: पेड न्यूज़ विरोधी अभियान ने जोर पकड़ा : पेड न्यूज़ के ख़िलाफ़ बिहार और झारखंड के पत्रकारों द्वारा छेड़े गए अभियान से पत्रकारों के जुड़ने का सिलसिला जारी है। जनसत्ता के संपादक ओम थानवी का कहना है कि उनका अख़बार हमेशा से इसका विरोधी रहा है और वे पेड न्यूज़ के ख़िलाफ़ चलने वाले हर आंदोलन के साथ हैं। रामकृपाल सिंह का स्पष्ट मत है कि अगर पैसा लेकर ख़बरें छाप या दिखा रहे हैं तो उन्हें ये छिपाना नहीं चाहिए क्योंकि ये पाठकों और दर्शकों के साथ धोखाधड़ी है। नक़वी ये कहते हुए मुहिम में शामिल हुए कि पेड ख़बरों को ठीक ढंग से परिभाषित करने की ज़रूरत है।
जनसत्ता के संपादक ओम थानवी और नवभारत टाइम्स के संपादक राम कृपाल सिंह के अलावा आज तक के न्यूज़ डायरेक्टर क़मर वहीद नक़वी, आउटलुक संपादक नीलाभ मिश्रा, परवेज़ अहमद (अध्यक्ष, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया), वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल, एनडीटीवी के रवीश कुमार, न्यूज़24 के अजीत अंजुम ने इस मुहिम का साथ देने का फैसला कर लिया है। अरुण कुमार (महासचिव, बिहार श्रमजीवी पत्रकार संघ), वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया, दिलीप मंडल (आईआईएमसी), अनुरंजन झा (सीएनईबी), नवेंदु(मौर्य टीवी), श्रीपाल शक्तावत (सीएनईबी), यशवंत देशमुख (यूएनआईटीवी), शिव कुमार राय (पी7न्यूज), ब्रजेश राजपूत (स्टार न्यूज़), प्रमोद चौहान (आज तक), ओंकारेश्वर पांडे (संडे इंडियन), सुनील पांडे, प्रेम कुमार (मौर्य टीवी) भी अभियान से जुड़ चुके हैं। यह जानकारी एंटी पेड न्यूज़ फोरम की तरफ से जारी विज्ञप्ति में दी गई है.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि पेड न्यूज़ के ख़िलाफ़ छेड़े गए आंदोलन को लेकर पत्रकार जगत में बहुत अच्छी प्रतिक्रिया हुई है। बिहार झारखंड ही नहीं देश भर के पत्रकारों की ओर से इस मुहिम में शामिल होने और उसे सहयोग देने के संदेश लगातार मिल रहे हैं। बहुत से पत्रकार 28 अगस्त को पटना में होने जा रहे महासम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं।
कुछ लोगों ने कुछ पत्रकारों के इस मुहिम में शामिल होने को लेकर शंकाएं प्रकट की हैं। फोरम का कहना है कि वह हर उस व्यक्ति का स्वागत करती है जो पेड न्यूज़ के ख़िलाफ़ खड़े होने के लिए तैयार है। उसका ये भी मानना है कि न तो वह किसी का चरित्र परीक्षण करने की इच्छा या हैसियत रखती है और न ही चरित्र प्रमाण पत्र बाँटने का उसका इरादा है। उसका ये मानना है कि अगर अच्छी नीयत से लोग जुटेंगे तो ऐसे तत्व खुद ब खुद हाशिए पर चले जाएंगे। कई पत्रकारों ने कुछ सैद्धांतिक प्रश्न भी उठाए हैं। फोरम का कहना है कि वह खुला मंच है और सब पत्रकारों को मिलकर ही इन प्रश्नों को हल करना चाहिए। सबसे बड़ी ज़रूरत इस बात की है कि सब एकजुट हों और इस मुहिम को आकार देते हुए आगे बढ़ाएं।
Comments on “थानवी, नक़वी, रामकृपाल, नीलाभ भी जुड़े”
कई लोगों के नाम देख कर तो लग रहा है….हाहाहाहा…..क्या मज़ाक है….
paid news virodhi aabhiyan ko mera purna samarthan hai. Isi ke khilaf maine sahara chor diya hun. journalism ek mission hi hai. kamane ka jaria bahut hai. malikon ko kamane ke liye aur koi rashta talashna chahie. patrakarita ko mukt rakhie.
