राजीव वर्मा और शशि शेखर को टका-सा मुंह लेकर लौटना पड़ा खंडूरी के यहां से!

आजकल जिन मीडिया घरानों के पास कथित रूप से पत्रकारिता का ठेका है, वे पत्रकारों को पत्रकार नहीं बल्कि दलाल बनाने में लगे हुए हैं. वे अपने संपादकों को संपादक कम, लायजनिंग अधिकारी ज्यादा बनाकर रखते हैं. ताजा मामला हिंदुस्तान टाइम्स जैसे बड़े मीडिया हाउस का है. बिड़ला जी के इस मीडिया घराने की मालकिन शोभना भरतिया हैं. उनके हिंदी अखबार के प्रधान संपादक शशि शेखर हैं.

शशि शेखर एवार्ड पाने के लिए लाबिंग करा रहे हैं!

राडिया टेप कांट्रोवर्सी अभी ठीक से शांत भी नहीं हुई कि एक नया मामला उजागर हो गया है. यह प्रकरण भी लाबिंग का जीता-जागता प्रमाण है. इस प्रकरण के चपेटे में शशि शेखर आए हैं. द संडे गार्जियन में छपी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो हिंदुस्तान अखबार के एक रिपोर्टर ने अपने प्रधान संपादक शशि शेखर को पदमश्री टाइप एवार्ड दिए जाने के लिए आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के मीडिया सेल के प्रभारी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी से एक चिट्ठी राष्ट्रपति को लिखवाने में सफलता पाई है.

महाश्वेता का ‘हिंदुस्तान’ में कालम लिखने से इनकार

: वरिष्ठ पत्रकारों को निकाले जाने से खफा हैं महाश्वेता : शोभना भरतिया को पत्र लिख छंटनी के तरीके पर आपत्ति जताई : हिंदी की प्रख्यात लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट महाश्वेता देवी ने हिंदुस्तान अखबार में स्तंभ लिखना बंद करने का फैसला किया है. इस बारे में उन्होंने हिंदुस्तान और हिंदुस्तान टाइम्स को संचालित करने वाली कंपनियों की चेयरपर्सन शोभना भरतिया को पत्र लिखा है.

सुधांशु महराज उर्फ छोटे शशि शेखर

: पुराने हिन्दुस्तानी हिंदुस्तान से जाएं तो जाएं कहां : नई दिल्ली। किसी अखबार में बदलाव का सबसे बुरा दौर हिंदुस्तान देख रहा है। यहां के एडीटोरियल विभाग में इस्तीफा देने का दौर लगातार जारी है। शशि शेखर की अमर उजाला नोएडा की लगभग पूरी टीम यहां आ चुकी है। छोटे ओहदे से लेकर बड़े ओहदे तक अमर उजाला के कर्मियों की फौज यहां पर पूरे अस्त्र-शस्त्र के साथ मोर्चा संभाल चुकी है।

वो पगलाए महान संपादक अब दुहाई दे रहे

पदमपति शर्मा: ये पन्ने मैं नहीं पलटता अगर एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक के समूह संपादक ने अयोध्या कांड के फैसले को लेकर आदर्श पत्रकारिता की दुहाई न दी होती :  ये वही महान शख्स हैं जिन्होंने अयोध्या कांड के समय आगरा के पागलखाने के किसी बदतर पागल की तरह आचरण किया था और शर्म आ गयी थी पत्रकारिता की मूल भावनाओं और उसके आदर्शों को : तब ‘आज’ अखबार के आगरा संस्करण ने वो-वो कुकर्म किये थे कि मत पूछिए : तब अखबारों की उपासना के मानक स्थल भी टूटे थे : सच कहूं तो हम सभी लोग मौका-परस्त कमीने हो गए हैं :



शशि शेखर ने जारी की संपादकीय गाइडलाइन

: पंचायत चुनाव में हिंदुस्तान अखबार के पत्रकार क्या करें और क्या ना करें : चुनाव लड़ने, टिकट दिलवाने, पेड न्यूज छापने और विज्ञापन लाने से मना किया पत्रकारों को : Dear Editorial colleagues in HMVL, Organizational values are the most important building block of any great organization.

