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देखते हैं, वे कितना डराते हैं : निशीथ

[caption id="attachment_16784" align="alignleft"]निशीथ रायनिशीथ राय[/caption]सपोर्ट करने के लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद कर रहा हूं : उस वक्त मैं दिल्ली में था जब लखनऊ स्थित मेरे आवास से पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के निर्देश पर उनके लोग सामान फेंक रहे थे. कुछ ऐसे जैसे मेरा घर किसी चोर-डकैत का घर हो. यूपी में सच कहने वाले ही आजकल सरकार और प्रशासन की नजर में चोर-डकैत हो गए हैं और जो असली चोर-डकैत हैं, वे सरकार-प्रशासन के हिस्से बन शराफत का चोला ओढ़ चुके हैं. जब उनका चोला ‘डेली न्यूज एक्टिविस्ट’ (डीएनए) उतारता है तो उन्हें चुभन होती है. उन्हें तकलीफ होती है कि आखिर कोई क्यों उनकी काली दुनिया में खलल डाल रहा है. सब कुछ जो हुआ, वो एक बड़े झटके की तरह था लेकिन ऐसे झटके इतने लगे हैं कि अब ये मेरे जीवन के हिस्से हो गए हैं. सच-सच छाप देना इतना कठिन काम होता होगा, इसकी कल्पना मुझे अखबार प्रकाशित करने से पहले न थी. कई तरह के आरोप मढ़े गए. अखबार न छप सके, कई बहानों से कोशिश हुई. 

निशीथ रायसपोर्ट करने के लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद कर रहा हूं : उस वक्त मैं दिल्ली में था जब लखनऊ स्थित मेरे आवास से पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के निर्देश पर उनके लोग सामान फेंक रहे थे. कुछ ऐसे जैसे मेरा घर किसी चोर-डकैत का घर हो. यूपी में सच कहने वाले ही आजकल सरकार और प्रशासन की नजर में चोर-डकैत हो गए हैं और जो असली चोर-डकैत हैं, वे सरकार-प्रशासन के हिस्से बन शराफत का चोला ओढ़ चुके हैं. जब उनका चोला ‘डेली न्यूज एक्टिविस्ट’ (डीएनए) उतारता है तो उन्हें चुभन होती है. उन्हें तकलीफ होती है कि आखिर कोई क्यों उनकी काली दुनिया में खलल डाल रहा है. सब कुछ जो हुआ, वो एक बड़े झटके की तरह था लेकिन ऐसे झटके इतने लगे हैं कि अब ये मेरे जीवन के हिस्से हो गए हैं. सच-सच छाप देना इतना कठिन काम होता होगा, इसकी कल्पना मुझे अखबार प्रकाशित करने से पहले न थी. कई तरह के आरोप मढ़े गए. अखबार न छप सके, कई बहानों से कोशिश हुई. 

अखबार के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को लटकाया गया. अखबार छप ही न पाए, इसके लिए प्रशासनिक मशीनरी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया. लेकिन यह लोकतंत्र की ही ताकत है कि अगर आप जज्बा रखते हैं, साहस रखते हैं, तो आपके सामने लाख बुरे लोग आ जाएं, आप अपना कर गुजरते हैं. पर इस कर गुजरने के एवज में भारी कीमत चुकानी पड़ती है. वो कीमत मैं चुका रहा हूं. परिवार तकलीफ में है. आर्थिक और मानसिक नुकसान लगातार उठाना पड़ रहा है. पर एक जिद है. जिद है कि देखते हैं उन बुरे हाथों में कितनी ताकत है और हम सच कहने पर अड़े लोगों की जुबान में कितनी आवाज है. उनकी बंदूकें, उनके फौज-फाटे, उनके तख्तो-ताज… सब धरे के धरे रह जाएंगे जब एक दिन उनसे डरे लोग डरना बंद कर देंगे.

