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फजीहत के बाद भी नहीं सुधरे जागरण के मालिक

[caption id="attachment_17759" align="alignleft" width="85"]राकेश शर्माराकेश शर्मा[/caption]: अंत में कांग्रेस प्रत्याशी नवीन जिंदल ने कहा कि संजय जी से बात हुई है, वैश्विक वित्तीय संकट की मार झेल रही कंपनी को मैं कुछ न कुछ मदद जरूर करूंगा : नकारात्मक समाचारों की जब हद हो गई तो अवतार भड़ाना की पत्नी ने फोन मिलाकर संजय गुप्ता जी की ऐसी-तैसी कर दी : चेतन शर्मा बोले कि जागरण के कार्यक्रमों में बिना कोई पैसा लिए शामिल होता हूं तो जागरण को चुनाव कवरेज के लिए पैसे क्यों दूं? :

राकेश शर्मा

राकेश शर्मा

राकेश शर्मा

: अंत में कांग्रेस प्रत्याशी नवीन जिंदल ने कहा कि संजय जी से बात हुई है, वैश्विक वित्तीय संकट की मार झेल रही कंपनी को मैं कुछ न कुछ मदद जरूर करूंगा : नकारात्मक समाचारों की जब हद हो गई तो अवतार भड़ाना की पत्नी ने फोन मिलाकर संजय गुप्ता जी की ऐसी-तैसी कर दी : चेतन शर्मा बोले कि जागरण के कार्यक्रमों में बिना कोई पैसा लिए शामिल होता हूं तो जागरण को चुनाव कवरेज के लिए पैसे क्यों दूं? :

दोस्तों अक्सर सुना करते थे कि जब थोड़ी सी बेईमानी से बहुत कुछ मिल जाए तो आदमी मान-अपमान की परिभाषा भूल जाता है। शायद यही कारण है देश में चोर-उचक्कों और लुटेरों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। बहरहाल कुछ ऐसा ही चरित्र देखने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ पेड न्यूज के मामले में दैनिक जागरण के प्रबंधन बोर्ड की कार्यप्रणाली में। लोकसभा चुनाव में पेड न्यूज को लेकर पूरा हो-हल्ला मच चुका था। दैनिक जागरण सहित कई नामी अखबारों के खिलाफ लोकसभा से लेकर कई वैचारिक मंचों पर और राजनीतिक मंचों पर यह बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा था। इसके बावजूद हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में मुफ्त के इस माल का लालच मालिक छोड़ नहीं पाए।

पहले बात करता हूं लोकसभा चुनाव की। लोकसभा चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद नोएडा में दैनिक जागरण के कई थिंक टैंक एकत्र हुए और एक लंबे सत्र में लोकसभा चुनाव को लेकर अखबार की कार्ययोजना का सजीव चित्रण करने लगे। इस दौरान मंच पर खड़े अखबार के एक सम्मानित अधिकारी ने कार्ययोजना का खाका जब प्रस्तुत करना शुरू किया तो सभी को लगा कि यार हो ना हो, अब देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को सही ढंग से स्थापित करने में हमारा अखबार एक मील पत्थर स्थापित करेगा। इस कार्ययोजना के बारे में बड़े-बड़े शब्दों में अधिकारी महोदय ने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने की बात पर जोर दिया। इसी बीच आम आदमी को मतदान के महत्व के प्रति जागरूक करने के लिए जनजागरण अभियान चलाने की घोषणा की गई। यह बात अलग है कि इस अभियान के पीछे की सच्चाई कुछ और ही थी, विषय से नहीं भटकते हुए इसकी चर्चा फिर कभी करूंगा।

अब तस्वीर के दूसरे रूख का परिचय भी आपसे करा देता हूं। इन आसमानी बातों के बाद माननीय संपादक जी और सीईओ श्री संजय गुप्ता जी ने भी पत्रकारों से देश और प्रदेश के राजनीतिक हालात की चर्चा की। इस दौरान कार्ययोजना की पक रही दाल में उन्होंने भी अपने बातों के सुगंधित छौंक लगाए। इस चर्चा के तुरंत बाद ही वे अपने चिरपरिचित विशेष अंदाज में हलके ढंग से मुस्कुराए और बोले कि अभी आप लोगों को एक और काम बताया जाएगा। इसके साथ ही दैनिक जागरण की लोकसभा चुनाव की कार्ययोजना में पलीता लगने का काम शुरू हो गया।