राजेंद्र कभी नहीं रहे शशि के आदमी!

राजेंद्र तिवारीकहानी दिलचस्प होती जा रही है. जिस राजेंद्र तिवारी को शशि शेखर ने संस्थान के साथ दगाबाजी व विश्वासघात का आरोप लगाकर अचानक झारखंड के स्टेट हेड पद से हटाकर चंडीगढ़ पटक दिया, उस राजेंद्र तिवारी के बारे में सबको यही मालूम है कि उन्हें हिंदुस्तान में लेकर शशि शेखर आए थे. शशि शेखर के ज्वाइन करने के बाद राजेंद्र तिवारी ने हिंदुस्तान ज्वाइन किया, यह तो सही है लेकिन यह सही नहीं है कि राजेंद्र तिवारी को शशि शेखर हिंदुस्तान लेकर आए. हिंदुस्तान, दिल्ली में उच्च पदस्थ और शशि शेखर के बेहद करीब एक सीनियर जर्नलिस्ट ने भड़ास4मीडिया को नाम न छापने की शर्त पर कई जानकारियां दीं. इस सूत्र ने भड़ास4मीडिया को फोन अपने मोबाइल से नहीं बल्कि पीसीओ से किया क्योंकि उसे भी डर है कि कहीं फोन काल डिटेल निकलवा कर और विश्वासघात का आरोप लगाकर उसे भी न चलता कर दिया जाए.

तो इसलिए गाज गिरी राजेंद्र तिवारी पर!

कभी गंभीर-गरिष्ठ साहित्यकारों के हवाले थी पत्रकारिता तो अब सड़क छाप सनसनियों ने थाम ली है बागडोर : झारखंड के स्टेट हेड और वरिष्ठ स्थानीय संपादक पद से राजेंद्र तिवारी को अचानक हटाकर चंडीगढ़ भेजे जाने के कई दिनों बाद अब अंदर की कहानी सामने आने लगी है. हिंदी प्रिंट मीडिया के लोग राजेंद्र पर गाज गिराए जाने के घटनाक्रम से चकित हुए. अचानक हुए इस फैसले के बाद कई कयास लगाए गए. पर कोई साफतौर पर नहीं बता पा रहा था कि आखिर मामला क्या है. लेकिन कुछ समय बीतने के बाद अब बातें छन-छन कर बाहर आ रही हैं.

यशवंत व्यास सलाहकार संपादक बने

अमर उजाला में दो-दो सलाहकार संपादक हुए : ग्रुप एडिटर रखने की गलती नहीं करेगा अमर उजाला : शशि शेखर के समय हुए प्रयोगों का फायदा हिंदुस्तान को मिल रहा, नुकसान अमर उजाला उठा रहा : भास्कर समूह की मैग्जीन अहा जिंदगी के संपादक पद से इस्तीफा देने वाले यशवंत व्यास के बारे में सूचना है कि उन्होंने अमर उजाला, नोएडा में ज्वाइन कर लिया है. उनका पद सलाहकार संपादक (न्यू इनीशिएटिव) का है. सूत्रों के मुताबिक नवरात्र के दौरान वे कामकाज शुरू कर देंगे. बताया जा रहा है कि यशवंत व्यास अमर उजाला के साथ काम करते हुए खुद के प्रोजेक्ट्स पर भी काम करेंगे, इसीलिए उन्होंने सलाहकार संपादक के रूप में ज्वाइन किया है. सूत्रों के मुताबिक यशवंत ने यही प्रस्ताव भास्कर समूह के सामने रखा था. वे भास्कर में सलाहकार के तौर पर काम करना चाहते थे.  

क्या शशि शेखर का इतिहास ज्ञान कमजोर है?

