देश का सबसे बड़ा मीडिया हाउस होने का दम भरने वाले ग्रुप का सबसे बड़ा प्रॉडक्ट टाइम्स ऑफ इंडिया भी बासी खबरें छापने लगा है. वह भी अपने फ्रंट पेज पर. टीओआई ने वो खबर अपने पहले पन्ने पर प्रकाशित की है जिसे एक दिन पहले एक हिंदी अखबार ने अपने फ्रंट पेज पर कार्यालय संवाददाता की डेटलाइन से प्रमुखता से प्रकाशित कर चुका है. टाइम्स आफ इंडिया में बासी खबर रिपोर्टर के नाम से बायलाइन और कार्टून के साथ बॉटम स्टोरी के तौर पर प्रकाशित हुई है.
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धीरज, प्रशांत और शिवम हिंदुस्तान, इलाहाबाद से जुड़े
: हिंदुस्तान, दिल्ली से संजीव का इस्तीफा : दैनिक भास्कर, भोपाल से धीरज ने इस्तीफा दे दिया है. वे हिंदुस्तान, इलाहाबाद ज्वाइन करने जा रहे हैं. धीरज दैनिक भास्कर में रिपोर्टर के रूप में कार्यरत थे. एविएशन बीट कवर करने वाले धीरज एक साल से भास्कर के साथ थे. अमर उजाला, बरेली के प्रशांत वर्मा और दैनिक भास्कर, उज्जैन के शिवम शुक्ला ने भी हिंदुस्तान, इलाहाबाद के साथ नई पारी की शुरुआत की है.
हिंदुस्तान से निकाले गए बहुगुणा, मनमोहन व रमेश
हिंदुस्तान, दिल्ली में कार्यरत तीन पत्रकारों की नौकरी चली गई है. इनमें दो पुराने लोग हैं जो करीब तीस साल से हिंदुस्तान में कार्यरत थे. विपिन कुमार बहुगुणा खेल डेस्क पर कार्यरत थे. पहले ये प्रूफ रीडर हुआ करते थे. यूनियन व खुद के प्रयासों से वे संपादकीय में आए. उन्हें हटा दिया गया है.
हिन्दुस्तान से अरुण त्रिपाठी समेत चार की विदाई
: अपडेट-3 : नेशनल ब्यूरो से अमिताभ, विकास और विजेन्द्र के नाम : हिन्दुस्तान से एक बड़ी खबर आ रही है. नेशनल ब्यूरो से तीन तथा संपादकीय से एक वरिष्ठ को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. शशि शेखर के संपादक बनने के बाद से ही मृणाल पांडे के समय महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत लोगों को बाहर भेजे जाने का सिलसिला लगातार जारी है.
‘हिंदुस्तान’ में बड़े पैमाने पर छंटनी की शुरुआत?
चीफ कापी एडिटर अशोक राणा का कांटैक्ट निरस्त : कइयों के हो सकते हैं तबादले : खबर है कि ‘हिंदुस्तान’ अखबार में बड़े पैमाने पर छंटनी की शुरुआत हो गई है. शशि शेखर के आने के बाद पिछले कुछ महीनों से काम कर रहे लोगों के आंतरिक मूल्यांकन का एक अभियान शुरू किया गया था. मूल्यांकन की रिपोर्ट तैयार हो चुकी है और इसमें पहले से काम कर रहे कई लोगों को मिसफिट करार दिया गया है. इसके बाद इन पर गाज गिराए जाने की शुरुआत हो चुकी है. चीफ कापी एडिटर अशोक राणा को हटा दिया गया है. उन्हें कांट्रैक्ट रद्द किए जाने का लेटर थमा दिया गया है. हिंदुस्तान के दिल्ली व एनसीआर के आफिसों में मायूसी का आलम है. हर शख्स परेशान है कि कहीं अब उसकी बारी न आ जाए.
दिल्ली का एक दिन का स्थानीय संपादक
[caption id="attachment_14749" align="alignleft"]23 अप्रैल 2009 की दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली की प्रिंटलाइन में स्थानीय संपादक के रूप में दिनेश जुयाल का नाम[/caption]दिल्ली ने बहुतों को बनते-बिगड़ते-उजड़ते-बसते देखा है। ‘कुर्सी मद’ में चूर रहने वालों की कुर्सी खिसकने पर उनके दर-दर भटकने के किस्से और दो जून की रोजी-रोटी के लिए परेशान लोगों द्वारा वक्त बदलने पर दुनिया को रोटी बांटने के चर्चे इसी दिल्ली में असल में घटित होते रहे हैं। दिल्ली के दिल में जो बस जाए, उसे दिल्ली बसा देती है। दिल्ली की नजरों से जो गिर जाए, दिल्ली उसे भगा देती है। दिल्ली में स्थायित्व नहीं है। दिल्ली में राज भोगने के मौके किसी के लिए एक दिन के हैं तो किसी [caption id="attachment_14750" align="alignright"]
24 अप्रैल 2009 की दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली की प्रिंटलाइन में स्थानीय संपादक के रूप में प्रमोद जोशी का नाम[/caption]के लिए सौ बरस तक हैं, बस, दिल्ली को जो सूट कर जाए। पर यहां बात हम राजे-महाराजाओं या नेताओं की नहीं करने जा रहे। बात करने जा रहे हैं हिंदी पत्रकारिता की। क्या ऐसा हो सकता है कि दिल्ली से दूर किसी संस्करण के स्थानीय संपादक का नाम उसी अखबार के राष्ट्रीय राजधानी के एडिशन में बतौर स्थानीय संपादक सिर्फ एक दिन के लिए छप जाए? ऐसा मजेदार वाकया हुआ है और यह हुआ है वाकयों के लिए मशहूर दैनिक हिंदुस्तान में। जी हां, दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली का 23 अप्रैल 2009 का अंक देखिए। इसके अंतिम पेज पर बिलकुल नीचे प्रिंटलाइन पर जाइए। इसमें स्थानीय संपादक का नाम प्रमोद जोशी नहीं लिखा मिलेगा। वहां नाम लिखा मिलेगा दिनेश जुयाल का। दिनेश जुयाल भी दैनिक हिंदुस्तान में हैं और स्थानीय संपादक हैं, लेकिन वे दिल्ली के नहीं बल्कि देहरादून संस्करण के स्थानीय संपादक हैं। 23 अप्रैल को जिन पत्रकारों की निगाह प्रिंटलाइन पर पड़ी, वे सभी चौंके थे।