इसके बाद माननीय मुख्य महाप्रबंधक निशीकांत ठाकुर जी से आदेश मिले कि चुनाव लडऩे वाले सभी प्रत्याशियों से मिलो और उनसे चुनाव के पैकेज डील करो। इस काम में चुनाव आयोग की तय खर्च सीमा की दिक्कत के मामले में बात उठी तो प्रबंधन के पास पहले से ही फार्मूला तैयार मिला एडवरटोरियल (विज्ञापन और समाचार का संयुक्त रूप) के रूप में। जाहिर है कि दूध गर्म होने से पहले ही मलाई खाने के बाव देखे जा चुके थे। सूचना दी गई कि हिसाब रखने में आसानी हो इसके लिए एडवरटोरियल की हेडिंग रंग-बिरंगी छापी जाएगी।

एडवरटोरियल के फाइनल रेट तय होने की सूचना मुझे मिली फरीदाबाद के प्रबंधक प्रशासन संतोष ठाकुर से। उन्हें अखबार प्रबंधन द्वारा लिए जाने वाले मुख्य फैसलों का भी अक्सर पूर्वानुमान होता था। मुद्दे से नहीं भटकते रेट तय हुए फ्रंट पेज 180, बैक पैज 162 और इनसाइड 141 रुपये पर कालम सीसी। संतोष जी ने अपने ज्ञान की बदौलत पूर्व में तय हुए रेट रिजेक्ट होने का कारण बताया कि इस काम में माहिर माने जाने वाले कंपनी के थिंक टैंक नौ या छह के कुलांक को महत्व देते हैं।

दोस्तों यह सब कुछ तय होने के बाद जैसे-जैसे प्रत्याशियों के नामांकन का सिलसिला शुरू हुआ मुख्य संवाददाताओं की रात की नींद और दिन का चैन हराम होना शुरू हो गया। जिस भी प्रत्याशी से बात करते, वे टरकाने के अंदाज में नामांकन के बाद ही बात करने का आश्वासन देता। हालात यह हो गए कि चुनाव से ऐन पहले तक सिर पर उठाए रखने वाले नेताओं और उनके समर्थकों ने मोबाइल फोन भी सुनने बंद कर दिए।

दूसरी ओर इस काम में लगे आला अधिकारियों ने हमारे स्तर पर ढिलाई समझते हुए खुद ही नेताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया। बात नहीं बनने पर पैकेज डील नहीं करने वाले प्रत्याशियों के कान उमेठने की हिदायत जारी कर दी। इसका सबसे ज्यादा नजला गिरा कांग्रेस प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना और बसपा के प्रत्याशी चेतन शर्मा के चुनाव अभियान पर। हालांकि दोनों से ही मेरे संबंध काफी अच्छे रहे थे, लेकिन वसूली अभियान ने इज्जत तार-तार करके रख दी। आज इन नेताओं से बात करना तो दूर, नजर मिलाने में भी शर्म महसूस होती है। अवतार सिंह भड़ाना के खिलाफ छेड़े अभियान में अति की हद से भी आगे जाते हुए मुख्यमंत्री तक के कार्यक्रम की नकारात्मक रिपोर्टिंग की गई। दूसरी ओर चुनावी चक्रव्यूह में फंसे भड़ाना श्री संजय जी और श्री निशीकांत ठाकुर के उनके घर आकर रात्रिभोज तक एक साथ करने की दुहाई देते रहे। जबकि चेतन शर्मा जागरण के कई कार्यक्रमों में बिना कोई पैसा लिए शामिल होने के तर्क देते रहे।

नकारात्मक समाचारों की जब हद हो गई तो अवतार भड़ाना की पत्नी ने फोन मिलाकर श्री संजय गुप्ता जी की ऐसी-तैसी कर दी। इससे झल्लाए संजय जी ने तुरंत ही मुझे फोन मिलाया और अवतार भड़ाना की ऐसी-तैसी करने के आदेश जारी कर दिए। बंदे की जान सांसत में आई, खैर किसी तरह मामला मलाई खाने का था और भड़ाना के राजनीतिक विरोधियों के लगातार हावी होने की स्थिति बनी हुई थी तो अंत तक आते-आते स्थिति विस्फोटक होने से टल गई। वहीं दूसरी ओर चेतन शर्मा जी के चुनाव प्रभारी अपुन के मुंहबोले बड़े भाई अ मू जी ने एक दिन सुबह-सुबह ही अपनी तबीयत भी तसल्ली से हरी कर दी।

ऐसा ही रोचक वृतांत आपको कुरुक्षेत्र से संबंधित भी बता दूं। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर प्रसिद्ध उद्योगपति नवीन जिंदल दूसरी बार चुनाव मैदान में थे। यहां से मोटा माल हासिल होने की उम्मीद थी सो उनसे चुनावी डील के लिए खास तौर पर पानीपत के प्रबंधक श्री रमेश भराड़ा जी और तत्कालीन समाचार संपादक श्री सलूजा जी का प्रतिनिधिमंडल कुरुक्षेत्र भेजा गया। नवीन जी से मीटिंग तय हुई तो उन्होंने पहला ही सवाल दाग दिया कि चुनाव में उनकी स्थिति क्या है? अब डील करने वाले बेचारे क्या बताते। वे उनकी शान में कसीदे पढऩे लगे और हरियाणा में उनकी जीत निश्चित होने की हामी भरने लगे। सांसद महोदय भी कुछ कम नहीं थे।

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उन्होंने भी तपाक से पूछ लिया कि क्या फिर रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा की जीत में कुछ संशय है? आखिरकार एक-एक करके यह प्रतिनिधिमंडल हरियाणा में सभी सीटों पर कांग्रेस को जिताने को मजबूर हो गया। इस स्थिति में पहुंचने पर कांग्रेस प्रत्याशी ने कहा कि जब हमारे काम अच्छे हैं और जनता में झुकाव है तो मैं अनैतिक तौर पर अखबार से इस तरह की चुनावी डील क्यों करूं? इस पर प्रतिनिधिमंडल के चेहरे लटक गए। खैर अंत में कांग्रेस प्रत्याशी ने कहा कि संजय जी से उनकी बात हुई है कि वैश्विक वित्तीय संकट की मार से कंपनी को काफी हानि हुई है, ऐसे में समय आने पर आपकी कुछ न कुछ मदद जरूर करूंगा।

चलिए फिर से फरीदाबाद की ओर मुड़ते हैं। किसी तरह पेड न्यूज की नदी में अपनी नाव हिचकोले खाते-खाते आगे बढऩे लगी और मैं जागरण की कार्ययोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी अपने सबसे विश्वसनीय छोटे भाई जिसे मैं प्यार से वैश्य समाज के पोप और धन्ना सेठ की उपाधि से भी नवाजता था, बिजेंद्र बंसल को सौंपकर बही-खाता लेकर अपने काम में जुट गया। प्रत्याशियों और उनके समर्थकों से सारा दिन मिन्नतें करते और देर रात तक बैठकर उनके समाचार का इंतजार करते। समाचार नहीं मिलने पर खुद ही की बोर्ड को गुस्से से पीटता और उसमें से समाचार निकालता। आखिरकार किसी तरह लोकसभा चुनाव को निपटाया। इस दौरान बीच-बीच में माननीय मुख्य महाप्रबंधक जी लगातार हमारी कुशलक्षेम पूछते रहते थे, कहीं न कहीं उन्हें हम लोगों पर बने हुए दबाव की वास्तविक हकीकत का आभास था। होता भी क्यों ना। हमसे ऊपर के पायदान पर वे बैठे थे और हमारी तरह ही वे भी कंपनी के मालिक तो थे नहीं, ना ही यह पैसा उनकी जेब में जाना था। नौकरी की मजबूरी थी, सो हमें हांकने को मजबूर थे।

अब दोस्तों बात आई मलाई बांटने की तो निश्चित दिन सुबह ही सुबह माननीय निशीकांत जी ने मुझे भी नोएडा पहुंचने के लिए कहा। मैं मलाई बंटने की बात से अनजान था सो मेरी सांस अटक गई। अटकती भी क्यों ना। मेरी पेड न्यूज की परफारमेंस एनसीआर में सबसे खराब थी। उस पर कोढ़ में खाज की स्थिति यह कि अंतिम दिन एक प्रत्याशी 50 हजार रुपये की चपत लगा गया और मैं भी भागम-भाग में दस हजार रुपये का हिसाब नहीं ढूंढ पा रहा था। खैर बाद में रवानगी से पहले ही जानकारी मिल गई की मलाई बंटने वाली है और जान में जान आई।