हिंदुस्तान में शशि शेखर के संपादकीय का एक अंशशशि शेखर को ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख करते वक्त गूगल या विकीपीडिया को सर्च करने की जरूरत है. अगर तकनीक फ्रेंडली न हों तो उन्हें इतिहास और सामान्य ज्ञान की किताबें अपने पास रखने की आवश्यकता है. खासकर उन मौकों पर जब वे रविवार के दिन के लिए ‘हिंदुस्तान’ में कोई संपादकीय नुमा लेख अपने नाम से लिखते हैं. पिछले दिनों उन्होंने एक गलती की थी. उस गलती के लिए अगले हफ्ते के रविवार के अंक में क्षमा याचना भी की गई. वैसी ही गलती आज के दिन उन्होंने फिर कर दी है. गलती देखने में तो बहुत छोटी है पर इस छोटी-सी गलती के कारण समय का पहिया सौ साल पीछे चला जाता है. पहले बताते हैं कि पहली गलती क्या थी.

गोविंद सिंह को भी ‘हिंदुस्तानी’ बनाएंगे शशि शेखर

अमर उजाला के एक्जीक्यूटिव एडिटर गोविंद सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने प्रबंधन को इस्तीफे का नोटिस भेज दिया है. हालांकि उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है और अमर उजाला प्रबंधन से उनकी बातचीत जारी है. गोविंद अमर उजाला छोड़कर ‘हिंदुस्तान’ जाने की तैयारी कर चुके हैं. उन्हें ‘हिंदुस्तानी’ बनने का न्योता शशि शेखर की ओर से आ चुका है. शशि शेखर जबसे अमर उजाला छोड़ ‘हिंदुस्तान’ के मुख्य संपादक बने हैं, अमर उजाला के वरिष्ठों को एक-एक कर ले जाने में लगे हुए हैं. सुधांशु श्रीवास्तव, प्रताप सोमवंशी, अशोक पांडेय के बाद अब गोविंद सिंह भी शशि की टीम का हिस्सा बनने जा रहे हैं. 

शशि शेखर, जवानी आपकी भी जाएगी

हिंदुस्तान से प्रमोद जोशी, सुषमा वर्मा, शास्त्रीजी, प्रकाश मनु, विजय किशोर मानव हो रहे हैं विदा : ‘इस्तीफा नहीं दिया है’ जैसी बात कहते हुए भी हिंदुस्तान, दिल्ली के सीनियर रेजीडेंट एडिटर प्रमोद जोशी चले जाने की मुद्रा में आ गए हैं। एकाध-दो दिन आफिस वे आएंगे और जाएंगे लेकिन इस आने-जाने का सच यही है कि वे फाइनली जाने के लिए आएंगे-जाएंगे। दरअसल, एचटी मीडिया से हिंदुस्तान अखबार को अलग कर जो नई कंपनी हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड (एचएमवीएल) की स्थापना की गई है, उसमें रिटायरमेंट की उम्र 60 की बजाय 58 साल रखी गई है। रिटायर होने की उम्र पहले 58 ही हुआ करती थी लेकिन केंद्र सरकार ने इसमें दो साल की वृद्धि की तो नियमतः सभी निजी-सरकारी संस्थानों ने भी अपने यहां 60 साल कर लिया। पर इस लोकतंत्र में नियम केवल नियम हुआ करते हैं, पालन करने योग्य नहीं हुआ करते। कई निजी कंपनियों में तो लोग 44 या 55 की उम्र में ही रिटायर कर दिए जाते हैं। ऐसा ही एक मुकदमा बनारस में चल रहा है।

पर किसी ने मृणालजी का नाम नहीं लिया

[caption id="attachment_15960" align="alignnone"]बरेली के टापर बच्चों के हाथों हिंदुस्तान अखबार का लोकार्पण कराते प्रधान संपादक शशि शेखर. (तस्वीर साभार : हिंदुस्तान)बरेली के टापर बच्चों के हाथों हिंदुस्तान अखबार का लोकार्पण कराते प्रधान संपादक शशि शेखर. (तस्वीर साभार : हिंदुस्तान)[/caption]

