हिंदुस्तान प्रबंधन शशि शेखर के कार्यकाल में अपने विस्तार अभियान को और तेज करने वाला है। उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एचटी ग्रुप हिंदी मार्केट में हिंदुस्तान अखबार को बुलंदियों पर देखना चाहता है। इसीलिए भरपूर पैसा और संसाधन झोंकने की तैयारी चल रही है। कहा जा रहा है कि शशि शेखर की देखरेख में एचटी ग्रुप हिंदुस्तान के कई नए संस्करण लांच करने की तैयारी में जुट गया है। ये संस्करण मध्य प्रदेश और राजस्थान में लांच किए जाएंगे। अभी तक उत्तर प्रदेश पर ज्यादा ध्यान देने वाला एचटी प्रबंधन जल्द ही मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे हिंदी प्रदेशों में ‘हिंदुस्तान’ की प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराने की रणनीति तैयार कर चुका है।
इसके लिए अंदरखाने तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बताया जा रहा है कि इन दो प्रदेशों में हिंदुस्तान की यूनिटों के लिए स्थानीय संपादकों और पत्रकारों की नियुक्ति खुद शशि शेखर करेंगे। उधर, एचटी प्रबंधन हिंदुस्तान में पैसा लगाने के लिए एफडीआई के लिए काम कर शुरू कर चुका है। हिंदुस्तान के लिए एचटी मीडिया लिमिटेड से अलग एक कंपनी बनाने की खबर पहले ही मीडिया में आ चुकी है। अब इस नई कंपनी के लिए एफडीआई के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक एचटी प्रबंधन जागरण व भास्कर समूह को मात देने की फिराक में है। इसीलिए उसने जमीन से जुड़े और हिंदी भाषी इलाके की अच्छी-खासी समझ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार शशि शेखर को हिंदुस्तान का नेतृत्व सौंपा है। हिंदुस्तान सिर्फ बौद्धिक व शहरी लोगों का ही अखबार न बनकर रह जाए, इसे आम जन व हर साक्षर हिंदुस्तानी का अखबार बनाया जाए, ताकि जागरण व भास्कर को परास्त किया जा सके, यह सोच एचटी प्रबंधन की है। शशि शेखर के हिंदुस्तान ज्वाइन कर लेने के बाद एचटी मीडिया की मालकिन शोभना भरतिया और निदेशक व सीईओ राजीव वर्मा हिंदुस्तान के विस्तार की नई रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। इस रणनीति में शशि शेखर के विजन व विचार को प्रमुखता से शामिल किया जा रहा है।
शशि शेखर को एचटी प्रबंधन ने अपने लक्ष्य को स्पष्ट कर दिया है और इसे हासिल करने के लिए कोई भी कदम उठाने की छूट शशि को दे दी गई है। सूत्रों का कहना है कि हिंदुस्तान के जमे-जमाए स्थानीय संपादकों से भरसक छेड़छाड़ नहीं की जाएगी लेकिन उन्हें नए वर्क कल्चर में ढलने के लिए प्रेरित किया जाएगा। जो लोग नए माहौल में और नए विजन के मुताबिक खुद को बदल पाएंगे, वे शशि के टीम के हिस्से बने रहेंगे लेकिन जहां पर जड़ता व बदलाव का विरोध दिखेगा, वहां प्रबंधन शशि शेखर की सलाह पर कठोर कदम उठाने से भी नहीं हिचकेगा। कुल मिलाकर हिंदी अखबारी मार्केट में हिंदुस्तान की आक्रामक विस्तार रणनीति और शशि शेखर जैसा आक्रामक कंटेंट लीडर, दोनों काफी उथल-पुथल पैदा करने के संकेत दे रहे हैं।
rajesh jwell
March 15, 2010 at 10:56 am
hindustan group ka akhbaro ki rajdhani madhya pradesh me swagat hai, purv me bhi vistar ki khabare aai thi, ab dekhte hai kab medan me aata hai hindustan.