Connect with us

Hi, what are you looking for?

हलचल

कितने बड़े हरामखोर हैं ये मीडिया घराने

: शेयर लेकर कंपनियों की खबर देने का काम करते थे : अब सेबी वालों ने नकेल कसने का काम शुरू किया : बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों से शेयर लेकर उनके विज्ञापन और खबर देने वाली मीडिया कंपनियों पर नकेल कसने के लिए बाजार नियामक सेबी ने इस तरह के शेयरों के लेन-देन के निजी समझौतों (प्राइवेट ट्रिटी) का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है। सेबी ने कहा है कि सूचीबद्ध कंपनियों को मीडिया समूहों के साथ निजी समझौते की सूचना अपनी बेवसाइट पर देनी होगी। नियामक ने मीडिया घरानों के लिए भी ऐसी कंपनियों की खबर देते समय यह जानकारी देना आवश्यक कर दिया है, कि उस कंपनी में उसकी कितनी हिस्सेदारी है।

<p style="text-align: justify;">: <strong>शेयर लेकर कंपनियों की खबर देने का काम करते थे : अब सेबी वालों ने नकेल कसने का काम शुरू किया </strong>: बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों से शेयर लेकर उनके विज्ञापन और खबर देने वाली मीडिया कंपनियों पर नकेल कसने के लिए बाजार नियामक सेबी ने इस तरह के शेयरों के लेन-देन के निजी समझौतों (प्राइवेट ट्रिटी) का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है। सेबी ने कहा है कि सूचीबद्ध कंपनियों को मीडिया समूहों के साथ निजी समझौते की सूचना अपनी बेवसाइट पर देनी होगी। नियामक ने मीडिया घरानों के लिए भी ऐसी कंपनियों की खबर देते समय यह जानकारी देना आवश्यक कर दिया है, कि उस कंपनी में उसकी कितनी हिस्सेदारी है।</p> <p>

: शेयर लेकर कंपनियों की खबर देने का काम करते थे : अब सेबी वालों ने नकेल कसने का काम शुरू किया : बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों से शेयर लेकर उनके विज्ञापन और खबर देने वाली मीडिया कंपनियों पर नकेल कसने के लिए बाजार नियामक सेबी ने इस तरह के शेयरों के लेन-देन के निजी समझौतों (प्राइवेट ट्रिटी) का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है। सेबी ने कहा है कि सूचीबद्ध कंपनियों को मीडिया समूहों के साथ निजी समझौते की सूचना अपनी बेवसाइट पर देनी होगी। नियामक ने मीडिया घरानों के लिए भी ऐसी कंपनियों की खबर देते समय यह जानकारी देना आवश्यक कर दिया है, कि उस कंपनी में उसकी कितनी हिस्सेदारी है।

सेबी के कहा है कि मीडिया प्रतिष्ठानों द्वारा ऐसी सूचनाओं को सार्वजनिक नहीं करने से निवेशकों और वित्तीय बाजारों का हित प्रभावित हो सकता है। सेबी के बयान में कहा गया है कि पत्रकारिता के कुछ घोषित नियम और आचार हैं, जिसके तहत पत्रकारों को उस कंपनी से अपने संबंधों का खुलासा करने की अपेक्षा होती है, जिसके बारे में वे खबर दे रहे होते हैं। स्थिति का सेबी ने मीडिया घरानों द्वारा निजी समझौते के जरिये कंपनियों के शेयर लेकर उनके ब्रांड के प्रचार-प्रसार के मुद्दे को समाचार पत्र-पत्रिकाओं पर निगरानी रखने वाले निकाय, भारतीय प्रेस परिषद के समक्ष भी रखा था।

सेबी के अनुसार प्रेस परिषद ने 22 फरवरी को हुई बैठक में सेबी के इस सुझाव को स्वीकार किया कि मीडिया घरानों को इस तरह के निजी समझौते या कंपनियों के निदेशक मंडल में अपने प्रतिनिधित्व, प्रबंध में किसी प्रकार के नियंत्रण या हितों के संभावित टकराव की स्थिति के बारे में अपनी स्थिति का खुलासा करना पड़ेगा। सेबी ने कहा है कि इस तरह के समझौते खासकर ऐसी कंपनियों के साथ होते हैं, जो सूचीबद्ध होती हैं या वे शेयरों का सार्वजनिक निर्गम लाने की तैयारी कर रही होती हैं। इनमें सामान्यतः मीडिया कवरेज के लिए शेयर दिये जाते हैं।

सेबी के अनुसार इस तरह का कवरेज, विज्ञापन, समाचार अथवा एडवरटोरियल (विज्ञापन वाली खबरें) के रूप में हो सकता है और यह प्रिंट और इलेक्ट्रिनिक दोनों माध्यमों के जरिये किया जा सकता है। सेबी के राय में ऐसे मामलों में ‘हितों का टकराव’ हो सकता है, जिससे प्रेस की आजादी प्रभावित हो सकती है। इससे संबंद्ध कंपनी के बारे में मीडिया के समाचारों और संपादकी की प्रकृति, गुणवत्ता और उसकी विषय वस्तु प्रभावित हो सकती है।

Click to comment

0 Comments

  1. अभिषेक

    August 28, 2010 at 10:06 pm

    तभी तो सीएनबीसी 18 और आवाज जैसे चैनलों के मालिक दिन करोड़पति रात अरबपति हुए जा रहे हैं और पत्रकार बेचारे यह सोच कर खुश हैं कि उनकी खबर लाख टके की है.

