नंगी होती खबरों में भटकता न्‍यूज वैल्‍यू

अंकुरघड़ी रात के ग्यारह बजा रही थी। अनमने ढंग से देश और विदेश का हाल जानने के लिए टीवी खोला। रिमोट का बटन दबाते हुए अंगुलिया थक गई लेकिन देश और विदेश छोडि़ये जनाब अपने शहर तक की खबर नहीं मिल पाई। आप सोचेंगे ऐसा क्यूं? आइये रात 10 बजे टीवी चैनलों की बानगी पर एक नजर ड़ालें। ‘आपकी आवाज’  पंचलाइन वाला चैनल अधनंगी वीना मलिक और बड़बोली राखी सावंत के साथ क्रिकेट पर अपना ज्ञान बखार रहा था।

वरिष्ठों के दबाव में अंकुर ने इस्तीफा दिया

[caption id="attachment_15290" align="alignleft"]अंकुर विजयवर्गीयअंकुर विजयवर्गीय[/caption]‘जी न्यूज’ के क्षेत्रीय चैनल ‘जी 24 घंटे छत्तीसगढ़’ के भोपाल संवाददाता अंकुर विजयवर्गीय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अंकुर सीमित संसाधनों के बावजूद भोपाल के साथ-साथ पूरा मध्य प्रदेश कवर रहे थे। बताया जा रहा है कि अंकुर के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद वरिष्ठ लोग उनसे कई वजहों से नाराज चल रहे थे। एक वजह अंकुर का स्वाभिमानी और मेहनती होना भी था। एक महीने से उन पर आरोप लगाया जा रहा था कि वे खबरें छोड़ रहे हैं और घटिया प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि पूरे चैनल में सबसे अच्छे लाइव, पीटूसी और कापी के लिए अंकुर जाने जाते हैं।

हड़ताल पर भगवान

[caption id="attachment_15290" align="alignleft"]अंकुर विजयवर्गीयअंकुर विजयवर्गीय[/caption]शीर्षक पढ़कर कहीं आप सोच में तो नहीं पड़ गए। अगर अभी तक नहीं सोच रहे हैं तो फिर सोचना शुरू कर दीजिये, क्यूंकि अगर अब भी आपने नहीं सोचा तो आपके साथ भी वो हो सकता है जो मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के मरीजों के साथ हो रहा है। निश्चित ही मरीज तो आप भी कभी न कभी रहें होंगे और आगे भी कभी रह सकते हैं। खैर भगवान न करें कि आप कभी मरीजों की श्रेणी में आयें क्योंकि अगर आप इस कैटेगरी में आ गए तो आप भी कहेंगे कि वाकई भगवान हड़ताल पर हैं।  मेरी इतनी लंबी बकवास के बाद तो आप शायद समझ गए होंगे कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ और उत्तरप्र देश के जूनियर डॉक्टर पिछले कई दिनों से हड़ताल पर हैं। मरीजों के लिए भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले डॉक्टर भी हड़ताल पर हो तो बेचारे मरीजों का क्या होगा। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मांगें उनके साथ-साथ मरीजों के हित में भी हैं। अब जरा मध्य प्रदेश में इन डॉक्टरों की मांगों पर भी थोड़ा गौर कर लीजिये। फीस में पचास प्रतिशत की कमी, प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की गैरमान्यता प्राप्त 74 सीटों को मान्यता देने की मांग और मेडिकल छात्रों को अस्पताल में ड्यूटी के दौरान इंशयोरेंस। इसके साथ एक खास मांग और भी सुनिये। स्टायपेंड बढ़ाने की मांग।

सनसनी है बेटा… टीआरपी बढ़ेगी!

[caption id="attachment_15290" align="alignleft"]अंकुर विजयवर्गीयअंकुर विजयवर्गीय[/caption]पिछले दिनों मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से एक खबर आई। एक पत्रकार होने के नाते मेरे लिए उस खबर पर अचंभित होना लाजमी था। खबर थी कि एक मुर्गी ने इंसान के बच्चे को जन्म दिया। लगभग एक हाथ की लंबाई का वो बच्चा जन्म लेते ही मर गया। पता नहीं क्यूं मेरा मन ये मानने से इंकार कर रहा था कि ऐसा हो सकता है, क्यूंकि विज्ञान का विद्यार्थी रह चुके होने के नाते मुझे डार्विन का सिद्धांत याद आ रहा था कि शुरुआती तीन महीनों में इंसान और जानवर दोनों का विकास एक जैसा होता है। पर खबर थी तो करना भी जरूरी था। मुझे लगा, हो सकता है कि कोई उस भ्रूण को वहां पर फेंक गया हो या फिर डार्विन भाई का सिद्वांत ही ठीक हो। खबर करने का मन न होने का एक कारण यह भी था कि उस बच्चे को पैदा होते किसी ने नहीं देखा। लेकिन उपर से आदेश था तो खबर करना भी जरूरी था लेकिन क्या करें, दिल है कि मानता नहीं। पांच बजे तक हमने इंतजार किया और जब देखा कि सभी चैनलों ने उसे चलाना शुरू कर दिया तो मजबूरन मुझे भी ये खबर करनी पड़ी। अगले दिन बजट पेश होना था।