Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

प्रभात खबर के दफ्तर पहुंचे भास्कर के एमडी सुधीर अग्रवाल

[caption id="attachment_16907" align="alignleft"]सुधीर अग्रवालसुधीर अग्रवाल[/caption]भास्कर समूह के प्रबंध निदेशक सुधीर अग्रवाल कल रांची में थे. इसकी जानकारी जब प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश को लगी तो उन्होंने सुधीर अग्रवाल को प्रभात खबर आफिस आने और पूरे स्टाफ से इंटरेक्ट करने का न्योता दिया. हरिवंश के विनम्र आग्रह को सुधीर अग्रवाल भी ठुकरा नहीं पाए. वे प्रभात खबर के रांची आफिस पहुंचे और सभी विभागों के कर्मियों के बीच अपना वक्तव्य दिया. इस आयोजन के एकमात्र वक्ता सुधीर अग्रवाल थे. श्रोता थे सभी प्रभात खबर कर्मी. 

सुधीर अग्रवाल

सुधीर अग्रवालभास्कर समूह के प्रबंध निदेशक सुधीर अग्रवाल कल रांची में थे. इसकी जानकारी जब प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश को लगी तो उन्होंने सुधीर अग्रवाल को प्रभात खबर आफिस आने और पूरे स्टाफ से इंटरेक्ट करने का न्योता दिया. हरिवंश के विनम्र आग्रह को सुधीर अग्रवाल भी ठुकरा नहीं पाए. वे प्रभात खबर के रांची आफिस पहुंचे और सभी विभागों के कर्मियों के बीच अपना वक्तव्य दिया. इस आयोजन के एकमात्र वक्ता सुधीर अग्रवाल थे. श्रोता थे सभी प्रभात खबर कर्मी. 

इस मौके पर उन्होंने याद किया कि वे पहली बार भास्कर समूह के बाहर, किसी अन्य अखबार की संपादकीय टीम के साथ इंटरेक्ट कर रहे हैं. सुधीर अग्रवाल करीब डेढ़ घंटे तक बोले. अखबारी दुनिया, मीडिया, तकनीक, कंटेंट, प्लानिंग, ग्रोथ, नया दौर… कई मुद्दों पर अपने विचार रखे. प्रभात खबर के लोगों ने उनसे सवाल भी पूछे. सुधीर ने सबके सवालों का यथोचित जवाब दिया.

दरअसल ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब प्रभात खबर, रांची में किसी दूसरे अखबार के मालिक या संपादक को बुलाया गया हो. यहां परंपरा रही है कि अगर किसी दूसरे मीडिया समूह का कोई जाना-माना शख्स शहर में आता है और उसकी जानकारी प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश को होती है तो उस मेहमान को सम्मान के साथ प्रभात खबर के आफिस बुलाया जाए,  उनसे बातचीत की जाए, उनको सुना जाए.

कुछ वर्ष पहले अमर उजाला समूह के निदेशक अतुल माहेश्वरी भी प्रभात खबर आफिस आकर अपनी बात रख चुके हैं. दूसरे बड़े मीडिया घरानों के मालिकों के प्रभात खबर आफिस में आने से स्थानीय स्तर पर कई लोग कई तरह की चर्चाएं और कानाफूसी शुरू कर देते हैं, बातें बनाने लगते हैं, प्रभात खबर के बिकने-खरीदने से संबंधित अफवाह उड़ाने लगते हैं. पर वास्तव में ऐसा नहीं होता. प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश जिस लोकतांत्रिक परंपरा के वाहक हैं उसमें वैचारिक संकीर्णता का कोई स्थान नहीं है. सबकी बात सुनने और सबको कहने का मौका देना उनकी फितरत में शामिल है.

हरिवंश का मानना है कि मीडिया दिग्गजों के प्रभात खबर आफिस आने और अपनी बात रखने से प्रभात खबर के स्टाफ को नया कुछ सीखने का मौका तो मिलता ही है, एक अच्छी परंपरा को बचाने-बढ़ाने में भी मदद मिलती है. कुलदीप नैय्यर, वीजी वर्गीज समेत कई नामी संपादक भी प्रभात खबर आफिस आकर अपना वक्तव्य दे चुके हैं. एक्सचेंज आफ आइडियाज को महत्वपूर्ण मानने वाले हरिवंश भड़ास4मीडिया के संपर्क करने पर कहते हैं- ‘अगर बौद्धिक विकास को जारी रखना है, पत्रकारिता की स्वस्थ परंपरा को आगे बढ़ाना है तो हमें सबकी बात सुनकर खुद को अपग्रेड करते रहना चाहिए. नालेज अपग्रेडेशन बहुत जरूरी है. तभी मीडिया और समाज, दोनों का भला होगा.’ हरिवंश के मुताबिक, ‘हम लोग आगे भी मीडिया क्षेत्र के नामी उद्यमियों, संपादकों को इसी तरह बुलाते रहेंगे और अपने लोगों को उनके अनुभवों से दो-चार कराते रहेंगे.’

उल्लेखनीय है कि ऐसी ही परंपरा अमर उजाला की बरेली और कानपुर यूनिटों में मशहूर कवि और अमर उजाला के सलाहकार रहे वीरेन डंगवाल ने शुरू की थी. कानपुर में बाहर से आने वाले हर प्रतिष्ठित साहित्यकार और पत्रकार को उन्होंने अपने कार्यकाल में अमर उजाला आफिस आमंत्रित कर स्टाफ से इंटरेक्शन कराया. वीरेन डंगवाल जब तक अमर उजाला, बरेली से जुड़े रहे, प्रत्येक महीने के पहले मंगलवार को किसी चर्चित व्यक्ति का व्याख्यान आफिस के अंदर कराते.