DEBASHISH BOSE, State Vice President, NUJ Bihar, MADHEPURA, Mb. 9431254951, Ph. 06476 222244
तो सत्ता की मलाई जूठन के तौर पर चाटने वाले बड़े पत्रकार पूंजीवाद को सदाचार सिखाएंगे। ऐसा होगा नहीं यह विज्ञान-विरुद्ध बात है।
पेड न्यूज जिंदाबाद।।
बनियों की पूंजीलिप्सा को सलाम।
जितनी जल्दी इस सिस्टम की गंदगी बाहर आये उतना ही शुभ होगा। एनजीओ पंथ मुर्दाबाद।
इसमें तो कुछ नाम ऐसे जुड रहे हैं जिन्हे देखकर लगता है कि वह इस मुहिम के बहाने अपने चेहरे पर परदा डालना चाहते हैं या फिर वो मलाई नहीं काट पाए ….
Jab Har shakh per ulloo baitha hai to anjame gulistan kya hoga
भाई लोग यकीन नहीं करना ,वास्तविकता वही है जो पीपली लाईव में देखा होगा ,भाई लोग कंबल ओढ़ कर घी पिएंगें। पता नहीं रवीश कुमार और अजीत अंजुम जी कैसे फंस गए इस टोली में, बिहार में चुनाव आते ही बहुत से न्यूज चैनल मैदान में आ गए हैं ,कैसे चलेंगें सबको पता है ,नीतिश के गुणगन के लिए कितने -कितने पैसे लिए है सब पता है भाई खूब कमाए हैं, अब हज की तैयारी है अकेले भाव नहीं मिलेगा इसलिए गुट बना लिए हैं ,एकता में ही बल है भाई सब पता है —हा –हा –हा —हा लगे रहो भाई कुछ और लोगों को शामिल कर लो ।
एक कहानी याद आती है. बचपन में सुनी थी. जंगल में रहने वाली कोयलों को एक बंदर बहुत तंग करता था. उन्हें अपनी फरियाद जंगल के राजा तक पहुंचानी थी लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था. कुछ कौए उनके पास आए और उन्होंने कोयलों की मदद करने का भरोसा दिया. उन्हें विश्वास दिलाया कि वे उन्हें इंसाफ दिलाए बिना दम नहीं लेंगे. ये वही कौए थे जो बंदरों को कोयल के घोसले के ठिकाने बताते थे क्योंकि कोयलों ने अपने अंडों और कौवे के अंडो में फर्क करना सीख लिया था. पेड न्यूज के खिलाफ कोयलें इक्ठठी हो रही हैं यह बहुत अच्छा है लेकिन इसमें कई ऐसे कौवे हैं जो बिना खबर के अंडर द टेबल इमपोर्टेंस समझे उसे खबर ही नहीं मानते. कभी रिपोर्टर के तौर पर 50 रुपये लेकर खबरें छापते अब ओहदे के मुताबिक कैश और ‘काइंड’ दोनों में लेने लगे हैं. काइंड वाला मजा तो कुछ ज्यादा ही काइंडली ले रहे हैं. ;D;):P8)
ऐसे छद्म विरोधियों को कोटि-कोटि प्रणाम.
इसमें अनुरंजनवा भी है!
क्या मुकेश जी, जो खुद पेड न्यूज के जरिए करोड़ों का बिजनेस दिलाने का लालीपाप थमाकर सीएनईबी का सीओओ बना हो, वह पेड न्यूज के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा? अब लगने लगा है कि ये एंटी पेड न्यूज कंपेन सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट है…..
सखी सैंया तो खूब कमा लिए हैं और अब पेट भर गया है तो इस आन्दोलन से जुडकर थोडा सुस्ता रहे हैं. कई पत्रकार और न्यूज़ चैनल्स के बडे नाम क्या बिहार चुनाव में अपने चैनल पर पेड न्यूज़ रोक पायेंगे?? चैनल और अखबार पत्रकार नहीं सेठ चलाते हैं यह भूल गए क्या? सिर्फ हंगामा खडा करना मकसद हो तो कोई बात नहीं लेकिन इस मुद्दे पर सच्मुच गम्भीर हो तो विरोध में नौकरी छोडने का माद्दा है किसी में???
ETv is at top on paid news, can anybody talk to Ramoji Rao that Jagdish Katil is selling his channel to polititons. Ask Katil and CP JOshi , why Rural Devolpmant Ministry is giving too much add to ETV………..not to other channels. Nitish Kumar paid in cash to all the channels for his vikas yatra. Bhupender Singh hooda paid even to Bhaskar during assembally election. Shashi Shekhar is talking too much now, but he was instrument for selling space to polititions in Uttrakhand Election and Bhaskar get black money from polititiopns in Loksabha and Assembaly elections in MP……………am i wrong.