नोएडा में मुख्य महाप्रबंधक जी के कार्यालय में पहुंचा तो मुझसे पहले ही एनसीआर के अधिकांश रिपोर्टर हाथ में मोटे-पतले खाकी लिफाफे लिए कुर्सियों पर तनकर बैठे थे। मैं भी पीछे रखी सोफानुमा वस्तु पर बैठ गया और मेरा हिसाब लेकर भी रोहिल्ला जी आ गए। मुझे देने के लिए लगभग 90 हजार रुपये का पैकेट तैयार था। महाप्रबंधक जी ने इस अंदाज से यह पैकेट थमाया कि प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन फंक्शन में सिर्फ फोटो खींचने की ही कमी महसूस हो रही थी। इसी दौरान गलती से मैं कह बैठा कि मेरे पैसे पूरे नहीं आए हैं। तुरंत ही लिफाफा वापिस ले लिया गया और नए सिरे से हिसाब बनाकर लगभग 30 हजार रुपये सफेद लिफाफे में डालकर दे दिए गए। इसमें से चार हजार रुपये कार्यालय लौटने पर संतोष जी ने मांग लिए जो आज तक नहीं लौटाए हैं। बाकी डेस्क को हिस्सेदारी के तौर पर बाद में 20 हजार रुपये की अदायगी भी करनी पड़ी।

विधानसभा चुनाव की पूरी बात करूंगा तो काम लंबा हो जाएगा, फिलहाल संक्षेप में। विधानसभा चुनाव में पेड न्यूज की कमान चंडीगढ़ की प्रभारी बहन मीनाक्षी जी के हाथ में थी। इस फरमान से नोएडा में सब खुन्नस खाए हुए थे। कभी मीनाक्षी जी की शान में कसीदे पढऩे वाले समाचार संपादक कमलेश रघुवंशी जी तो सबसे अधिक तमतमाए हुए थे। उन्होंने पेड न्यूज के मामले में चंडीगढ़ के माध्यम से प्राप्त होने वाली फाइलों को ही प्रकाशित करने की बात कहते हुए हमें आदेश जारी कर दिए कि चंडीगढ़ की किसी भी तरह से कोई मदद ना की जाए। तीन दिन तक इस तरह से आपाधापी की स्थिति रखी गई कि पेड न्यूज के क्लाइंट को दरकिनार कर मंगा-मंगाकर मुफ्त के लोगों को तान-तानकर छापा गया। इसी कारण पैकेज लेने वाले अधिकांश लोगों ने अपने तय पैकेज के अनुसार राशि अदा नहीं की और कंपनी को लगभग आधे पैसों से ही संतोष करना पड़ा।

बात बिगड़ी तो मीनाक्षी जी नोएडा पहुंची और हाईकमान ने उनकी बात को तवज्जो देते हुए नए सिरे से स्पष्ट आदेश जारी किए। इसके बाद नोएडा वालों के पास मुंह लटकाने और चुप्पी साधने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था। इस सारे घटनाक्रम के बीच मेरे लिए भी भविष्य की भूमिका तैयार होने लगी थी, जो वर्चस्व की लड़ाई में जुटे फरीदाबाद में जमे रहने के इच्छुक लोगों के लिए भी बड़ी नींव बनी। विधानसभा चुनाव की मलाई के परिणाम स्वरूप मीनाक्षी जी को माननीय राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी पाटिल जी के साथ लंदन जाने का अवसर मिला तो मेरी रवानगी नए साल के पहले दिन रोपड़ की ज्वाइनिंग रिपोर्ट करने के लिए जालंधर की तरफ हुई।

आपका

राकेश शर्मा

पूर्व मुख्य संवाददाता

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दैनिक जागरण

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0 Comments

  1. kamta prasad

    July 24, 2010 at 6:55 am

    Dear friend, thanks for authentic information. The only morality of capitalistic class is money. So what can we people do except to change the entire system.

