तीन बड़े अखबारों ने ‘भास्कर कथा’ का किया बहिष्कार

भास्कर के मालिकों के झगड़े की खबर को आज एचटी, हिंदुस्तान, नभाटा, टीओआई, राजस्थान पत्रिका ने अपने यहां प्रकाशित किया है. दैनिक जागरण, अमर उजाला और नईदुनिया ने इस खबर का बहिष्कार कर दिया. टीओआई, दिल्ली में पेज नंबर 26 पर डीप सिंगल में इस विवाद को प्रकाशित किया गया है.

हेराफेरी के जाल में फंसा दैनिक भास्कर

आलोक तोमरअपने आपको दुनिया का ग्यारहवें नंबर का सबसे बड़ा अखबार समूह बताने वाले दैनिक भास्कर समूह में हड़कंप मच गया है। हालत यह है कि 20 मई को होने वाली डायरेक्टरों की बैठक अब 27 मई तक के लिए टाल दी गई है। दैनिक भास्कर के नए मालिक समूह डीबी कॉर्प ने झारखंड में जो दो नए संस्करण चालू करने पर तैयारियों में ही पानी की तरह पैसा बहाया था वे भी अब कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ गए हैं। ऐसा इसलिए हुआ है कि दैनिक भास्कर के मालिक होने का दावा करने वाले रमेश अग्रवाल और उनके बेटे सुधीर और गिरीश सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को भी नहीं मानते।

राजस्थान पत्रिका में भी भास्कर कथा प्रकाशित

राजस्थान पत्रिका ने आज भास्कर कथा का विस्तार से प्रकाशन किया है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में डीबी कार्प वाले दैनिक भास्कर से जबरदस्त आपसी प्रतिद्वंद्विता में उलझे राजस्थान पत्रिका ने भास्कर के अंदरुनी विवाद को प्रमुखता से अपने पाठकों तक पहुंचाया है. आमतौर पर ऐसे झगड़ों के बारे में माना जाता है कि दूसरे मीडिया घराने इसे तवज्जो नहीं देंगे. पर इस बार दैनिक भास्कर के एक मालिक संजय अग्रवाल की प्रेस कांफ्रेंस को दूसरे मीडिया हाउसों ने भी महत्व दिया है. राजस्थान पत्रिका में जो कुछ छपा है, वो इस प्रकार है- एडिटर

संजय डाल-डाल तो डीबी कार्प पात-पात

प्रेस कांफ्रेंसकारपोरेट घरानों का झगड़ा कितना भीषण होता है, किस तरह एक-दूसरे की मुखबिरी की और कराई जाती है, किस तरह एक दूसरे को पछाड़ने-निपटाने के लिए साम-दंड-भेद हर तरीकों का इस्तेमाल प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है, यह अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी नामक दो सगे भाइयों के झगड़े से हमको-सबको पता हो चला है. भास्कर वालों के झगड़े में भी यह सब देखने को मिल रहा है. संजय अग्रवाल चाहते थे कि वे दिल्ली में जब प्रेस कांफ्रेंस करें तो उस जगह का पता डीबी कार्प के लोगों को न चल सके ताकि वे क्या खुलासा करने जा रहे हैं, इसकी जानकारी भास्कर वालों को प्रेस कांफ्रेंस होने तक न मिल सके.

नोएडा में डीबी कार्प को हरा चुके हैं संजय

[caption id="attachment_17480" align="alignleft" width="99"]संजय अग्रवालसंजय अग्रवाल[/caption]दैनिक भास्कर, झांसी के निदेशक संजय अग्रवाल डीबी कार्प का डिक्लयरेशन कैंसिल कराने के मामले में एक लड़ाई पहले ही जीत चुके हैं. मामला नोएडा का है जो उत्तर प्रदेश में पड़ता है. दैनिक भास्कर के मालिकों में जो इलाके का बंटवारा हुआ, उसमें यूपी संजय अग्रवाल के हिस्से में है. संजय अग्रवाल का कहना है कि अगस्त 2009 में रमेश चंद्र अग्रवाल एंड संस की कंपनी डीबी कार्प की तरफ से नोएडा से अखबार निकालने के लिए डिक्लयरेशन का आवेदन चुपचाप सबमिट करा दिया गया. जब संजय को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने आब्जेक्शन फाइल किया. उन्होंने सारे दस्तावेज जमा किए.

रांची से भास्कर का प्रकाशन मुश्किल

कानूनी अड़चनें आईं सामने : डीबी कार्प को नोटिस : टाइटिल विवाद फिर प्रकट हुआ : संजय अग्रवाल ने की प्रेस कांफ्रेंस : रांची में अखबार लांच करने से ठीक पहले भास्कर समूह के मालिकों का आपसी झगड़ा सड़क पर आ गया है. ‘दैनिक भास्कर’ टाइटिल के पांच मालिकों में से एक ने रमेश चंद्र अग्रवाल व उनके बेटों वाली कंपनी डीबी कार्प को कानूनी लड़ाई में घसीट लिया है.  रांची से दैनिक भास्कर अखबार लांच करने की तैयारियों की सूचना मिलने के बाद ‘दैनिक भास्कर’ टाइटिल के पांच मालिकों में से एक ने इस कदम को कानूनी तौर पर चुनौती दी है. चुनौती देने वाले शख्स का नाम है संजय अग्रवाल. वे दैनिक भास्कर टाइटिल के पांच मालिकों में से एक हैं.