निर्मल पांडे के अकस्मात चले जाने से उनके करीबी लोग अब तक उबर नहीं पाए हैं. निर्मल के साथ पढ़े-लिखे डा. प्रमोद अग्रवाल गोल्डी के लिए निर्मल का जाना घर के एक सदस्य का गुजरना है. निर्मल और गोल्डी- इनका साथ, इनकी दोस्ती, इनकी नजदीकी का अंदाजा इन तस्वीरों के जरिए लगाया जा सकता है. डा. प्रमोद अग्रवाल गोल्डी द्वारा भेजी गई तस्वीरें के लिए हम उनके आभारी हैं. -यशवंत
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मेरे लंबे बाल देख अपने बाल निहारने लगे निर्मल
[caption id="attachment_16984" align="alignleft"]अमित कुमार बाजपेयी[/caption]बात लगभग पांच-छह साल पुरानी है। उन दिनों मैं पत्रकारिता की पढ़ाई के अलावा शौकिया तौर पर कभी कभार मॉडलिंग भी किया करता था। कानपुर में किसी एक संस्था ने टैलेंट हंट और मॉडलिंग शो आयोजित किया। मुझे अपने मित्रों से सूचना मिली और मैंने भी हिस्सा लिया। उस दौरान मेरे काफी लंबे बाल होते थे और मैं पोनी टेल रखता था। हालांकि सभी इसको फैशनपरस्ती कहते थे लेकिन मेरे लिए इन्हें रखने का मकसद कुछ और था। कभी भी मुझे किसी ने खुले बालों में नहीं देखा था क्योंकि पोनी टेल बांधकर ही मैं घर से बाहर निकलता था।
चार दिन पहले का मस्त-मजाकिया निर्मल
दुनिया छोड़ गया यह कलाकार ‘लाइव इंडिया’ के क्राइम शो ‘मेरी दीवानगी’ का एंकर भी था : लाइव के दौरान अचानक एक फ्लैश ने मेरे पैरों तले की ज़मीन सरका दी। मुझे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। इस फ्लैश के मुताबिक एक्टर और लाइव इंडिया के कार्यक्रम ‘मेरी दीवानगी’ के एंकर निर्मल पांडे का निधन। पहले तो दिमाग़ में आया कि कहीं ग़लती से तो नहीं चल गया ये फ्लैश, लेकिन अगले ही पल इयर फोन में पैनल प्रोड्यूसर श्याम की आवाज़ ने मुझे बुरी तरह से तोड़ दिया। उसने कहा दादा, निर्मल पांडे नहीं रहे, ह्दय गति रुकने से मुंबई में उनका निधन हो गया है।
निर्मल के आत्मबल से प्रभावित हुईं थीं अर्चना
[caption id="attachment_16974" align="alignnone" width="505"]निर्मल पांडेय, मेघना कोठारी और सुरेंद्र अग्निहोत्री[/caption]
‘सुर ना सधे क्या गाऊं मैं…’ फिल्म ‘बसन्त बहार’ का यह गीत गाते-गाते निर्मल पाण्डेय शास्त्रीय राग ‘बसन्त बहार’ में ऐसे डूबे कि उन्हें होश ही नही रहा कि किसी धारावाहिक के सेट पर हैं और उन्हें अपना रोल प्ले करने जाना है। लखनऊ में वर्ष 2003 को निर्मल पाण्डेय अभिनेत्री मेघना कोठारी के साथ एक धारावाहिक की शूटिंग करने आये कि पुरानी यादें एक बार फिर ताजी हो गईं। पूना फिल्म संस्थान से फिल्म रसास्वाद पाठ्यक्रम करने के बाद जब मैं मुबई पहुंचा तो अभिनेता राजा बुन्देला ने निर्मल से मुलाकात करायी। विक्रम मल्लाह के रूप में बुन्देलखण्ड के मिथकीय चरित्र को निभाकर शोहरत हासिल करने वाले निर्मल की जब यश चौहान ने प्रशंसा की तो लगा वाकई किसी कलाकार से मिलना हो रहा है।
जागरण के कार्यक्रम में दो बार हल्द्वानी आए निर्मल
[caption id="attachment_16973" align="alignleft"]दैनिक जागरण के 2006 के कार्यक्रम में निर्मल पाण्डे का स्वागत करते शंभू दयाल वाजपेयी। इस कार्यक्रम में निर्मल पाण्डे को दैनिक जागरण की ओर से सम्मानित किया गया था।[/caption]निर्मल पांडे बड़े कलाकार के साथ ही अच्छे इंसान भी थे। मुम्बई में बसने के बाद भी उन्हें अपनी माटी और कुमाऊं से बहुत लगाव था। यहां आने पर वह लोगों से बहुत सहजता और आत्मीयता से मिलते। हल्द्वानी में 2003 में दैनिक जागरण खुला तो वरिष्ठ पत्रकार शंभू दयाल वाजपेयी संपादकीय प्रभारी बने। उन्होंने यहां अपने चार साल के कार्यकाल में दैनिक जागरण के तीन दिवसीय स्थापना दिवस समारोह की परंपरा शुरू की।
बौनों के दौर में निर्मल का जाना
[caption id="attachment_16969" align="alignleft"]निर्मल पांडेय[/caption]यूं चला जाएगा यह बेहतरीन कलाकार और इंसान, किसी को अंदाजा न था : फिल्म और टीवी एक्टर निर्मल पांडेय के निधन की दुखद खबर आ रही है। 46 साल की ही उम्र में वे चले गए। आज दिन में करीब ढाई बजे उनकी मौत हुई। उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्हें तुरंत अंधेरी स्थित होली स्पिरिट अस्पताल ले जाया गया। ‘बैंडिट क्वीन’ फिल्म में डकैत विक्रम मल्लाह की भूमिका निभाने के बाद चर्चा में आए निर्मल पांडेय ने ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘दायरा’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘शिकारी’, ‘गाड मदर’ और ‘वन टू का फोर’ जैसी कई फिल्मों में काम किया।