हम डरे नहीं हैं लेकिन ढेर सारे ईमानदार और बेहतर लोग सिर्फ डर के मारे चुप हैं. मैं उन सभी चुप्पी साधे ईमानदार साथियों से अपील करूंगा कि अब वक्त नहीं है. अगर आज चुप रहे तो कल उनके बुरे वक्त में भी कोई बोलने वाला नहीं रह जाएगा. आइए, कंधे से कंधा मिलाकर सरकारी और प्रशासनिक तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाएं. मैं यहां इसलिए लिख रहा हूं ताकि उन लोगों को धन्यवाद कर सकूं जिन्होंने किसी भी तरीके से मेरा समर्थन किया. मेरे और परिजनों के उत्पीड़न के खिलाफ शब्दों के जरिए विरोध का स्वर बुलंद किया. मैं सभी वेब, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों, पाठकों और बुद्धिजीवियों का आभारी हूं जिन्होंने मेरे पर हुए अत्याचार को नाजायज माना और जिस भी स्तर से संभव हुआ, मुझे नैतिक समर्थन प्रदान किया. शायद यही वो नैतिक समर्थन है जो मुझे लड़ते रहने का ऊर्जा प्रदान करता है.

आपका

निशीथ राय

चेयरमैन और प्रबंध संपादक

हिंदी दैनिक ‘डेली न्यूज एक्टिविस्ट’

लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित

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0 Comments

  1. winit

    January 21, 2010 at 8:57 am

    Ham Sab Apke Sath hai, Patrakarita ke Rajnitikaran ke sath hi uski adhogati bhi taya thi,
    Jahan Tak Mujhe Yaad Hai Maujuda UP Sarkar Me RasookhDar &RajyaMantri ka darja Prapt ,Khabariya Channel Me Parivarik Dakhal rakhne wale apke purane Mitra b Khamosh Hai, Logo ko khabar deke, logon dwara khabar lene ki baat kehne wala ye channel b screen pe party k jhande k rang se milti khabre dikha ke sarkar ki ankh ki putli bana hua hai, jabki sach kehne ke apne kartavya ka nirvahan karne wale pratarit kiye jate hai…

  2. ek patrkar

    January 21, 2010 at 10:13 am

    dekheye ….zulm aur baimani jaise danavo ki umar zyada nahi hoti ek dinn ….yeah danav daam zarooor tod dete hai ….pur ek baat kehna chaunga ki jab tak medai ke kuch so called journalist ..sarkari tantra ke sath chatukarita ka rishta banaye rakhenge tabtak yeah uthpeedan imandar logo ko jhelna he padega …… aur mai yeah baat pure yakeen se keh sakta hu ki ….. shyad he koi aisa dinn ho jab hum log jo loktantra ke fouth pillar se taluk rakhte hai …wo kahbro se samjhota nahi karte ho ….lekin iss me sabse bade zimmedaar bade pado pe baithe log hai …..

  3. Syed Athar Husain

    January 21, 2010 at 11:03 am

    Nirsish Ray ji, aap aisi satta aur use chale walo ke khilf yoo hi likhate rahiye, ham sab aapke saath hai.Sach ko kabhi maara nahi ja sakta hai.is sarkar ko janta hi sabak de degi, bas aap uski aawaaj ko kamjor mat hone dena

  4. utkarsh

    January 21, 2010 at 11:41 am

    राय साहब, मुझे ये खबर मेरे मुंबई प्रवास में मिली . साथी पत्रकारों से पूछा कि बिरादरी का रुख क्या है? तो जवाब निराश करने वाला था. कुछ दिन पहले ही बिरादरी के एक मैथ के चुनाव भी हुए थे और उम्मीद थी कि वो कुछ बोलेगी… पर आवाज नहीं आयी … उत्तर प्रदेश कि पत्रकार बिरादरी कि ये चुप्पी खल रही है. पता नहीं किसी को राजेश जोशी याद हैं कि नहीं … उनोहोने लिखा था… जो सच बोलेंगे वो मरे जायेंगे… धकेल दिया जायेगा कला के हाशिये पर …. जो चरण नहीं होंगे गुण नहीं गायेंगे…मारे जायेंगे…. ” मगर फिर सोचता हूँ यहाँ तो जमात ही चरणों कि हो गए है …..