हिंदुस्तान की बरेली यूनिट कई लिहाज से खास है। इसे ऐतिहासिक भी कहा जा सकता है। इस यूनिट ने दो प्रधान संपादक देखे। मृणाल पांडे और शशि शेखर। मृणालजी के जमाने में बरेली यूनिट लांचिंग की तैयारियां शुरू हुई। प्रेस और आफिस का उदघाटन मृणालजी ने अपने हाथों से किया। स्थानीय संपादक रखने से लेकर संपादकीय स्टाफ की नियुक्तियां भी उन्हीं की देखरेख में हुई। पर लांचिंग के वक्त मृणालजी नहीं थीं। उनके पद पर शशि शेखर आ गए। सो, शशि शेखर की देखरेख में बरेली यूनिट की लांचिंग का कार्यक्रम कल संपन्न हुआ। लेकिन दुख की बात तो यह कि लांचिंग समारोह में मृणालजी का कोई नामलेवा तक नहीं था।

राजस्थान व एमपी पर हिंदुस्तान की निगाह

हिंदुस्तान प्रबंधन शशि शेखर के कार्यकाल में अपने विस्तार अभियान को और तेज करने वाला है। उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एचटी ग्रुप हिंदी मार्केट में हिंदुस्तान अखबार को बुलंदियों पर देखना चाहता है। इसीलिए भरपूर पैसा और संसाधन झोंकने की तैयारी चल रही है। कहा जा रहा है कि शशि शेखर की देखरेख में एचटी ग्रुप हिंदुस्तान के कई नए संस्करण लांच करने की तैयारी में जुट गया है। ये संस्करण मध्य प्रदेश और राजस्थान में लांच किए जाएंगे। अभी तक उत्तर प्रदेश पर ज्यादा ध्यान देने वाला एचटी प्रबंधन जल्द ही मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे हिंदी प्रदेशों में ‘हिंदुस्तान’ की प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराने की रणनीति तैयार कर चुका है।

शशि ने स्थानीय संपादकों को दिए कई संदेश

‘हिंदुस्तान’ के प्रधान संपादक शशि शेखर ने ग्रुप के सभी वरिष्ठ स्थानीय संपादकों और स्थानीय संपादकों के साथ पहली बैठक में अपने तेवर का इजहार कर दिया। बैठक में शशि ने ‘हिंदुस्तान’ को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए सभी स्थानीय संपादकों से कमर कस लेने का आह्वान किया। सूत्रों के मुताबिक शशि शेखर ने ब्लागों और पोर्टलों पर जो कुछ प्रकाशित हो रहा है, उसकी तरफ ध्यान न देने की भी सभी से अपील की। शशि ने कहा कि ‘हिंदुस्तान’ को बदलने की जरूरत है। इसके लिए सभी स्थानीय संपादकों को सुबह से ही उनके टच में रहना होगा। वे लोग क्या प्लान कर रहे हैं, क्या कुछ नया कर रहे हैं, इसकी जानकारी उन तक फोन या एसएमएस के माध्यम से पहुंचना चाहिए।

खबर में ‘प्रधान संपादक’, प्रिंटलाइन में ‘संपादक’

मृणाल पांडे का नाम हटा : ‘हिंदुस्तान’ अखबार का पांच सितंबर का जो अंक प्रकाशित हो रहा है, उसमें प्रिंट लाइन से प्रमुख संपादक पद और मृणाल पांडे का नाम, दोनों हटा दिया गया है। इनकी जगह संपादक का पद और शशि शेखर का नाम प्रकाशित किया जा रहा है। हालांकि एचटी मीडिया की ओर से जारी आंतरिक मेल और हिंदुस्तान में आज प्रकाशित हो रही खबर, दोनों में शशि शेखर को क्रमशः ‘एडिटर इन चीफ’ और ‘प्रधान संपादक’ कह कर संबोधित किया गया है पर प्रिंट लाइन में शशि शेखर के नाम के साथ सिर्फ संपादक शब्द जा रहा है। हिन्दुस्तान में आज शशि शेखर की ज्वाइनिंग के संबंध में जो खबर प्रकाशित हो रही है, उस हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं-

