: दिव्या एवं शीलू मामले में आईआरडीएस ने की मांग : कानपुर में 27 सितम्बर 2010 को दिव्या के साथ हुए दुराचार और उसकी हत्या तथा 12 दिसंबर 2010 को बांदा में शीलू के साथ हुए संभावित गैंग-रेप के मामले में स्वयंसेवी संगठन इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डोक्युमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (आईआरडीएस) का मत है कि इस मामले में वास्तविक न्याय नहीं हुआ है. अब इन दोनों मामलों में यह साबित हो चुका है कि स्थानीय पुलिस ने निर्लज्ज तरीके से असल अपराधियों की पूरी तरह मदद की.
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द फ्रेश ब्रू : कहानी अपने चुने रास्तों की
आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर तथा आईआईएम लखनऊ के द्वितीय वर्ष के छात्र अमित हरलालका द्वारा “द फ्रेश ब्रू – क्रोनिकल ऑफ बिजनेस एंड फ्रीडम” नामक पुस्तक लिखी गयी है. एलकेमी पब्लिशर, नयी दिल्ली द्वारा प्रकाशित होने वाली इस पुस्तक में आईआईएम लखनऊ के पच्चीस ऐसे विद्यार्थियों की जीवन गाथा है, जिन्होंने सामान्य जीवन पथ छोड़ कर अपनी मर्जी का कैरियर चुना.
अश्लील गानों पर रोक की मांग क्यों?
मैंने दो-तीन दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है, जिसमे दो फिल्मों- तीस मार खान और दबंग के निर्माता-निर्देशक, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया है. इस याचिका में मैंने दो गानों दबंग का गाना ‘मुन्नी बदनाम हुई’ और तीस मार खान का गाना ‘शीला की जवानी’ को पब्लिक डीसेंसी, मोरालिटी, पब्लिक आर्डर के खिलाफ मानते हुए उन्हें सिनेमेटोग्राफी एक्ट के धारा 5(बी)(1) का उल्लंघन होने के आधार पर इन गानों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.
शीला की जवानी और मुन्नी की बदनामी ठीक नहीं
: प्रतिबंध लगाने के लिए याचिका दायर : आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ बेंच में डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा तीस मार खान के निर्माता ट्विंकल खन्ना, शिरीष कुंदर, रोनी स्क्रूवाला तथा निर्देशक फराह खान, दबंग के निर्माता अरबाज़ खान, मलाइका अरोड़ा तथा ढीलीन मेहता एवं निर्देशक अभिनव कश्यप, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विरुद्ध एक रिट याचिका दायर किया गया. अशोक पांडे इस प्रकरण में याचिकर्त्री के अधिवक्ता हैं.
तहलका के साथ खड़े हों
मैं तहलका के साथ हूँ. ठीक है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आज साप्ताहिक समाचार पत्रिका ‘तहलका’ के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गयी है. यह भी ठीक है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुशील कुमार मिश्रा की ओर से ‘तहलका’ के खिलाफ दायर याचिका में पत्रिका के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की मांग की गयी है. जानकारी के अनुसार मिश्रा की दलील है कि ‘तहलका’ के 18 दिसंबर 2010 के अंक में उच्च न्यायालय के 35 न्यायाधीशों की तस्वीरें प्रकाशित की गयी हैं और इसमें उनकी ‘मानहानि’ करती टिप्पणियां भी प्रकाशित की गयी हैं. बताया जा रहा है कि न्यायालय द्वारा बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई किए जाने की संभावना है.
हथियारों की सौदागरी और मीडिया ट्रायल
मैंने कुछ दिनों पहले यहीं भड़ास पर लखनऊ से निकलने वाले अखबार निष्पक्ष प्रतिदिन के संस्थापक-संपादक जगदीश नारायण जी का एक इंटरव्यू भेजा था, जिसे यशवंत जी ने प्रकाशित किया था. इस इंटरव्यू को ले कर कई टिप्पणियां आयीं, लेकिन एक ऐसी टिप्पणी थी जो मुझे यकबयक अतीत के झरोखे में ले गयी. यह टिप्पणी थी इंडिया न्यूज़ की विशेष संवाददाता नसीम अंसारी की. अपनी टिप्पणी में नसीम ने मुझे मेरे पति अमिताभ ठाकुर के गोंडा जिले के एसपी के रूप में किये गए तथाकथिक दुष्कृत्य के बारे में याद दिलाया और इसी आधार पर उन्होंने यह भी कह दिया कि उस रिपोर्ट के आधार पर जगदीश नारायण ने मेरे पति से जरूर कोई सौदेबाजी की होगी.
