: कोर्ट ने सरकार को नोटिस देने से मना किया : सेबी ने सहारा की दो कंपनियों को ओएफसीडी (आप्शनल फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर) के जरिए उगाही रकम को 15 फीसदी ब्याज समेत निवेशकों को लौटाने का जो आदेश दिया था, उसके खिलाफ सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सहारा ने पक्ष रखा कि उसकी दोनों कंपनियां (सहारा इंडिया रीयल एस्टेट व सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट) लिस्टेड नहीं हैं.
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सेबी ने वाकई पीएसीएल के कई ठिकानों पर छापेमारी की या आजसमाज में फर्जी खबर छपी?
इन दिनों पीएसीएल चर्चा में है. यह पर्ल्स ग्रुप की मदर कंपनी है. पी7न्यूज चैनल, बिंदिया मैग्जीन, मनी मंत्रा मैग्जीन, शुक्रवार मैग्जीन यही ग्रुप निकालता है. मध्य प्रदेश में राज्य सरकार ने बिल्डरों और चिटफंडियों के खिलाफ अभियान चला रखा है. इसकी शुरुआत खासकर तब हुई जब कई बिल्डरों और चिटफंडियों ने राज्य सरकार को अपने मीडिया माध्यमों से ब्लैकमेल करना शुरू किया. जब ब्लैकमेलिंग की हद हो गई तो राज्य सरकार ने इन्हें सबक सिखाने के लिए इनकी मूल कंपनियों की चूले हिला दीं.
सहारा को लौटाने होंगे 8000 करोड़ रुपये
: वह भी 15 प्रतिशत ब्याज के साथ और पेमेंट करना होगा डी डी / बैंकर्स चेक द्वारा : ये हैं सेबी के आदेश : SEBI’S ORDER : PR No.94/2011 : Order in the matter of issuance of Optionally Fully Convertible Debentures (OFCDs) issued by Sahara India Real Estate Corporation Ltd. (SIRECL), now known as Sahara Commodity Services Corporation Ltd. and Sahara Housing Investment Corporation Ltd. (SHICL)…
Freeze accounts of all three Sahara companies
यह पत्र भड़ास4मीडिया के पास investors and consumers guidance cell की तरफ से iguidancecell@gmail.com मेल आईडी के जरिए भेजा गया है. पत्र के आखिर में दो लोगों के नाम प्रेषक के रूप में दिए गए हैं, मोबाइल नंबरों के साथ- ANIL UPADHYAY (9322295889) और PAPPU BHUPENDRA SINGH (9987335159). इन्होंने पत्र को कई सरकारी विभागों, अफसरों आदि के पास भेजा है. इनकी कई मांगें हैं. पूरा पत्र पढ़िए फिर माजरा को समझने की कोशिश करिए..
बेसहारा होने की राह पर चल पड़ा है सहारा समूह!
भर पेट विज्ञापन दे देकर मीडिया हाउसों का मुंह बंद करने में अब तक सफल रहे सहारा समूह के खिलाफ न जाने क्यों एचटी ग्रुप के अखबार सच्चाई का प्रकाशन करने में लग गए हैं. यह सुखद आश्चर्य की बात है. हो सकता है हिंदुस्तान को सहारा समूह से नए विज्ञापन दर पर बारगेन करना हो या फिर शोभना भरतिया व सुब्रत राय में किसी बात को लेकर तलवारें खिंच गई हों.
सहारा के फर्जीवाड़े पर सेबी सख्त
: प्रतिबंध के बावजूद रकम जुटाने का मामला : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सहारा समूह की दो कंपनियों के खिलाफ फिर से सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में इन कंपनियों को जनता से धन जुटाए जाने से रोके जाने के बाद बाजार नियामक ने फिर से इनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए शुक्रवार को एक सार्वजनिक अधिसूचना जारी की है। समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के खिलाफ मौजूदा जांच के तथ्यों को दोहराते हुए सेबी ने यह अधिसूचना जारी की है।
सहारा से रहें सावधान
: सेबी ने निवेशकों को आगाह किया : बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एंव विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों को चेतावनी दी है कि सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड से में निवेश करने से दूर रहें. ये दोनों कंपनियां उसकी मंजूरी के बिना ही धन जुटा रही हैं, अगर निवेशक के साथ कुछ ऊंच-नीच या गलत-सही होता है तो सेबी उनकी शिकायतों का निवारण नहीं कर सकेगा.
सहारा की याचिका पर सेबी को नोटिस जारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट को आम जनता से पैसा उगाहने पर रोक लगाने वाली सेबी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सेबी और कंपनी रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया. यह आदेश न्यायमूर्ति डीपी सिंह व न्यायमूर्ति वीके दीक्षित की दो सदस्यीय खंडपीठ ने दिया. इस मामले की अगली सुनवाई एक दिसंबर को होगी.
सेबी के आदेश को चुनौती देगा सहारा समूह
बाजार विनियामक सेबी द्वारा सहारा समूह की दो कंपनियों और उसके सुप्रीमो सुब्रतो राय पर जनता से धन जुटाने पर रोक लगाए जाने को सहारा ने गलत बताया है। इस आदेश से भन्नाए इस बहुधंधी समूह ने कहा है कि वह सेबी के आदेश को उचित मंची पर चुनौती देगा।
सेबी ने सहारा समूह को दिया जोर का झटका
अपने राजनीतिक ताल्लुकात, बॉलीवुड सितारों से नजदीकी और रहस्यमय चेयरमैन सुब्रत रॉय के लिए मशहूर सहारा समूह को कैपिटल मार्केट नियामक सेबी ने जोर का झटका जोर से ही दे दिया है। सेबी ने रॉय और सहारा के कुछ अन्य निदेशकों पर प्रतिभूति जारी कर रकम जुटाने पर पाबंदी लगा दी है। इसके अलावा समूह की दो कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भेजकर सवाल किया गया है कि क्यों न उन्हें 5,000 करोड़ रुपए रिफंड करने के निर्देश दिए जाएं, जिनका इंतजाम उन्होंने अब तक किया है। यह कदम समूह की रियल एस्टेट इकाई सहारा प्राइम सिटी के बहुप्रतीक्षित आईपीओ पर सवाल खड़ा करता है, जिस पर सितंबर 2009 से ही तलवार लटक रही है।
कितने बड़े हरामखोर हैं ये मीडिया घराने
: शेयर लेकर कंपनियों की खबर देने का काम करते थे : अब सेबी वालों ने नकेल कसने का काम शुरू किया : बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों से शेयर लेकर उनके विज्ञापन और खबर देने वाली मीडिया कंपनियों पर नकेल कसने के लिए बाजार नियामक सेबी ने इस तरह के शेयरों के लेन-देन के निजी समझौतों (प्राइवेट ट्रिटी) का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है। सेबी ने कहा है कि सूचीबद्ध कंपनियों को मीडिया समूहों के साथ निजी समझौते की सूचना अपनी बेवसाइट पर देनी होगी। नियामक ने मीडिया घरानों के लिए भी ऐसी कंपनियों की खबर देते समय यह जानकारी देना आवश्यक कर दिया है, कि उस कंपनी में उसकी कितनी हिस्सेदारी है।