  5. Peter Haddad

    January 21, 2010 at 11:43 am

    Nishith Rai Ji,
    You seems like communal otherwise how can you write against Mayawati Govt. who is secular.
    BTW the certificate of secularism/communalism is given by the Congress University of Secularism (a deemed university but it is not going to derecognized by Kapil Sibbal).
    The same University of Secularism owned by Congress Party certifies Mayawati and Naseemudding Siddique as SECULAR and BSP is gving the support to UPA Govt. which obviously qualifies to be called SECULAR and from media only we have learnt that whosoever is against SECULARISM is COMMUNAL

  6. Akhilesh Upadhyaya

    January 21, 2010 at 3:50 pm

    Rai Sahab, aaj patrakarita biki hui hai aur jo log sach ka aaina dikha rahe hai we ya to utpidit kiye ja rahe hai ya upekshit hain. kalan ke sachche sipahee ki aawaz ko khamosh karne ke prayash jabardast roop se jaari hain. aap to gandhiji ki tarah date rahiye hum sab aapke saath hain.
    Akhilesh Upadhyaya, Katni, M.P.

  7. Ajit

    January 21, 2010 at 12:58 pm

    Nishith Ji,

    pata nahi aapko mera mail mila ya nahi aur agar mila bhi ho to mai aapse jawaab ki aakanksha nahi karta, aap jaisa viraat vyaktitwa iske lakho chahne wale hai, lakho samarthak hai..unki vyastata ka andaza mai laga sakta hu…Nishith ji mai aapke saath hu aur Uttar pradesh ke jyadatar yuvaon ko jodkar ek manch banane ki koshish kar raha hu..aa jaise nirbhik patrkaar ki ye haalat hai to aam aadmi kikya haalat hogi..iska andaza UP melagaya ja sakta hai..Yahi Prarthna hai ki aap is bhrashtatam Sarkar ke lhilaaf kalam ki jung jari rakkhe…

    Ab teri fariyaad ke din thode hai
    Jurm ki miyaad ke din thode hai…

    Innhi aakansjaaon ke saath ki is durbuddhi sarkar aur uski mallika ko sadbuddhi mile

    Apka

    Ajir

  8. awesh

    January 21, 2010 at 1:26 pm

    ये पत्र मुझे एक मित्र ने पेरिस से भेजा है ,जो ज्यों का त्यों टिप्पणी में डाल रहा हूँ ,बता दूँ मै ‘डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट “का संवाददाता हूँ |

    Aawesh Bhaiya,
    Pranaam karta hu, bus aapse kuchh dil ki bhadaas share karna chahta
    tha isliye ye mail likh raha hu.
    Bhaiya, Mai daily news activist ka tabse fan tha jabse ye apne purane
    format me tha aur wahi se aapko bhi pahchana..
    Jabse Nishith Rai ji ke bare me , unke utpeedan ke bare me padha hai
    Tabse yahi soch raha hu ki aakhir jis pradesh me patrkaar tak
    surakshit nahi hai,Agar ye sarkar aur unke charan ya fir kahe ki
    sarkari kutte unnhe bhi kaat sakte hai tpo aam aadmi ka kya hoga..

    jis tarah ki ghatna unke saath hui kya iska koi dand nahi hai..Kyu
    patrkaar biradari chup baithi hui hai, kyu nahi neta log , patrkaar
    aur samaj ke log aage badhkar dharna pradarshan karte , kyu nahi
    mukhyamantri awas ke samne amaran anshan par baith jate..

    Kya fir se bharat me angrji rajy laut aaya hai ..Kya fir se is sarkari
    behoshi ko Azad aur Bhagat singh ki tarah Goliya aur bam hi tod sakte
    hai….

    is parakaran par to lucknow se dilli tak hil jana chahiye tha ,is
    sarkar ki bakhiya udhed deni chahiye thi patrkaro ko, wo haalat kar
    deni thi ki inke neta , inke adhikariyo ko aam aadmi se aankh milane
    me sharm aaye….

