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राष्ट्रीय सहारा ने स्वीकारा- इंटरव्यू फर्जी था

मोहन भागवत का इंटरव्यू राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित करने के बाद जो विवाद उठ खड़ा हुआ है, उस पर राष्ट्रीय सहारा ने पहले स्पष्टीकरण और अब खेद प्रकाशित किया है। राष्ट्रीय सहारा के समूह संपादक रणविजय सिंह की तरफ से प्रकाशित खेद संदेश में स्वीकार किया गया है कि इस इंटरव्यू पर संघ का जो मत है, उसे राष्ट्रीय सहारा स्वीकार करता है। संघ कह रहा है कि इंटरव्यू फर्जी है, लिया ही नहीं गया है, मनगढ़ंत है। इस बारे में भड़ास4मीडिया पर खबर प्रकाशित हो चुकी है। कल राष्ट्रीय सहारा के संपादकीय पेज पर ‘संपादक के नाम पत्र’ कालम में जो खेद प्रकाशित किया गया है, उसे हम यहां हू-ब-हू दे रहे हैं-

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मोहन भागवत का इंटरव्यू राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित करने के बाद जो विवाद उठ खड़ा हुआ है, उस पर राष्ट्रीय सहारा ने पहले स्पष्टीकरण और अब खेद प्रकाशित किया है। राष्ट्रीय सहारा के समूह संपादक रणविजय सिंह की तरफ से प्रकाशित खेद संदेश में स्वीकार किया गया है कि इस इंटरव्यू पर संघ का जो मत है, उसे राष्ट्रीय सहारा स्वीकार करता है। संघ कह रहा है कि इंटरव्यू फर्जी है, लिया ही नहीं गया है, मनगढ़ंत है। इस बारे में भड़ास4मीडिया पर खबर प्रकाशित हो चुकी है। कल राष्ट्रीय सहारा के संपादकीय पेज पर ‘संपादक के नाम पत्र’ कालम में जो खेद प्रकाशित किया गया है, उसे हम यहां हू-ब-हू दे रहे हैं-

खेद

‘राष्ट्रीय सहारा’ के 30 अगस्त 2009 के अंक में पृष्ठ 10 पर सरसंघचालक मोहनराव भागवत से राकेश आर्य की जो बातचीत प्रकाशित हुई है, उसके संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख श्री मनमोहन वैद्य का कहना है कि यह बातचीत हुई ही नहीं है। इस संबंध में हम अपना स्पष्टीकरण छाप चुके हैं लेकिन आप इससे संतुष्ट नहीं हैं, लिहाजा हम आपके मत को स्वीकार करते हैं। आपको इस बातचीत के छपने के कारण जो कष्ट पहुंचा है, उसके लिए हमें हार्दिक खेद है।

रणविजय सिंह

समूह संपादक

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