: जांच शुरू, छोटे कर्मचारी को बलि का बकरा बनाया गया : जागरण में फर्जीवाड़े से शेयर धारकों के हिस्से को गोलमाल करने में यदि प्रबंधन बोर्ड के सदस्य पीछे नहीं हैं तो अधिकारी और कर्मचारी भी कोई मौका नहीं चूकना चाहते हैं। जाहिर है कि इस तरह से सीधे-सीधे कंपनी की बैलेंसशीट में लाभ दर्ज होने की बजाए यह मुनाफा प्रबंधन बोर्ड, अधिकारियों और कर्मचारियों की जेब में जा रहा है। गोलमाल के इस खेल में कंपनी के खर्च कई गुणा दिखाए जाते हैं, जो शेयर धारकों को मिलने वाले लाभ से दिए जाते हैं। जबकि हेराफेरी से मिलने वाला लाभ चंद व्यक्तियों की निजी जेब में जा रहा है। इस बार जागरण के प्रसार विभाग में लाइंग टैक्सियों की आड़ में किया जा रहा बड़ा घोटाला सामने आया है। फिलहाल इसकी आंच नोएडा तक ही सीमित है, लेकिन सूत्रों से पता चला है कि यह खेल नोएडा से जम्मू तक कई सालों से चल रहा था। इसकी जानकारी कानपुर तक जा पहुंची है और वहां से भी हलचल शुरू हो गई है। इस घटनाक्रम के मद्देनजर आने वाले समय में कोई बड़ा फेरबदल भी दैनिक जागरण में देखने को मिल सकता है।
टैक्सी और तेल के खेल का एक मामला पिछले पखवाड़े ही नोएडा के मुख्य कार्यालय में सामने आया था। इसमें कंपनी के एक छोटे से कर्मचारी को बलि का बकरा बना दिया गया। सूत्रों के अनुसार इस कर्मचारी पर तेल के लाखों रुपये के खेल का आरोप लगाकर उसे आनन-फानन में ही विदा कर दिया गया। जाहिर है कि यदि उसे कंपनी में रखकर जांच की जाती तो पूरे घोटाले के सूत्रधार की गर्दन पकड़ में आ जाती। इसलिए सूत्रधार ने तुरंत ही इस कर्मचारी को बाहर का रास्ता दिखाकर चतुराई से अपनी गर्दन बचा ली। इसके बावजूद प्रसार विभाग में उजागर हुए घोटाले ने इस सूत्रधार के हाथों को तोते उड़ा दिए हैं।
विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि दैनिक जागरण के प्रसार विभाग में नोएडा से चलने वाली टैक्सियों के हिसाब में कई सालों से लगातार हेराफेरी की जा रही थी। यह सारा खेल फिलहाल तो लाखों रुपये का दिख रहा है, लेकिन यदि सही ढंग से जांच हुई तो हिसाब करोड़ों रुपये में भी पहुंच सकता है। यह सारी हेराफेरी लाइंग टैक्सियों की आड़ में चल रही थी। जानकारी मिली है कि यह पूरा खेल विभाग के एक अधिकारी संस्थान के एक बड़े रुतबे वाले शख्स के इशारों और उनकी शह पर करने को मजबूर थे।
मजबूरी की बात का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि जो व्यक्ति फंदा लेकर गर्दन की तलाश में जुटा है यह सब खेल सालों से उसकी ही नाक के नीचे चल रहा था। लाखों रुपये का वेतन पाने वाले यह शख्स यदि सालों से इस बारे में खुद को अनजान साबित कर रहे हैं तो भी बड़े अफसोस की बात है। इन शख्स के परिवार के एक बच्चे को हाल ही में एक बड़े संस्थान में दाखिला दिलाने के लिए नकली दस्तावेज तैयार करवाने की भी चर्चा सुनी जा रही है। इस मामले का खुलासा भी शीघ्र ही सार्वजनिक होने की उम्मीद है। प्रसार विभाग के घोटाले के मामले में फिलहाल प्रसार विभाग की जिम्मेदारी एक ऐसे अधिकारी को सौंप दी गई है जो खुद भी सूत्रधार के निकट माने जाते हैं। यह अधिकारी महोदय एक मातहत के साथ सेंटर विजिट भी करना शुरू कर चुके हैं।
बहरहाल इस मामले की जांच शुरू होने के बाद नोएडा में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। माना जा रहा है कि इस मामले में कई जनों के नप जाने की स्थिति भी आ सकती है। दूसरी ओर इस पूरे मामले में यह जानकारी भी मिल रही है कि यदि किसी गलत गर्दन का चुनाव हो गया तो फंदा लेकर घूम रहे शख्स भी मुसीबत में आ सकते हैं। ऐसा ही मामला हरियाणा की एक यूनिट में भी लंबे समय से चल रहा है। इसके लिए सिर्फ रूट पर चलने वाली टैक्सियों के नंबर और उनके रूट का विवरण जांचने से ही पूरा मामला खुल जाएगा।
जागरण में इस तरह के कई खेल सालों से चल रहे हैं। एक जानकारी प्रबंधकों को मैं भी दे देता हूं कि वे पता करें कि जिला कार्यालयों में आने वाले अखबारों की रद्दी कहां जाती है? इसकी भी एक बार जांच कर लें। लाखों रुपये की हेराफेरी तो इसी रद्दी में हो जाती है। इसकी जांच के लिए सीधा सा फार्मूला भी दे देता हूं कि सभी जिला कार्यालयों में पिछले कुछ सालों के दौरान आने वाले अखबारों की एवज में दी गई राशि का विवरण निकलवा लीजिए और रद्दी बेचने से मिलने वाली धनराशि का लेखा-जोखा निकलवा लीजिए। हरियाणा में संस्थान की बन रही एक नई बिल्डिंग को आजकल पूरे जी-जान से निखारने का प्रयास चल रहा है। यहां पर की जा रही अतिरिक्त मेहनत पर भी यदि गौर किया जाए तो शेयर धारकों को बड़ा चूना लगने से बच सकता है। बहरहाल इस सब घटनाक्रम का परिणाम चाहे जो भी सामने आए तय है कि हर हाल में नुकसान तो शेयर धारकों को ही सहना पड़ेगा। अब इसमें चाहे जागरण का प्रबंधन बोर्ड चोरी करे या फिर कर्मचारी और अधिकारी।
दैनिक जागरण के पूर्व मुख्य संवाददाता राकेश शर्मा की रिपोर्ट
Sanjay bhati Editor supreme news
August 9, 2010 at 5:49 am
Rakesh bhai aapne to phale hi bataya tha ki chori me bhe chori hai lakin ye to choro k ghar me chori hai .hum to samajhte the ki chor k ghar kabhi chori nahi hoti .ab to choro k ghar bhi surkchit nahi hai .