    Lekin kahi luchh nahi ho raha…Bhaiya Kya sab kuchh aise hi chalega…kya
    yahi hamari niyati hai..???Kabhi kabhi dil karta hai ki sab kuchh
    chhodkar waapas aa jaaoon aur wahi karu jo dil chahta hai…janta hu
    ki akela chana bhad nahi fod pata lekin dil ko sukoon to rahega ki kam
    se kam kuchh kar to raha hu…*

    Nahi Janta kab tak ye naukri aur pariwaar ki bnediya pairo ko rok
    sakengi itna janta hu ki ek din ye bediya tootengi ..

    Apna no. denge kabhi aapse baat karke achcha lagega,

    Aapka anuj Ajit

    Bhaiya ek baat bataye

    Ajit Pratap Singh
    e-Commerce Project Assistant
    RENAULT SAS, EUROPE
    30 BIS, Blvd de Charles de Gaulle
    Colombes, 92700
    00.33.06.43.39.63.20
    Please consider your environmental responsibility. Before printing
    this e-mail ask yourself:- “Do I need a hard copy?”
    Bien Cordialement,

  9. Sunil Sharma

    February 1, 2010 at 4:11 pm

    आदरणीय भाई साहव
    प्रणाम
    आपके ब्लाग को पढ़ा। आपके हिम्मत के लिये मैं आपको नमन करता हँू। जेसा कि आपने लिखा है कि आजकल सच कहने का साहस किसी में नहीं है तथा सच सुनने की शक्ति भी किसी में अब रही नही है हर कोई इस तरह डरने लगा तो समाज हो रही बुराईयों पर से पर्दा कोन उठायेगा किसी न किसी को हिम्मत तो जुटानी पडे़गी।आपके समाचार पत्र के बारे में तथा आपके बारे में काफी सुना है आपके जज्बे व साहस की में सराहना करता हूँ अच्छे और ईमानदार लोगों के कारण ही दुनिया चल रही है बुरे लोगों का समय कुछ समय के लिये होता है। इतिहास गबाह है। हर तानाशाह का बख्त आता है जब उसके खिलाफ समाज तो क्या सारी की सारी दुनिया खड़ी हो जाती है। मैं भगवान बिहारी जी महाराज व गिरिराज महाराज से प्रार्थना करता हूँ कि आपको और अधिक शक्ति प्रदान करे सच से लड़ने का साहस दुगना दें।
    सुनील शर्मा
    पत्रकार राष्ट्रीय सहारा
    मथुरा
    09319225654

  10. EKHLAQUE

    February 6, 2010 at 6:39 am

    Param Aadarniya- ChairMain sb.
    Aap ke blog ko parha HIMMAT Mile Apka ek adna sa sipahi hun. But aap ke sahas ka bahut bara kadradan bhi hun. Hamesha sochta tha Imandaron aur Mardon ke saath kaam karna. vo pura ho gaya. aap jaise logon ke waste jo sacchai per chalte hon unke liye har kurbani dene ke liye hamesha tatpar rahunga.
    EKHLAQUE KHAN
    DNA REPORTER
    SHAHGANJ-JAUNPUR
    9670452788, 8004192800, 9335846855

  11. anonymous

    December 6, 2010 at 10:28 am

    Yes,you are right,This maderchod government servants have developed a special and a unique culture of lifestyle and working in its own.These maderchods dont like to work without a bribe.Pay Commissions,one after another have raised their salaries,but,still they are hungry,hungry like a hell.Even at their own family,i have seen these govt servants playing a havoc and malicious games with their parents and children.Govt service,for them is a weapon for them to protect themselves.The talks of Nehruvian Socialism are gone.These are the Super Capitalists of india,who are the partners in various small and medium sized businesses and get their work done by bribing another official.God save us.

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