शशि शेखर के हिंदुस्तान में आने को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है। मैं उस विवाद में पड़ने के बजाए शशि शेखर के एक अच्छे पक्ष को सामने लाना चाहता हूं। मैं व्यक्तिगत तौर पर कभी उनसे नहीं मिला हूं और न ही कभी बात की है। टीवी पर होने वाली चर्चाओं में अक्सर उन्हें देखा करता हूं। भड़ास4मीडिया में यशवंतजी द्वारा शशि शेखरजी का लिया एक इंटरव्यू पढ़ा था। उस इंटरव्यू को पढ़ने के बाद मैंने शशि शेखर जी को एक मेल भेजा। सोचा भी न था कि इस पहले मेल पर ही कोई कार्रवाई होगी। मैंने उनसे इस मेल में अमर उजाला के लिए पूर्वोत्तर से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। कुछ समय बाद अचानक एक दिन अमर उजाला के कार्यकारी संपादक उदय कुमार का एक एसएमएस प्राप्त हुआ।
इस एसएमएस में उन्होंने पत्र मिलने की बात कहते हुए शाम 7.30 बजे फोन पर बात करने को कहा। मैंने समयानुसार बात की, पर व्यस्तता की वजह से वे बात नहीं कर पाए। उन्होंने अगले दिन बात करने को कहा। बात की। पर कुछ नहीं हुआ। मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी कि मुझे न पहचानते हुए भी सिर्फ मेल के आधार पर उन्होंने उदय कुमार को मुझसे बात करने को कहा। आज के संपादकों के पास इतनी फुर्सत कहां। यही बात मैंने सुरेंद्र प्रताप सिंह में देखी थी। जब वे नव भारत टाइम्स में संपादक थे तो मैंने एक पत्र देकर पूर्वोत्तर से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने मेरे पत्र का जवाब देते हुए कहा था कि जब भी कोई मौका आएगा तो मुझे जरुर बुलाएंगे।
कमलेश्वरजी में भी यह खूबी थी। वे भी जबाव देते थे। वे भास्कर के संपादक बने तो मैंने उन्हें पत्र दिया तो उसका जवाब आया। भले ही तीनों में से किसी ने मुझे कोई नौकरी न दी हो पर उनके पत्रों और कार्रवाई से मैं अत्यंत प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। आज इस तरह के संपादक का मिलना मुशिकल हैं। ज्यादातर संपादकों को तो पत्र भेजते रहिए, उधर से कोई जवाब नहीं आता है।
लेखक राजीव कुमार पिछले बीस सालों से पू्र्वोत्तर में हिंदी पत्रकारिता कर रहे हैं। उनसे संपर्क करने के लिए rajivguw@gmail.com का सहारा लिया जा सकता है।
Comments on “पत्रों का जवाब देना नहीं भूलते शशि शेखर”
It is totally wrong. Maine bhi ek baar shashi shekhar ko mail kiya tha, magar abhi tak koi jawab nahi aaya.