मेरा अपना कोई निजी एजेंडा नहीं : शशि

[caption id="attachment_15701" align="alignleft"]शशि शेखरशशि शेखर[/caption]कुछ ही महीनों में हम सब गर्व से कहेंगे कि हम हिंदुस्तानी हैं : मृणालजी का मैं बेहद सम्मान करता हूं : हिंदुस्तान के एडिटर-इन चीफ पद पर शशि शेखर ने ज्वाइन कर लिया है। ज्वाइन करने से ठीक पहले आज सुबह भडास4मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में शशि शेखर ने कुछ मुद्दों, आशंकाओं व रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने सबसे पहली बात यह कही कि- ‘कुछ ही महीने में हम सब गर्व से कहें कि हम सब हिंदुस्तानी हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हिंदुस्तान में पहले भी कोई क्षेत्रवाद और जातिवाद नहीं था। यह लोगों की फैलाई बात है।

उम्मीद है, फिर मिलेंगे, शो अभी जारी है….

जाते-जाते अमरउजालाइटों को रुला गए शशि : भावुक विदाई संदेश की हर ओर चर्चा : शशि शेखर अमर उजाला से गए लेकिन अपने साथियों को रुलाकर। उन्होंने जो आखिरी लिखित संदेश सभी के लिए भेजा है, उसे पढ़कर अमर उजाला के कई वरिष्ठ और जूनियर रो पड़े। उनके साथ काम करने और उनके करीबी लोगों ने तो विदा संदेश की सभी पंक्तियों को रट-सा लिया है। बेबाक बोल बोलने वाले शशि शेखर का विदा संदेश भी पूरी बेबाकी लिए हुए है। अमर उजाला के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने भड़ास4मीडिया के पास शशि शेखर का विदा संदेश प्रेषित किया है। यह संदेश हिंदी मीडिया के एक ऐसे शो मैन का संदेश है जो देखते ही देखते देश का सबसे चर्चित मीडिया मैन बन बैठा। संदेश के आखिर में शशि शेखर ने लिखा है- उम्मीद है, फिर मिलेंगे, शो अभी जारी है…  

हांडी के हर चावल की जांच करना संभव नहीं

[caption id="attachment_15698" align="alignleft"]कुमार सौवीरकुमार सौवीर[/caption]यशवंत भाई, पत्रकार ही नहीं, भारत का जागरूकता के स्तर तक हर पढ़ा-लिखा और मीडिया फ्रेंडली आदमी यह जरूर जानना चाहता है कि आखिर हिन्दुस्तान, मृणाल पांडे और शशिशेखर के मामले में ताजा अपडेट क्या हैं और मृणाल जी द्वारा छोड़ी गयी हिन्दुस्तान की टीम का अब क्या रवैया होगा, बावजूद इसके कि मृणाल जी उन्हें इस्तीफा न देने का निर्देश जैसा सुझाव दे चुकी हैं। भड़ास4मीडिया में यह विषय खूब लिखा-पढ़ा जा चुका है। कुछ लेखकों की निगाह में मृणाल पांडे जी ललिता पवार जैसी खलनायिका दिखायी पड़ती हैं तो कुछ लोग उनमें गुण भी देख रहे हैं। कुछ बातें मैं भी कहना चाहता हूं। मृणाल जी के बारे में मैंने बहुत सुना था। एक बार जोधपुर में अपनी तैनाती के दौरान मैंने उन्हें दीदी कहते हुए एक खत लिखा।

