अमरीका में मोबाइल पर बीबीसी हिंदी

अमरीका में बीबीसी हिंदी के श्रोताओं के लिए अच्छी ख़बर है. अब अमरीका के लोग बीबीसी हिंदी रेडियो मोबाइल फ़ोन पर भी सुन सकते हैं. उत्तरी अमरीका में मोबाइल फ़ोन रेडियो सेवा देने वाली कंपनी ऑडियोनाओटीएम और बीबीसी के साथ हुए करार के बाद ये संभव हुआ है. अब अमरीका के लोग जब चाहें बीबीसी हिंदी रेडियो और ऑडियो न्यूज़ कंटेंट अपने मोबाइल फ़ोन पर सुन सकते हैं. नई सेवा के तहत अमरीका में हिंदी बोलने वाले लोग बीबीसी हिंदी के ऑडियो दो तरह से सुन सकते हैं.

बीबीसी विश्वसेवा को मिला और धन, हिंदी का भी उद्धार

बीबीसी विश्व सेवा को ब्रिटिश सरकार से अगले तीन सालों में 22 लाख पाउंड प्रति वर्ष और मिलेगा. ब्रिटेन के विदेशमंत्री विलियम हेग ने कहा कि ये अतिरिक्त धन बीबीसी की अरबी सेवा को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा जिसने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया है. इसके अलावा बीबीसी 9 लाख पाउंड हिंदी सेवा के शॉर्टवव रेडियो प्रसारण के लिए देगी. पिछले साल सरकार ने विश्वसेवा के 27 करोड़ पाउंड के बजट में 16 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की थी.

बीबीसी हिंदी में अंदरूनी राजनीति तेज!

ये चिट्ठी एक मेल के जरिए भड़ास के पास पहुंची है. तथ्यों को वेरीफाई नहीं किया जा सका है. बीबीसी के लोगों से अपील है कि वे इस पत्र में कही गई बातों का खंडन या मंडन करें, नीचे कमेंट बाक्स के जरिए या फिर bhadas4media@gmail.com पर मेल करके. पत्र इस प्रकार है- ”बीबीसी हिंदी की पूर्व सम्पादक सलमा ज़ैदी जो इन दिनों नोटिस पर चल रही है, वे आजकल अपने खर्चे पर लंदन गयी हैं जहाँ उन्होंने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के प्रमुख पीटर होरक्स से अपने साथ हुए अन्याय की बात कही है और इस मामले पर अगले इसी शुक्रवार लंदन के बीबीसी दफ्तर में सुनवाई होनी है.

ये है बीबीसी हिंदी रेडियो सर्विस को जीवनदान देने से संबंधित प्रेस रिलीज

: Press Release : World Service statement on BBC Hindi : Date: 07.03.2011 : Category: World Service : On 26 January the BBC announced the closure of its news and current affairs radio output in Hindi, as part of the outcome of its Spending Review 2010 settlement. Since the announcement, there has been much public discussion of the potential for retaining some of this service…

बीबीसी हिंदी रेडियो सर्विस को साल भर के लिए जीवनदान

: इस एक साल में निजी पूंजी के जरिए रेडियो सर्विस के खर्चे वहन करने की संभावना तलाशी जाएगी : बीबीसी प्रबंधन ने पिछले दिनों बीबीसी हिंदी रेडियो सर्विस समेत कई भाषाओं की रेडियो सर्विसों को बंद करने का जो ऐलान किया था, उसमें अब संशोधन किया है. हिंदी रेडियो सर्विस को एक साल के लिए जीवनदान दे दिया गया है. लेकिन इस एक साल के जीवनदान में बीबीसी हिंदी रेडियो के सिर्फ शाम के सत्र को कांटीन्यू रखा जाएगा.

18 बुद्धिजीवियों ने पत्र लिख कहा- बीबीसी हिंदी जरूरी है

द गार्जियन अखबार के संपादक को 18 प्रबुद्ध लोगों ने एक पत्र भेजकर कहा है कि बीबीसी हिंदी की रेडियो सेवा को जारी रखना बहुत जरूरी है क्योंकि इस सेवा की पहुंच भारत के गांव-गांव तक में है और इसके खात्मे से काफी नुकसान होगा. एक अप्रैल से बीबीसी हिंदी रेडियो को बंद किए जाने के बीबीसी मैनेजमेंट के फैसले से अपनी असहमति जताते हुए इन लोगों ने बिना आग्रह-पूर्वाग्रह के सही सूचनाएं जनता तक पहुंचाने के बीबीसी हिंदी रेडियो के इतिहास की चर्चा पत्र में की है.

बीबीसी हिंदी सर्विस को आपकी जरूरत, 8 अप्रैल लास्ट डेट

चाहिए Producer, Radio & Online, Hindi Service : बीबीसी की वेबसाइट पर हिंदी सर्विस के लिए प्रोड्यूसरों की जरूरत संबंधी एक विज्ञापन निकला हुआ है. ये प्रोड्यूसर बीबीसी हिंदी डाट काम और बीबीसी हिंदी रेडियो के लिए चाहिए. आप अपना बायोडाटा 8 अप्रैल तक भेज सकते हैं. आनलाइन आवेदन की भी सुविधा है. सेलेक्ट किए गए पत्रकारों को 12 महीने के कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा. पूरा विज्ञापन इस प्रकार है-

आनलाइन जर्नलिस्ट को टेक्नोक्रेट भी होना चाहिए : सलमा जैदी

[caption id="attachment_14901" align="alignleft"]सलमा जैदीसलमा जैदी[/caption]मुलाकात : आनलाइन हिंदी न्यूज पोर्टलों में बेहद प्रतिष्ठित और विश्वसनीय बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम की संपादक सलमा जैदी का आनलाइन जर्नलिज्म के बारे में मानना है कि यह अभी पूरी तरह जमीनी स्तर से नहीं जुड़ पाया है और तकनीक महंगी होना भी इसमें बड़ी बाधा है। जितनी जल्दी ब्रॉडबैंड कनेक्शनों का प्रसार बढ़ेगा और कंप्यूटर सस्ते होंगे, ऑनलाइन जर्नलिज्म उतना अधिक फैलेगा। उनक कहना है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया से ऑनलाइन पत्रकारिता को चुनौती जरूर मिल रही है। न्यूज एजेंसी, अखबार, टीवी, रेडियो और वेबसाइट यानी पत्रकारिता के सभी माध्यमों में वरिष्ठ स्तर पर कार्य कर चुकीं सलमा जैदी हिंदी मीडिया के लिए जानी-मानी नाम हैं। पर घमंड उन्हें कहीं से छू नहीं सका है। वे स्वभाव से बेहद विनम्र और सहयोगी हैं। टीम वर्क को सफलता के लिए जरूरी मानने वाली सलमा से बीबीसी के दिल्ली स्थित आफिस में धीरज टागरा ने कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की।