आयकर विभाग ने छापा मारा : भोपाल से प्रकाशित और मध्य प्रदेश के कई शहरों से प्रकाशन के लिए तैयार अखबार पीपुल्स समाचार के प्रकाशक समूह पीपुल्स ग्रुप ने करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी की है। यह खुलासा इस ग्रुप पर पड़े आयकर छापे के बाद हुआ। कई डेंटल और शैक्षणिक संस्थाएं चलाने वाले पीपुल्स ग्रुप के भोपाल, दिल्ली, मुंबई के आफिसों पर पड़े छापे में आयकर टीम के हाथ कई अहम दस्तावेज लगे हैं। आयकर टीम ने दो करोड़ रुपये की कर चोरी की पुष्टि की है। पीपुल्स ग्रुप के मुंबई स्थित कार्यालय में मारे गए छापे में दो फ्लैट की जानकारी आयकर टीम को मिली है। बताया जाता है कि इन फ्लैटों का वास्तविक मूल्य ज्यादा है, पर कागजों में इन्हें बहुत कम कीमत पर खरीदना बताया गया है। इनके दिल्ली स्थित निवास को सील कर दिया गया है। दस्तावेजों की जांच का काम अब भी जारी है।
पीपुल्स ग्रुप मूलतः चिकित्सा शिक्षण से संबद्ध है। इस ग्रुप के तीन कालेज हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- पीपुल्स मेडीकल कॉलेज, पीपुल्स डेंटल कॉलेज, पीपुल्स कॉलेज ऑफ नर्सिग एवं पैरामेडिकल कॉलेज। इस ग्रुप के कई आफिस व मकान दिल्ली, मुंबई समेत कई शहरों में हैं। सुरेश एन विजयवर्गीय पीपुल्स ग्रुप के चेयरमैन हैं। इस ग्रुप को चैरिटेबल व नान-प्राफिटेबल पब्लिक ट्रस्ट सार्वजनिक जनकल्याण परमार्थिक न्यास की ओर से शुरू किया गया। पीपुल्स ग्रुप के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में कई लोग हैं। इनमें एक हैं आईएम सिद्दिकी। ये भेल के एजीएम (सिविल एंड टाउन एडमिनिस्ट्रेशन) रह चुके हैं। पीपुल्स ग्रुप में इनका पद प्रोजेक्ट डायरेक्टर का है। कैप्टन अंबरीश शर्मा डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन हैं। रिटायर्ड कर्नल अशोक खुराना डायरेक्टर प्लानिंग एंड डेवलपमेंट हैं। कैप्टन रुचि विजयवर्गीय डायरेक्टर एचआर और आईटी हैं। नेहा विजयवर्गीय डायरेक्टर लाजिस्टिक हैं। पीपुल्स ग्रुप मीडिया में भी पांव पसार रहा है। पिछले दिनों इस समूह ने अखबार व मैग्जीन लांच किया। अखबार का नाम पीपुल्स समाचार है। मैग्जीन का नाम पीपुल्स पोस्ट है। इस मैग्जीन व अखबार के प्रधान संपादक पीपुल्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश एन विजयवर्गीय ही हैं। अखबार के भोपाल संस्करण के संपादक वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश सिंह हैं। मैग्जीन के संपादक ललित शास्त्री हैं। इस ग्रुप की योजना निकट भविष्य में टीवी चैनल लाने की भी है। ‘सबसे आगे और सबसे अलग’ नारे के साथ लांच किए गए अखबार पीपुल्स समाचार के प्रकाशक समूह की छवि पर करोड़ों की कर चोरी के बाद गहरा आघात लगा है।
आयकर विभाग ने जो छापा मारा, वह सिर्फ पीपुल्स ग्रुप पर ही नहीं था बल्कि मध्य प्रदेश में इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज संचालित करने वाले उसी जैसे कुल पांच समूह इसके चपेट में आए हैं। इन पांचों समूहों के भोपाल, मुंबई, दिल्ली, रीवा और जबलपुर में स्थित कुल 47 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापा मारा गया। इनमें 35 केंद्र भोपाल में हैं। छापों में आयकर विभाग को कई करोड़ रुपये की नगदी, कई किलो सोना, सैकड़ों बैंक लॉकर, करोड़ों की एफडी और अरबों की अघोषित सम्पत्ति से जुड़े दस्तावेज मिले। छापे में कुल 300 अधिकारी और 100 पुलिसकर्मी लगे। पीपुल्स के अलावा और जिन ग्रुपों पर छापा पड़ा, उनके नाम हैं- एलएनसीटी, ग्लोबस ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूट, आरकेडीएफ। आरकेडीएफ ग्रुप के कालेजों के नाम हैं- आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट, भाभा इंस्टीट्यूट, वेदिका इंस्टीट्यूट, सीहोर में सत्यसांई कॉलेज, रीवा और इंदौर में भी कॉलेज। एलएनसीटी ग्रुप के कालेजों के नाम हैं- भोपाल में एलएनसीटी, जेएनसीटी व जेके मेडिकल कॉलेज। इंदौर और ग्वालियर में भी कॉलेज।
ये छापे इन समूहों द्वारा मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में विद्यार्थियों को प्रवेश के मामले में अधिक धनराशि वसूलने के संबंध में मारे गए हैं। आयकर अधिकारियों के अनुसार उन्हें डी-मेट परीक्षा से पहले कॉलेज संचालकों द्वारा डोनेशन के नाम पर अवैध वसूली की शिकायत मिली थी। विभाग के पास पुष्ट जानकारी थी कि इस तरह जुटाई गई रकम करोड़ों में है। दिल्ली व मुंबई में छापों में उजागर हुआ कि फर्जी कंपनी बनाकर हवाला के जरिए विदेशों से करोड़ों का लेनदेन किया जा रहा था। यह राशि शेयर बाजार में लगाई गई और लोन के रूप में बांटी गई थी। कम्पनियों के यहां से मिले दस्तावेजों में प्रदेश की राजनीति से जुड़े कद्दावर नेताओं के नाम भी हैं। छापे में मिले करोड़ों रुपये में सबसे ज्यादा दो करोड़ रुपये के लगभग एलएनसीटी ग्रुप संचालकों के यहां से मिले हैं। जानकारी के मुताबिक एसके चौकसे के यहां करीब 90 लाख, जेएन चौकसे के यहां से करीब 55 लाख और मुकेश चौकसे के यहां से करीब 10 लाख रुपए नकद बरामद हुए हैं। इसके अलावा यहां से करीब तीन किलो सोने के जेवर और दस से भी ज्यादा बैंक लॉकर मिले हैं। रीवा में अरुण बंसल के यहां मारे गए छापे में करीब तीस लाख रुपए नकद मिलने की जानकारी मिली है।
छापे की कार्रवाई मध्य प्रदेश विधानसभा के अपर सचिव सत्यनारायण शर्मा के भोपाल और रीवा स्थित आवासों पर भी की गई है। आयकर अधिकारियों को विधानसभा में अपर सचिव सत्यनारायण शर्मा के आवास में घुसने के लिए उनका दरवाजा तोड़ना पड़ा। आयकर अधिकारी घर के भीतर जांच कर पाते, इससे पहले ही कई दस्तावेज जला दिए गए। छापों में विधानसभा में अपर सचिव सत्यनारायण शर्मा की इंजीनियरिंग कॉलेज में भागीदारी की पुष्टि हुई है। वहीं उनके अधीनस्थों में अवर सचिव केके शर्मा और स्टेनो पीके द्विवेदी के भी इंजीनियरिंग कॉलेज होने की बात सामने आई है। शर्मा की सेवा की शुरुआत 15 वर्ष पहले दैनिक वेतनभोगी के रूप में हुई थी। इसके बाद वे अपर सचिव तक पहुंचे। आयकर विभाग ने अपर सचिव समेत दो अन्य कर्मचारियों के यहां छापे की जानकारी विधानसभा सचिवालय को दे दी है। शर्मा द्वारा करीब दो करोड़ रुपए का बैंकों से लेनदेन करने के भी प्रमाण आयकर विभाग को मिले हैं। शासन के नियमों के विपरीत किए गए इस लेनदेन को अपर सचिव कैसे करते रहे, यह भी जांच का विषय है। आयकर विभाग इसकी जांच हेतु प्रदेश और केन्द्र सरकार को पत्र लिखेगा। इंजीनियरिंग कालेज में छात्रों को प्रवेश के बदले मोटी कमाई करने वाले अधिकारियों में से एक ने अपनी पदोन्नति पाने के लिए उच्च स्तर पर खुश करने का पूरा इंतजाम कर लिया था। पदोन्नति मिल जाए, इसके लिए उन्होंने एक नई स्कार्पियो कार और मोटी रकम भी भेंट कर दी थी।