शशि की जगह कोई नहीं रखा जाएगा

अमर उजाला के स्थानीय संपादकों के संबंध में कई अफवाह : दिल्ली संस्करण में गोविंद का नाम जाएगा : निदेशक माहौल सामान्य बनाने में जुटेंगे : शशि के ज्वाइन करने से पहले हिंदुस्तान में सात खबरें रिपीट : मृणाल पांडे और शशि शेखर के अपने-अपने संस्थानों से हटने से इन दोनों अखबारों हिंदुस्तान और अमर उजाला में अंदरखाने जो बदलाव होने लगे हैं, उसको लेकर कई तरह की खबरें हैं। सबसे पहली खबर तो यह कि अमर उजाला प्रबंधन ने अगले कुछ महीनों तक शशि शेखर की जगह पर किसी को भी न लाने का फैसला किया है। ऐसा अमर उजाला में स्थिति को सामान्य बनाने के मकसद से किया गया है। तेजतर्रार निदेशक अतुल माहेश्वरी अब खुद अमर उजाला के कामधाम को देखेंगे।

पत्रकारिता के सिद्धांतों को नहीं छोड़ते शशि

अजय शुक्लशशि शेखर पत्रकारिता में ही नहीं बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी आदर्श का साथ नहीं छोड़ते। जब तमाम अखबारों की खबरें बिक रही थीं और पत्रकारिता के नाम पर सौदेबाजी हो रही थी, तो वे आर्थिक मंदी के दौर में भी सिद्धांतों तथा सच के लिए लड़ रहे थे। उन्होंने प्रबंधन को ही नहीं, हम सबसे भी साफ कह दिया था कि विज्ञापन के लिए कोई भी पत्रकार अपनी अस्मिता नहीं बेचेगा। एक घटना मामूली है मगर संदेश बड़ा है। 10 फरवरी 2008 को वो चंडीगढ़ आये थे। उनके साथ अमर उजाला के निदेशक राजुल महेश्वरी भी थे। होटल से उन्हें अमर उजाला के ट्राईसिटी (चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली) के आठ पेज के पुल आउट के लोकार्पण कार्यक्रम में जाना था। उनके पास लग्जरी कार थी मगर उसी वक्त मैं उनके पास पहुंच गया। वक्त कम था। उन्होंने कहा कि चलो तुम्हारी कार से ही चलते हैं। मेरे पास इंडिका थी।

पत्रों का जवाब देना नहीं भूलते शशि शेखर

शशि शेखर के हिंदुस्तान में आने को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है। मैं उस विवाद में पड़ने के बजाए शशि शेखर के एक अच्छे पक्ष को सामने लाना चाहता हूं। मैं व्यक्तिगत तौर पर कभी उनसे नहीं मिला हूं और न ही कभी बात की है। टीवी पर होने वाली चर्चाओं में अक्सर उन्हें देखा करता हूं। भड़ास4मीडिया में यशवंतजी द्वारा शशि शेखरजी का लिया एक इंटरव्यू पढ़ा था। उस इंटरव्यू को पढ़ने के बाद मैंने शशि शेखर जी को एक मेल भेजा। सोचा भी न था कि इस पहले मेल पर ही कोई कार्रवाई होगी। मैंने उनसे इस मेल में अमर उजाला के लिए पूर्वोत्तर से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। कुछ समय बाद अचानक एक दिन अमर उजाला के कार्यकारी संपादक उदय कुमार का एक एसएमएस प्राप्त हुआ।

