

    May 5, 2010 at 8:50 am

    कैसे वरिष्ठ पत्रकार हो आनंद. तुम तो पत्र्कार बिरादरी के नाम पर कलंक ही हो. जिसने खून किया उसके लिये तुम्हारी सहानुभुति बयां करती है कि तुम्हारे बाल-बच्चे कैसे जीते होंगे.

    रही निरू की बात.. तो तुम भाड़ में जाओ… और उसके प्रेमी पर दोष तो मत ही मढो. वो कम से कम तुम जैसओं मे से नहीं था, जो आये दिन किसी की इज्ज़त का तमाशा बनाते हैं और लम्बी लम्भी लफ़्फ़ाज़ी करते हैं. उसने ने तो शादी की सारी तैयारियां कर ली थी. पर घबराओ नहीं तुम्हारे घर भी निरु होगी, मेरे घर भी.. एक दिन हर जगह यही निरु होगी.. देखते हैं किसको किसको मारते हो..

  15. जया निगम

    May 5, 2010 at 11:07 am

    आप जो कोई भी हैं, कितने भी बड़े पत्रकार हों सुन लें – अगर नीरू ने कोई गलती थी तो सिर्फ इतनी कि उसने अपने मां-बाप और आप जैसों के चरित्र को ना समझा। उस में अपने फैसले लेने के बाद भी स्त्री की वही भावुकता बाकी कर गयी थी जिसका इस्तेमाल कर आप जैसे लोग सदियों से स्त्रियों को ठगते आए हैं।

    हां, उससे गलती हुई थी इसलिए आप जैसों के संस्कारी चेहरों के पीछे छिपे खूंखार, आदमखोर भेड़िये को वह नहीं पहचान पायी। मैं यहां पर कमेंट पढ़ने वाली और ये पोस्ट पढ़ने वाली हर लड़की से कहना चाहूंगी कि चूंकि हमने ये गल्तियां करने का साहस नहीं उठाया इसलिए नीरू मारी गयी। जब हम में से हर लड़की अपने फैसले खुद लेगी तब देखेंगे कि हमारे अपराध कौन तय करता है।

  16. nirbhay

    May 5, 2010 at 12:06 pm

    शर्मा जी आपको पता होना चाहिए, ‘नीरू का प्रेमीÓ ही इस पूरे मामले को दुनिया के सामने लाने में सबसे बढ़चढ़ कर काम किया है। नहीं तो झारखंड के उस इलाके में ऐसी तमाम घटनाएं घट चुकी होंगी, जिसके बारे में आपको क्या खुद झारखंड की मीडिया या पुलिस को भनक भी नहंीं लगी होगी। या लगी भी होगी तो उसे दबा दिया गया होगा। रही बात गर्भवती के तत्काल बाद शादी करने की, इसके बारे में कम से कम कितने समय में पता चलता है, इसके बारे में फिलहाल आप खुद पड़ताल करें। उम्र के हिसाब से आप शादीशुदा लगते हैं। इसके बावजूद शायद आपको पता नहीं कि इसमें खुद औरत को एक महीने बाद ही चल पाता है। ऐसी हालात बनने की वजह से दोनों ने तत्काल तौर पर शादी का फैसला किया और ऐसी घटना घट गई। आप के कंक्लूजन में ‘होगाÓ शब्द ज्यादा है। यानी यह साफ है कि ऑफिस में कोने की सीट पर बैठककर कंप्यूटर पर इस तरह के खयाली पुलाव पकाने के आप आदी रहे हैं। आपने भारतीय संस्कृति या स्थिति की भी दुहाई दी है। भारतीय संस्कृति के किस किताब में लिखा है कि ‘लोगÓ ऑफिस में अपनी बेटी की उम्र की लड़कियों पर कसीदे गढ़ते हैं। किस किताब में लिखा है कि रास्ते चलती लडकियों को देखकर 40 साल पार लोगों को फब्तिया कसने का अधिकार है। यही नहीं सुनने में तो यह भी आया है कि कुछ ‘लोगÓ मौका देखकर ऑफिस के लेडी बाथरूम में भी घुस जाते हैं। और कोई देख ले तो ये एक्सक्यूज देते हैं कि ‘जोर की लगी थी इस लिए ध्यान नहीं आया।Ó जरा गौर फरमाइएगा शर्मा जी शायद इस तरह की चीजे आपके आसपास भी होती होंगी।