  2. VIKRAMJEET, PATNA

    July 24, 2010 at 9:36 am

    dear sir,

    now days organisation has been open plateform of ppolitics, if we have to secure our job and have to get a minute promotion and increment from organisation then we always have to be ready to speak tell a lie, chori, chamari and makkari in favour of organisation, which we have nt learnet from our parrents.
    Jagran is plateform to converting to employee as theaves, who join it with white touth, humour and devotion.
    The reporterand sales guy who become more fraudy become a big rich like mr. jagannath gautam, and a who become honest , either have to leave the job or live in futticher halat.
    And upper management will enjoy with creames and malish to their seniors so that they could attain growth and their subordinates become fatticher as on.

  3. Sanjay Bhati Editar SUPREME NEWS

    July 24, 2010 at 12:17 pm

    thank u sharma jee … aap se eak sawal ka jabab janana chahata hu jagran k patrkaro ki salri ki ditail bhi de jisse kuch or saf ho sake ke hum janta ko kuch samjha sake ….aap ka chota bhai sanjay bhati .mobile no 9811291332,9311808705 . yesvant ji inehe nanga karne ka moka Supreme news ko bhi dete raha karo .Thank u Bhadas4Media & yeswant bhai .

  4. Sanjay Bhati Editar SUPREME NEWS

    July 24, 2010 at 12:17 pm

    thank u sharma jee … aap se eak sawal ka jabab janana chahata hu jagran k patrkaro ki salri ki ditail bhi de jisse kuch or saf ho sake ke hum janta ko kuch samjha sake ….aap ka chota bhai sanjay bhati .mobile no 9811291332,9311808705 . yesvant ji inehe nanga karne ka moka Supreme news ko bhi dete raha karo .Thank u Bhadas4Media & yeswant bhai .

  5. Sanjay Bhati Editar SUPREME NEWS

    July 24, 2010 at 12:39 pm

    rakesh jee thank you & yesvant jee thank you .aapne is mison me supreme news ko bhe moka dete raha karo .

  6. Ajay Golhani, Nagpur

    July 24, 2010 at 2:39 pm

    क्या कहें शब्द नहीं मिल रहे. नेता, पुलिस, उद्योगपति तो भ्रष्ट है ही, अब मीडिया पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता. अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘रण’ इस मामले में सही साबित होती है.

  7. raj

    July 25, 2010 at 9:40 am

    sir ji parnam , apka likha hua bahut Badia tha , age bhi ase hi Bajate raho.

  8. chitra

    July 26, 2010 at 12:00 pm

    excellent………. keep it up……:D thanks for bhadas 4 media… really its good.

  9. chauthisatta

    July 26, 2010 at 4:12 pm

    wo…. my god!!!!!!!!!!!

  10. Sachin

    July 27, 2010 at 6:16 am

    Kitni Sharmnak Sthiti hai. Hamam mein sab nange hain. Bhrasht Achran ke liye Netaon ko Gariyane Wale Akhbar khud kitne gir chuke hain, ye ab sabke samne hai. Rakesh ji ki Himmat ko daad deni chahiye ye sachchai ujagar karne ke liye. Akhir koi No. 1 kaise ban jata hai ye iska lekha jokha hai. Jis sansthan ke karmchari pareshan or frustrated ho vo kitna hi No. 1 hone ka dhol peet le, ek din vah jameen par jarur aata hai. Ye safalta hawai hai or thode samay ke liye hai. Anaitik marg par chalkar koi jyada lambe samay tak Oonchai par nahi rah sakta. Netaon ko Bhrasht samajhne walon ko aaj samajh mei aa raha hoga ki Media Rajniti se kahin jyada Bhrasht ho chuka hai.

  11. narendra bhati'

    July 28, 2010 at 12:17 pm

    jawant bhai denik gagran kai maalik es smay andhe ban gaye hai..unhe es smay kabal noot hi noot dhikh rahe hai…denik jagran akhbar nahi rha hai khabro ki dukan baan gaya hai paisa do aur khabar chapbao yahe halat ho gaye hai media ki phale patrkaro ko log kitna samman karte thai,lakin en danik jagarn kai patrkaro nai beda gark kar diya hai,danik jagran mai kuch acche patkar bhi hai jinhe bhar ka rasta dikha diya jata hai

  12. shrawan sharma

    July 31, 2010 at 1:38 pm

    pyare mitro namaskar,sabse pahle iss web site ko dhanyawad karta houn’ mai aap logon se yah kahna chahta houn ki aaj bhi is kshetra mai imandar patrakaron ki kamee nahi hai.

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