उम्मीद है शशिशेखर बदलेंगे

[caption id="attachment_15689" align="alignleft"]आशीष बागचीआशीष बागची[/caption]कई लोगों के विचार पढ़े। सभी लोगों ने अपने-अपने हिसाब से हिंदुस्तान के नये ग्रुप एडिटर शशिशेखर का आकलन किया है। सभी धन्यवाद के पात्र हैं। चूंकि, मैं शशि के काफी पुराने और करीबी मित्रों में से एक हूं, इसलिए कह सकता हूं कि गलत किसी ने भी नहीं लिखा- जैसा कि पत्रकारिता को दरोगा स्टाइल में चलाना, संपादक या फिर रिपोर्टर की लानत मलानत करना, बिना देखे-सुने आसपास कौन है आदि। शशि उस समय यह भूल जाते हैं कि जिस व्यक्ति को फटकारा जा रहा है, उसकी मानसिकता पर कैसा असर पड़ रहा है, वह या उसका कोई घरवाला गंभीर रूप से बीमार है, वह डाक्टर से चेकअप करा रहा है, पूजा पर बैठा है, मंदिर में दर्शन करने जा रहा है या कि वह इस समय कहां-किन परिस्थितियों-किस मानसिकता-किस जगह है।

‘Mrinal ji or Shashi ji are no exceptions’

[caption id="attachment_15094" align="alignleft"]श्रीकांत अस्थानाश्रीकांत अस्थाना[/caption]Dear Yash, I hope the ongoing series on changes in the editorial departments of two mainstream Hindi publications must have attracted newer readers to your already most popular portal on media world. I congratulate you for making sincere efforts on bringing out details that might interest the community. Meanwhile, in between the news items and comments on the issue I found certain issues which I think should be addressed in proper reference. Dear, we all are human beings. None of us is god or demon. Every one of us has a trail of successes and failures. Unfortunately, we in our habit of idolization try make idols of common people. We tend to forget that success and failure are relative terms and a situation being described as success may as well be a failure in other terms.

‘युवाओं के लिए मिसाल हैं शशि शेखर’

[caption id="attachment_15689" align="alignleft"]आशीष बागचीआशीष बागची[/caption]पदमपति शर्मा का मृणालजी, शशिशेखर और एचटी प्रबंधन विषयक विचार पढ़ा। यहां आपको बता दूं कि मैं जितना पदमपति शर्मा से जुड़ा हूं, उतना ही शशिशेखर के साथ भी जुड़ा हूं और मृणालजी का एक शिकार रहा हूं। इसके साथ ही मैं शशिशेखर के शुरुआती पत्रकारिता जीवन और उनकी विकास यात्रा का निकट साक्षी रहा हूं। उनसे मेरा संपर्क तीन दशक से भी अधिक पुराना है। कहने में संकोच नहीं कि उनके बारे में जितना मैं जानता हूं, उतना शायद ही कोई जानता होगा। मैं मृणालजी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता और न उनसे शशि की कोई तुलना करना चाहता। दोनों की अलग-अलग शख्सियत है। शशि  उन लोगों, खासकर युवाओं के लिए एक मिसाल हैं जो जीवन की कठिन डगर में बिना आपा खोए निरंतर आगे बढ़ने में विश्वास रखते हैं और हर नये अनुभव से सीख लेते हैं। शशि ने पत्रकारिता की शुरुआत बनारस के ‘आज’  से की। पहले सिटी रिपोर्टिंग की फिर बाबू विश्वनाथ सिंह, बाबू दूधनाथ सिंह व शिवप्रसाद श्रीवास्तव के सानिध्य में अनुवाद को निखारा।