प्रोडक्ट बनने की होड़ में लगे अखबारों से गायब होतीं स्वस्थ परंपराओं को जिंदा रखने की कोशिशों का हम सभी को स्वागत करना चाहिए. दरअसल, जब तक हम आपस में बात नहीं करेंगे, एक दूसरे को सुनेंगे नहीं तब तक किसी समस्या का हल भी नहीं निकाल सकेंगे. तो लोकतंत्र में सभी का सभी से मिलकर बोलते-बतियाते रहना, सुनते-सुनाते रहना ज्यादा महत्वपूर्ण है, बजाय घनघोर चुप्पी साधते हुए शातिर गिरोबंदी में जुटे रहने के.

Click to comment

0 Comments

  1. Chitransh sandeep

    February 11, 2010 at 10:25 am

    Respected Harivansh ji
    sadar saduvaad ke patra hai aapki work culture se patrakarita ke sadguno ka aadhar majboot hota hai.
    patrakararita ko sahi disha dijiye yahi aagrah hai.
    Chitransh sandeep -Journalist

  2. Rajesh Kumar Kshitij

    February 11, 2010 at 1:49 pm

    Respected Sir
    Bhale hi bazarwad ke karan akhbaron ki shakh gir gai ho ya gir rahi ho…lekin aapke leadership mein aaj bhi PRABHAT KHABAR bemisal hai…ek udaharan hai….

  3. KUMAR RAJENDRA

    February 11, 2010 at 6:50 pm

    Respected Harivansh ji
    Aapki soch aapki shally bahut achchi ha, kisi bade PATRAKAAR ke baare me achcha padhker is baat ki tassally hoti hai ki koyi to ha PATRAKAARITA ka majbooty ke saath jhanda buland karnewaala. sir aap apne kaam me isi tarah jute rehiye taaki UMMEEDON KA CHIRAAG bujhne n paaye. thanks

  4. prashant kumar

    February 12, 2010 at 7:29 am

    respected sir,bazarwad ke daur me apaka kam hum jaise patrakaro ke liye ummid ka ek kiran hai.

  5. Tehseen Munawer

    February 13, 2010 at 5:44 am

    Harivansh ji…
    Namskar
    Yeh padhker accha laga k kahin na kahin kucch na kucch zinda hai…Agar zinda hain to zinda nazar aana zaruri hai….. Aik acchi parampara ko sanjone ke liye dhaneywad….
    [b][/b]

  6. Subhashish Roy

    February 13, 2010 at 10:20 am

    Adaraniya Haribanshji,
    Its simply great. Realy U R the icon of Journalism.
    Many many thanx for this kind of intiatives.
    Subhashish Roy
    Senior Journalist.
    Jharkhand

  7. harendra

    February 13, 2010 at 10:46 am

    hariwansh jee ko badhai.aapne hamesha naya kia hai harendra

  8. Tripti Shukla

    February 13, 2010 at 11:56 am

    it makes me feel good, ki abhi aisa kuch bhi baki hai aj ki so called media me, Hariwansh ji, I wl meet u whnever I cn! may I?

  9. ravindra jain

    February 13, 2010 at 5:36 pm

    मुझे श्री सुधीर अग्रवाल जी के साथ काम करने का सौभाग्य मिला है। उस समय हम सुधीरजी को भैय्या कहकर संबोधित करते थे। आजकल वे सुधीर सर कहे जाते हैं। सुधीरजी की शुरूआत भोपाल भास्कर से हुई है। उन्होंने अखबार मालिक होने के बाद भी उन्होंने अखबार के हर विभाग में काम किया। उस समय समाचार पत्र को खबर देने के साथ साथ समाज से जोडऩे का काम उस समय सुधीरजी कर रहे थे। उनका पहला प्रयोग इंदौर उत्सव के रूप में था। जिसमें उन्होंने तीन दिन तक पूरे शहर को जोड़कर महोत्सव मनाया था। इसके बाद सुधीरजी ने पटल कर नहीं देखा। राजस्थान में भास्कर लांच करने से पहले सुधीर जी ने जिस तरह सर्वें कराया तथा आम आदमी से न केवल पूछा कि उसे कैसा अखबार चाहिए, बल्कि उनकी अपेक्षा के अनुरूप अखबार का रूप रंग भी बदला गया।
    सुधीरजी जानते हैं कि पाठक को कैसे किसी अखबार का एडिक्ट बनाया जाता है। आज कई राज्यों में सुबह होते ही लोग भास्कर को खोजने लगते हैं। सुधीरजी के नेतृत्व में भास्कर की प्रगति पर कई छात्र पीएचडी कर रहे हैं। सुधीरजी ने यदि प्रभात खबर के अखबार में आकर लगातार डेढ़ घंटे का वक्तव्य दिया तो मैं समझता हूं कि – यह न केवल पत्रकारों के लिए, बल्कि प्रभात खबर के प्रबंधन के लिए उपयोगी साबित होगा। प्रभात खबर ने सुधीर जी को बुलाकर एवं सुधीर जी ने प्रभात खबर के दफ्तर पंहुचकर एक अच्छी परंपरा की शुरूआत की है। मेरी ओर से दोनों को साधुवाद।

    रवीन्द्र जैन
    राज एक्सप्रेस, भोपाल
    09425401800

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement