आर्थिक व सदस्यता संबंधी गड़बड़ियों की जांच व चुनाव कराने का काम भी रिसीवर संभालेंगे : दिल्ली में पटियाला हाउस कोर्ट ने प्रेस क्लब आफ इंडिया की किच-किच को खत्म करते हुए वहां अपना रिसीवर बिठाने का फैसला किया है। रिसीवर एकाउंट और मेंबरशिप की गड़बड़ियों की जांच-पड़ताल करने व नया चुनाव कराने का कार्य संपादित करेंगे। ज्ञात हो कि प्रेस क्लब के महासचिव पद से हटाए गए पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ आपसी लड़ाई को अदालत लेकर गए थे। उन्होंने ईजीएम बुलाकर खुद को हटाए जाने को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में चुनौती देते हुए ईजीएम के फैसले को खारिज करने व पुरानी कमेटी को बहाल करने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने इस मामले की त्वरित गति से सुनवाई की। हर दूसरे दिन तारीख पड़ती रही और दोनों पक्ष अपने-अपने तर्कों को पेश करते रहे। कुल छह तारीखों के बाद कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया। फैसले के मुताबिक गड़बड़ियों की जांच-पड़ताल के लिए रिसीवर नियुक्त किया जाएगा। रिसीवर हाईकोर्ट के कोई पूर्व या वर्तमान न्यायाधीश होंगे। कुछ लोगों का कहना है पूर्व जस्टिस चावला को रिसीवर नियुक्त कर दिया गया है।
वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि रिसीवर का नाम अगले कुछ दिनों में तय होगा। जब तक रिसीवर आकर काम नहीं संभाल लेते, पीपी बालाचंद्रन की अगुवाई में वर्तमान अंतरिम कमेटी ही काम करती करेगी। रिसीवर के आने पर प्रेस क्लब का सारा कामकाज उनकी निगरानी और देखरेख में होगा। कोर्ट के इस फैसले की व्याख्या दोनों पक्ष अपने-अपने हिसाब से कर रहे हैं। पुष्पेंद्र कुश्रेष्ठ के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले और ईजीएम बुलाकर चुनी हुई कमेटी को भंग कराकर अंतरिम कमेटी बनवाने वाले नदीम अहमद काजमी ने भड़ास4मीडिया को बताया कि वे कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। अब सब कुछ सामने आ जाएगा। रिसीवर गड़बड़ियों और घपलों की जांच करेंगे। यही हम लोगों की मांग थी। अगर जांच हम लोग करते-कराते तो उंगली उठ सकती थी। इसलिए ज्यादा अच्छा है कि कोई निष्पक्ष तीसरी पार्टी जांच करें। हाईकोर्ट के पूर्व या वर्तमान जज से जांच कराने से रिपोर्ट पर कोई उंगली नहीं उठा पाएगा। हम लोग हमेशा यही कहते रहे हैं कि प्रेस क्लब में जो कुछ भी हो, वह बिलकुल निष्पक्ष व पारदर्शी हो। नदीम ने बताया कि अगले कुछ दिनों में रिसीवर की नियुक्ति हो जाएगी।
प्रेस क्लब के वरिष्ठ सदस्य अरविंद कुमार सिंह ने इस प्रकरण पर कहा कि मामला आपसी बातचीत से सुलझा लेना चाहिए था। कोर्ट जाने और कोर्ट द्वारा रिसीवर की नियुक्ति की स्थिति नहीं आनी चाहिए थी। आपस में झगड़ा होना दुर्भाग्यपूर्ण है। झगड़े से प्रेस क्लब की छवि पूरे देश में खराब हुई है। अगर आपसी तालमेल सही होता तो मामला कोर्ट में न जाता और न ही रिसीवर नियुक्ति करने की स्थिति आती। कोर्ट ने देखा कि यहां तो बहुत झगड़ा है और ढेर सारे आरोप-प्रत्यारोप हैं तो इसका समाधान निकालने के लिए रिसीवर का नियुक्ति करने का फैसला किया है। फैसले का अब सभी को स्वागत करना चाहिए।
भड़ास4मीडिया ने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया लेने के लिए जब पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ को फोन मिलाया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।