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बहादुरी के लिए विभूति रस्तोगी सम्मानित

bibhuti rastogiपत्रकार विभूति रस्तोगी की बहादुरी के चलते उन्हें सम्मानित किया गया। आनंद विहार के पास रात में कुछ बदमाश एक युवा व्यापारी को खींचकर सड़क के नीचे नाले के पास ले जाते हैं और उसे लूटने के बाद जान से मारने की कोशिश करते हैं। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सड़क पर आने-जाने वालों ने रुककर मदद करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। विभूति ने यह सब देखा तो तुरंत सक्रिय हुए और पुलिस के साथ मिलकर व्यापारी को बचाने में कामयाबी हासिल की। विभूति रस्तोगी दैनिक जागरण, दिल्ली में रिपोर्टर हैं।

bibhuti rastogi

bibhuti rastogiपत्रकार विभूति रस्तोगी की बहादुरी के चलते उन्हें सम्मानित किया गया। आनंद विहार के पास रात में कुछ बदमाश एक युवा व्यापारी को खींचकर सड़क के नीचे नाले के पास ले जाते हैं और उसे लूटने के बाद जान से मारने की कोशिश करते हैं। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सड़क पर आने-जाने वालों ने रुककर मदद करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। विभूति ने यह सब देखा तो तुरंत सक्रिय हुए और पुलिस के साथ मिलकर व्यापारी को बचाने में कामयाबी हासिल की। विभूति रस्तोगी दैनिक जागरण, दिल्ली में रिपोर्टर हैं।

विभूति देर रात अपनी ड्यूटी समाप्त कर टेल्को मोड़ से जैसे ही आनंद विहार बस अड्डे की ओर मुड़े, उन्हें बचाओ की आवाज सुनाई पड़ी। उन्होंने देखा तो सड़क किनारे स्कूटर पड़ा था। चार-पांच बदमाश एक युवक को सड़क के नीचे झाड़ियों में ले जाने की कोशिश कर रहे थे। विभूति ने वहां से गुजर रहे दर्जनों लोगों को रुकने का इशारा किया, लेकिन इसकी जहमत किसी ने नहीं उठाई। वह मदद के लिए बीच सड़क पर आकर जोर-जोर से चिल्लाते हुए वाहन चालकों को रुकने के लिए बोला, लेकिन चालक अगल-बगल से होकर गाड़ियां निकाल कर चलते बने। तब तक बदमाश युवक को झाड़ियों की ओर ले जा चुके थे। यह देख विभूति ने bibhuti rastogiतुरंत सौ नंबर पर पुलिस नियंत्रण कक्ष को फोन कर इस घटना के बारे में बताया। इसके बाद विभूति तुरंत पास स्थित आनंद विहार बस अड्डा पुलिस चौकी पहुंचा और घटना के बारे में बताया। इससे चौकी में हड़कंप मच गया। पुलिसवाले मौके पर पहुंचे। वहां कोई नहीं दिखा।

झाड़ियों में जाने के बाद भी घुप्प अंधेरे में कुछ नजर नहीं आ रहा था, तभी अंधेरे को चीरती हुई कराहने की आवाज आई। पुलिसकर्मी अलर्ट हो गए और फुटपाथ से लगी दीवार पर डंडे से तेज-तेज मारने शुरू किए। पुलिस को देखते ही लुटेरे भाग गए। इसी बीच पुलिस नियंत्रण कक्ष की जिप्सी भी मौके पर पहुंच गई, उनके पास एक बड़ा टॉर्च था, जिसके सहारे तीनों पुलिसकर्मी और विभूति घनी झाड़ियों में गए। लहुलुहान युवक को बाहर निकाला। युवक ने अपना नाम सुबोध दास (28) बताया। वह विभूति को देखकर फूट-फूट कर रोने लगा और दूसरा जन्म प्रदान करने के लिए शुक्रिया अदा किया। सुबोध दास को पहले चौकी के स्वास्थ्य जांच केंद्र में ले जाया गया। सुबोध ने बताया कि वह उड़ीसा के पुरी जिले का रहने वाला है और अपने जीजा के साथ अस्पताल में ठेके पर कैटरिंग का काम करता है। उसने बताया कि जान बचाने के लिए चिल्लाने पर भी कोई नहीं रुका। इसी बीच चार-पांच बदमाश उठाकर पलक झपकते ही उसे नीचे झाड़ियों में ले गए। घड़ी, सोने की अंगूठी, चेन, पर्स, दो हजार रुपये लूटने के बाद बदमाश कहने लगे कि इसे जान से मार कर नाले में फेंक देते हैं, नहीं तो यह हल्ला करेगा। जान से मारने के लिए बदमाशों ने पहले उसके सिर पर बीयर की बोतलें मारीं, फिर सिर पर बड़ा पत्थर मारा, जिससे सुबोध अचेत हो गया। अभी बदमाश उसे नाले में फेंकने की तैयारी कर ही रहे थे कि विभूति ने सुबोध की जान बचाई।

विभूति को इस शानदार काम के लिए सम्मानित किया गया। शाहदार में एक सोशल फोरम द्वारा आयोजित समारोह में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष रामबाबू शर्मा और एसीपी वीर सिंह यादव ने विभूति को बहादुरी अवार्ड प्रदान किया।


विभूति से [email protected] के जरिए संपर्क किया जा सकता है।

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