  2. xyz

    August 29, 2010 at 8:26 am

    Aap ne Media-Gharanon ke liye ** haraamkhor** word ka istemaal kiya . par pure ARTICLE mein ** Media Gharanon ki haraamkhori** ka zikra tak nahi hai . Aap ne ye bhi nahi bataaya ki Media-Gharanon ne kya **HARAMKHORI ** ki hai ? Aisa lagata hai ki aap ko is Gande shabd ka istemaal karna tha, aur aap ne kar diya ! Kash aap is shabd ke istemaal ka byora to dete, jayaz kaaran bata te, taaki paathkon ko maalum to chalta ki aap ne **HARAMKHOR ** shabd ka istemaal kis bina par kiya hai ? Is se paathkon ko bhi lagta ki unhe article mein wahi padhne ko mila jo Title mein hai ! par yahan to Title kuch aur aur article kuch aur hai !
    Pure article mein sirf ye bataya gaya hai ki SEBI ne kya kaha aur aur kis tarah ka paalan karne ki naseehat Media-Gharaanon ko di hai ? Khair ! koi baat nahi , jeebh hi to hai , fhisal gayee hogi !

  3. यशवंत

    August 29, 2010 at 8:30 am

    एक्स वाई जेड भइया, अगर आपको पूरी खबर से मीडिया घरानों की हरामखोरी का पता नहीं चल पा रहा है तो फिर आप से क्या बात की जाए. कोई दस रुपये लेते मिले तो उसे दलाल कह दो, पर ये जो मीडिया घराने हैं जो जनता की गाढ़ी कमाई किसी चिरकुट कंपनी में लगवाने के लिए उस कंपनी के शेयर ले लेते हैं और फिर उनकी बड़ाई करते हैं, लोगों को उस कंपनी में निवेश की सलाह देते हैं, जब पैसा खूब निवेश हो जाता है तो अपने हिस्से के शेयर का पैसा लेकर निकल लेते हैं, अब वो कंपनी डूब जाए और जनता का पैसा मारा जाए तो किसी का क्या! यही तो हरामखोरी है मेरे दोस्त. सेबी ने नकेल कसना शुरू किया है तो इसका मतलब साफ है कि ये खेल काफी दिनों से बड़े मीडिया घरानों द्वारा खेला जा रहा था. पता तो यह लगाना चाहिए कि किस मीडिया घराने के किस किस कंपनी में शेयर रहे हैं और कौन कौन कंपनी डूबी हैं. इन सालों को सरेआम फांसी देना चाहिए. चोर हम आप नहीं, चोर तो वो हैं. हमारी आपकी चोरी तो मानवीय स्वभाव का हिस्सा है जो सरवाइवल के लिए है.
    यशवंत

  4. xyz

    August 29, 2010 at 8:46 am

    ab jaakar aap ne pura byora aur baat kahi ! kaash apne article mein hi likh dete to mujhe ye tippani karne ki zarurat nahi padti ! raha sawal mujhe pata chalne ka , to Media-gharaanon ki baat sabko malum rahti hai to iska kya matlab maana jaya ki TITLE KUCH AUR-ARTCLE KUCH AUR ke saath ye jod dene ki parampara ko aap aage badhana chahte hain — ki PAATHAK AAP SAMAJHDAAR AUR JAANKAAR HAIN IS LIYE AAP SE PURI BAAT KYA BATAYEE JAAYE ? Yani aap , TITLE KUCH AUR-ARTCLE KUCH AUR ki parampara ko aage badhana chahte hain , aur baaki sab paathkon ke andaaz aur gyaan par chod dena chahte hain . chaliye koi baat nahii .
    AAP KE IS NAYE ANDAAZ KE LIYE AAP KO DHER SAARI SHUBHKAAMNA !

  5. R.Singh

    August 29, 2010 at 11:24 am

    यशवंत जी , पहले तो xyz को भड़ास का मतलब नहीं पता ,जो इतना परेशान हो गए या शायद उनके अंदर में हरा…….का नमक खून में हेलोरे ले कर पूछ रहा हो….लेकिन xyz भाई अगर आप को नहीं पसंद तो गांधी के तीन बंदरो में जो एक कर रहा है वो… कर लो ……..कृपा कर हमें जो जानकारी मिल रहा है उसे आ ने दो ……बाकी पाठक काफी बात इशारों में ही समज जाते है ……….. R.Singh

  6. R.Singh

    August 29, 2010 at 11:38 am

    कुछ लोगो को बेमतलब का टिप्णी करने आदत है ….चलो पता चल गया…. R.Singh

  7. अभिषेक

    August 29, 2010 at 7:42 pm

    यशवंत भाई, कृपया इस बात का खयाल रखें कि इंटरनेट पर कुछ पाठक ऐसे भी होते हैं जो कम समझदार होते हैं. उन्हें चम्मच से दूध पिलाने (Spoon feeding) की जरूरत होती है. ये xyz जी भी कुछ ऐसी ही कैटेगरी में आते प्रतीत होते हैं, लेकिन क्या करेंगे.. वे भी आपके पाठकों में ही शामिल हैं… लेकिन ऐसे लोगों को अलग से मेल भेज दें. टिप्पणी बोर्ड की गरिमा का तो खयाल रखें.

  8. the truth..........

    August 31, 2010 at 1:26 pm

    uiyuiyuihjhjihuihjihihjihuihuiuhuiyhihhui

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement