श्रद्धांजलि सभा में सोपान जोशी बोले : पत्रकार प्रभाष जोशी के निधन पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में प्रभाष जी के बेटे सोपान जोशी ने कहा कि जो काम पिता अधूरा छोड़ गए हैं वे पूरे हो जाएं, लोग मिलकर मदद करें, यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रभाष जोशी के छोटे भाई सुभाष जोशी ने कहा कि वे जो भी काम शुरू करते थे, उसे पूरा होने तक बड़े मनोयोग से करते थे। उन्होंने कहा कि उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि यही हो सकती है कि हम उनके अधूरे सपनों को पूरा करने की दिशा में बढ़ें।
गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर चार के मेवाड़ संस्थान में आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा में पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, लेखकों और सामाजिक लोगों ने प्रभाष जी को श्राद्धांजलि अर्पित की और उनके अधूरे कामों को पूरा करने का संकल्प लिया। सभा में प्रभाष जी के परिवार के लोग भी उपस्थित थे।
लोक गायक मालवी कालूराम बागनियां ने भजन गाकर प्रभाष जी को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर पत्रकार एनके सिंह ने कहा कि आज पत्रकारिता का जो दौर चल रहा है ऐसे समय में प्रभाष जोशी जिस तरह की पत्रकारिता जिंदा रखना चाहते थे, उसे अब बाकी पत्रकारों को मिलकर सहेजकर रखना होगा, आगे बढ़ाना होगा। संकल्प लेना होगा कि हम सभी उसी दिशा में काम करें, तभी उनके सपने को हम पूरा कर पाएंगे।
जवाहर लाल कौल ने कहा कि प्रभाज जी ने समाज सुधार का प्रयास किया। उन जैसे कलम के धनी की कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता। मस्तराम कपूर ने कहा कि समाजवाद से उनका ज्यादा संबंध नहीं था मगर फिर भी वे उसके बारे में जानना चाहते थे। पुण्य प्रसून बाजपेयी ने प्रभाष जी के प्रति अपनी कोमल भावनाओं और जिंदगी में प्रभाष जी के योगदान के बारे में बात रखी। पुण्य प्रसून की एक बात सबके मन को छू गई जिसमें उन्होंने बताया कि टीवी पर एक शोक के दौरान ब्रेक में उन्होंने प्रभाष जी से पूछा कि आप अगर नौजवान होते, हम लोगों की उम्र में होते तो क्या कर रहे होते। इस पर प्रभाष जी ने कहा था कि वे आंदोलन चला रहे होते, पत्रकारिता का आंदोलन।
कार्यक्रम में पत्रकार साथी और परिजन अरुण पांडेय, अरुण त्रिपाठी, अरविंद मोहन, प्रदीप सिंह, प्रियदर्शन, गोपाल जोशी, संदीप जोशी, उषा जोशी ने अपनी-अपनी बात रखी। संचालन मनोज मिश्र ने किया और आभार अशोक कुमार गदिया ने जताया।