विकीलीक्स की पत्रकारिता को सलाम
विकीलीक्स को सलाम. वास्तव में 2006 में स्थापित विकीलीक्स ने पत्रकारिता और शासकीय अभिलेखीकरण को एक नयी दिशा प्रदान की है और आज विकीलीक्स का लोहा सारा विश्व मान रहा है. इस मीडिया समूह की स्थापना का उद्देश्य गोपनीय तथा अज्ञात सूत्रों के माध्यम से तमाम गोपनीय शासकीय तथा अशासकीय दस्तावेजों को लीक करके इनकी सूचना आम जन तक लाना था. अपने शुरुआत के एक साल के अंदर ही विकीलीक्स के पास बारह लाख से अधिक अभिलेख आ चुके थे, जिनमे कई तो ऐसे गहन, गंभीर दस्तावेज़ थे जिन्होंने अमेरिका तक को हिला कर रख दिया. ऑस्ट्रेलिया के इन्टरनेट उपयोगकर्ता जूलियन असांज इसके मूल प्रवर्तक माने जाने हैं.
वे बोले- मेरे संपादकीय के खिलाफ लिखो, मैं छापूंगा
[caption id="attachment_18635" align="alignleft" width="96"]रामदत्त त्रिपाठी[/caption]: इंटरव्यू – रामदत्त त्रिपाठी (वरिष्ठ पत्रकार) : रामदत्त त्रिपाठी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. उत्तर प्रदेश का कोई ऐसा कोना नहीं है जहां उनके जानने-चाहने वाले लोग भारी तादाद में नही मिल जाएंगे. जिस प्रकार बीबीसी पूरे विश्व और भारत में निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए प्रसिद्ध है, उसी प्रकार लंबे समय से बीबीसी के उत्तर प्रदेश प्रभारी रामदत्त इस विशाल प्रदेश में अपनी निष्पक्ष, सारगर्भित शब्दावलियों और साफगोई के लिए जाने जाते है. पिछले दिनों उनसे पीपुल्स फोरम, लखनऊ की संपादक नूतन ठाकुर ने कई मुद्दों पर बातचीत की. पेश है कुछ अंश-
सरकार की दुनिया : बड़े साहब की जांच करेंगे छोटे साहब

यशवंत जी, ये आपका निजी मामला नहीं है
ये हम सभी जान रहे हैं कि यशवंत जी की मां श्रीमती यमुना सिंह, चाची श्रीमती रीता सिंह और चचेरे भाई की पत्नी श्रीमती सीमा सिंह को दिनांक 12-10-2010 को रात में लगभग नौ बजे गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने की पुलिस ने उनके गाँव अलीपुर बनगांवा से जबरन उठा लिया.
बिजनेस वर्ल्ड पत्रिका पर मुकदमा
: आईआरडीएस की सचिव डा. नूतन ठाकुर ने दायर किया : पत्रिका में छपे एक लेख से चरित्र हनन का आरोप : आनंद कुमार, संस्थापक, सुपर 30, पटना के विरुद्ध नयी दिल्ली से प्रकाशित बिजिनेस वर्ल्ड नामक पत्रिका के अक्टूबर प्रथम अंक में, जो 11 अक्टूबर 2010 को प्रकाशित हुआ था “Super 30: True Or False? The success story that got Anand Kumar much fame now has many holes” अर्थात “सुपर 30: सत्य या असत्य? आनंद कुमार को असीम लोकप्रियता दिलाने वाली सफलता की कहानी में कई सारे छेद हैं” नामक एक लेख प्रकाशित हुआ. उक्त लेख की लेखिका शालिनी एस शर्मा हैं.
फोटो जर्नलिस्ट राजेश ने ललित भनोट पर लगाया धोखाधड़ी का आरोप
: मुकदमा दर्ज करने के लिए थाने में दी तहरीर : उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद के निदेशक के खिलाफ भी शिकायत : पहले से ही विवादित रहे कॉमनवेल्थ आर्गेनाइजिंग कमेटी पर एक और आरोप लगा है. यह आरोप लगाया है इलाहाबाद के फोटो जर्नलिस्ट राजेश कुमार सिंह ने. राजेश ने इलाहाबाद के सिविल लाइंस में दिए गए तहरीर में आरोप लगाया कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है.
महारानी या राजकुमार ना करें खेल का उदघाटन
: आरटीआई फोरम की कन्वीनर डॉ. नूतन ठाकुर ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा : कॉमनवेल्थ गेम्स का उदघाटन ब्रिटेन की महारानी से कराने के बजाय भारत के राष्ट्रपति से कराने के लिए एक याचिका दायर की गई है. याचिका में मौलिक अधिकारों के हनन की बात भी कही गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में आर्टिकल 226 के अंतर्गत दायर रिट याचिका की संख्या 9565/2010 है.
‘हां, डीजीपी तो मेरा पुराना साथी है’
“ओहो, तो आप अमिताभ की वाईफ हैं. हाँ, परसों मिला था विक्रम भाई के ऑफिस के सामने.” ये वे शब्द हैं जो आम-तौर पर मुझे तब सुनने को मिले जब मैं लखनऊ में किसी पत्रकार से मिली और मेरा परिचय कराया गया. यहाँ अमिताभ हुए मेरे पति अमिताभ ठाकुर, जो उत्तर प्रदेश में एक आईपीएस अधिकारी हैं और विक्रम भाई हुए विक्रम सिंह या कोई भी वह आदमी जो उस समय उत्तर प्रदेश पुलिस में डीजीपी हों.