शशि 4 को बनेंगे हिंदुस्तान के एडिटर-इन-चीफ

आंतरिक मेल जारी : एचटी प्रबंधन की ओर से हिंदुस्तान अखबार के शीर्ष संपादकीय नेतृत्व में हुए फेरबदल के संबंध में आंतरिक मेल जारी कर दिया गया है। इसमें शशि शेखर का पद एडिटर-इन-चीफ का बताया गया है और कहा गया है कि वे हिंदुस्तान के सभी प्रिंट और आनलाइन संस्करणों, नंदन और कादंबिनी मैग्जीनों के लिए उत्तरदायी होंगे। मेल से स्पष्ट है कि शशि शेखर एचटी ग्रुप के हिंदी मीडिया के सर्वेसर्वा होंगे। एचटी मीडिया के निदेशक और सीईओ राजीव वर्मा की तरफ से एचटी के सभी कर्मचारियों को जारी आंतरिक मेल में कहा गया है कि शशि शेखर 4 सितंबर को अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे। मेल में मृणाल पांडे की काफी तारीफ की गई है। कहा गया है कि उन्हीं के नेतृत्व में हिंदुस्तान देश का तीसरा सबसे बड़ा हिंदी दैनिक बना। हिंदुस्तान को युवाओं से जोड़ने के लिए मृणाल के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उनकी प्रशंसा की गई है। मेल में शशि शेखर की प्रोफाइल, व्यक्तित्व और इतिहास के बारे में भी काफी कुछ कहा गया है।  मेल में साफ-साफ कहा गया है कि हिंदुस्तान के  संपादकीय विभाग के चार दिग्गज नवीन जोशी, प्रमोद जोशी, हरि नारायण सिंह और अकू श्रीवास्तव 4 सितंबर से शशि शेखर को रिपोर्ट करेंगे।

शशि शेखर की जगह कौन आ रहा है?

पुराने अमर उजालाइटों के चेहरों पर रौनक लौटी : अमर उजाला छोड़ हिंदुस्तान पहुंचे पत्रकार शशि शेखर के आने की खबर से परेशान : इन दिनों अमर उजाला के मीडियाकर्मी सिर्फ एक सवाल आपस में पूछते घूम रहे हैं। सवाल यही है- शशिशेखर की जगह कौन ले रहा है? जो दो नाम पिछले 24 घंटे से हवा में तैर रहे हैं वे नाम हैं वरिष्ठ पत्रकार अजय उपाध्याय और अमर उजाला, चंडीगढ़ के संपादक उदय कुमार का। कई लोग अमर उजाला, नोएडा के वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला का भी नाम ले रहे हैं तो कुछ लोग गोविंद सिंह को अगला दावेदार बता रहे हैं। भड़ास4मीडिया के पास अभी तक जो जानकारी है, उसके मुताबिक प्रबंधन ने फिलहाल किसी के नाम पर मुहर नहीं लगाई है। ये सारे नाम पत्रकारों द्वारा सुनियोजित तरीके से उछाले और प्रचारित किए गए हैं। अंदरखाने से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक बहुत संभव है कि अब अमर उजाला प्रबंधन अपनी पिछली कार्यपद्धति पर लौट जाए।

हिंदुस्तान से मृणाल पांडेय गईं

[caption id="attachment_15664" align="alignleft"]मृणाल पांडेयमृणाल पांडेय[/caption]हिंदी मीडिया इंडस्ट्री की बड़ी खबर। हिंदुस्तान अखबार की प्रमुख संपादक मृणाल पांडेय ने इस्तीफा दे दिया है। अमर उजाला के ग्रुप एडिटर और डायरेक्टर न्यूज शशिशेखर एक सितंबर से हिंदुस्तान ज्वाइन करने जा रहे हैं।  भड़ास4मीडिया को कई विश्वसनीय और उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मृणाल पांडेय ने शशिशेखर  की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए इस्तीफा दिया है। बताया जाता है कि प्रबंधन ने उन्हें शशिशेखर की नियुक्ति के  बारे में जानकारी दी तो मृणाल पांडेय ने विरोध स्वरूप अपना इस्तीफा सौंप दिया। देश की जानी-मानी साहित्यकार  और वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडेय कई वर्षों से हिंदुस्तान अखबार के सभी संस्करणों की प्रधान संपादक के रूप में  काम कर रहीं थीं। उनके कार्यकाल में कई बड़े विवाद भी हुए और उन पर कई तरह के आरोप भी लगे। दशकों से  जमे-जमाए वरिष्ठ पत्रकारों समेत प्रत्येक यूनिट से कई-कई लोग अचानक निकाल दिए गए। कई लोग हिंदुस्तान  के माहौल के कारण खुद छोड़कर दूसरे अखबारों में चले गए।