  17. Mayank Saxena

    May 5, 2010 at 6:18 pm

    आनंद जी,
    बधाई….हार्दिक बधाई…सबके सम्मने ये सच लाने के लिए कि आप जैसे लोग भी पत्रकार हैं और वो भी वरिष्ठ….ज्यादा इसलिए नहीं कहूँगा कि इस बेहूदी और बेवकूफाना पोस्ट के कई जवाब ऊपर ही आपको दिए जा चुके हैं…आपकी आँखें खुलती हैं या आप अपनी वरिष्ठता के अहम् में और अंधे हो जाते हैं आपका फैसला होगा….पर ध्यान से साड़ी टिप्पणियाँ पढियेगा और अगर कूवत हो तो एक एक का तर्कसंगत जवाब दीजियेगा….धर्मसंगत हमेशा तर्कसंगत नहीं हो सकता है ये भी याद रखियेगा….रतन जी …जया जी और राहुल जी की टिप्पणियां पढ़ी ही होंगी….बाकी एक बात दिमाग में अच्छी तरह बिठा लीजिये….कि आप कोई नहीं होते हैं ये निर्धारित करने वाले कि नीरू गलत थी या नहीं….पत्रकारिता करिए….ईमानदारी से करिए और हिम्मत है तो उंगली भ्रष्टाचारियों के खिलाफ उठाइये….उन पर उठाइये जिनसे लड़ने में हिमात दिखे….कृपा कर के नीरू को और साड़ी ऐसी लड़कियों को बख्श दीजिये…..
    राज भाई आपके भी सारे जवाब और लोगों ने दिए हैं पढ़ लीजियेगा….
    आपका
    मयंक सक्सेना

  18. शशि भूषण कुमार

    May 5, 2010 at 6:42 pm

    मुझे यह समझ में नहीं आता कि अब सारा फोकस इस बात पर क्यों हो गया है कि निरुपमा गर्भवती थी। अगर निरुपमा या कोई और लड़की शादी से पहले गर्भवती होती है तो यह उसका पर्सनल मामला है। मां बाप अपने बालिग बच्चों के यौन जीवन में टांग क्यों अड़ाते हैं। किसी बालिग लड़का या लड़की को शादी से पहले सेक्स करना है कि नहीं करना है। यह उसका निहायत ही निजी मामला है। अगर उसे जायज लगता है तो भला मांबाप को इसमें क्या। आखिर एक बालिग आदमी अपना भला बूरा खुद समझ सकता है। यह भारतीय समाज खासतौर से जो गोबर पट्टी का तथाकथित उंची जाति वाला समाज है। यह धटियापन उसी में ज्यादा व्याप्त है। एक तरफ तो वे मिनी स्कर्ट पहने बेटियों को गर्व से देखेंगे कि हम बहुत एडवांस परिवार है। लेकिन बैचारिक तौर पर ये सारे पुरातनपंथी सड़े हुए विचारों से भरे होते है।

  19. kumar

    May 5, 2010 at 6:47 pm

    yashwant band karo is chapter ko koi mar gayee aur tum maut par mauj mana rahe ho mrit logon ko samman karte hain dushman vapne virodhi ke baareme uske marne ke baad kuchh nahi bolta pls band karo isse jo hoga court me usse likhna . yaad rakho jo dusre ke dukh ka majaak banate hain wo khud majak banate hain kya tere ghar me bahan beti nahi hai yashwant unka chehra yaad karo aur is chapter ko band karo

  20. gulshan saifi

    May 6, 2010 at 6:59 am

    alwida nirupma
    aap ko bhagwan swarg me jagah de

  21. T P Singh, Sahara Samay, Hazaribagh

    May 6, 2010 at 2:47 pm

    Dear Anand jee….
    aapne bahut sahi comments diya hai. Bhartiya darshan bahartiye kanun se bahut uncha darza rakhat hai. Dhrm samajik niyantran ki sabse badi pranali ka naam hai or in samajik verjanao ko todne ka prayas Nirupma jaisi ladki ki bali ke roop main hota hai. Agar patrakar or mahila ayog ke log hatya per sawal utha rahe hai to yah sahi hai hatyara pakda hi jaana chahiye per koi media yah sawal kyon nahi utha raha ki shadi se pehle pregnent kerne wala doshi hai or use bhi jail jaana chahiye. Tahalka main bhi aisa hi kuch likha hai
    Please chq this: http://www.tahalka.in/nirupmahindi.htm

  22. Aneeta Vashishta

    May 7, 2010 at 11:52 am

    jin jin logo ko us ladke se narajgi hai. me us sab ko ye bata dena chahti hun ki media me ese ladke bhare pade hain… kutto ki yaha koi kami nahi…
    mere paas aaiye ek ko to me khud bhog chuki hun…
    inke liye sundr ladki mahaj ek esa sharir he jiske sath ve kuchh pal maje loot sakte hain…
    inki najar me samvedna ya bhawnao ka koi mtlb nahi
    ye to bhediye hain nire bhediye…..
    jeena hai to inse ladna sikhna hi padega
    Aneeta Vashishta

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टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

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