प्रणय जी का व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि इटीवीयन्स ने सामर्थ्य के अनुसार बहुत किया. पहले बारह घंटे में प्रणय जी के आवास पर 17000 रुपये इकट्ठे हो चुके थे, लेकिन आधी रात को मैनेजमेंट ने बताया कि ताबूत के लिए 20000 रुपये लगेंगे. फिर आनन-फानन में डेस्क से भी मदद की मांग हुई. जहां से तुरंत 2000 आया और कई साथियों से मिलाकर कुल 43, 500 रुपए इकट्ठे किए गए, जो जरूरत से ज्यादा था.
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प्रणय ने जाने में भी जल्दबाजी कर दी
[caption id="attachment_20278" align="alignleft" width="179"]प्रणय संग अनिल [/caption]हरफनमौला पत्रकार साथी प्रणय मोहन सिन्हा का असमय यूं ही चले जाना हम सभी को स्तब्ध कर गया। उसकी रिक्तता हमेशा उसके होने का एहसास कराती रहेगी। जय माता दी, और डीयर कैसे हैं, जुमलों से बात की शुरुआत करने वाले शब्द हमेशा कानों में गूंजते रहेंगे। अभी तो यकीन भी नहीं हो पा रहा उनके इस तरीके से बिछुड़ने का। हरफनमौला मैंने इसलिए लिखा क्योंकि वह था भी वैसा ही।
ताबूत के किराए के लिए चंदा जुटाया ईटीवी के साथियों ने
यशवंतजी, कल की खबर से बुरी है ये खबर. रात के 12 बजे के करीब जब सारी दुनिया से खबरें आनी बंद हो गईं थी. फ्लैश और टिकर पर बैठने वालों की उंगलियां भी थम गई थीं. तभी एक घटना घटी. प्रणयजी का शव 12 घंटे से हैदराबाद में कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर रहा था, लेकिन उसके बाद भी उसको ले जाने के लिए एक अदद ताबूत के किराए का इंतजाम नहीं हो सका.
प्रणय आज लखनऊ आ रहा है, मगर सिर्फ याद बनकर
प्रणय मोहन का जिंदादिल मिजाज़ ही उसके बिछड़ने का सबसे बड़ा दुःख है… बेलौस बातें करने वाला प्यारा इंसान… ज़िन्दगी को अपनी शर्तों पर चलाने की जिद मगर इमोशनल ब्लैकमेल होने के लिए सबसे उपयुक्त किरदार… और बहुतों ने उसके साथ यही किया. जिन साथियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रणय ने अपने संबंधों को दांव पर लगाने में देरी नहीं की, उन्होंने काम होने के बाद प्रणय को किनारे करने में बिलकुल देरी नहीं की.
रो पड़ा ईटीवी, उनका डीफीट चला गया
डीफीट नहीं रहा… प्रणय मोहन का ये शब्द ईटीवी से जुड़ा शख्स शायद ही कभी भूल पाये, मुझे भी जब खबर मिली तो मेरे पास शब्द नहीं थे, कुछ थे तो सिर्फ आँखों में आंसू… ऐसा पहली बार हो रहा है चंद सालों में… जब ईटीवी, हैदराबाद से पत्रकारों के बीमार, हार्ट अटैक या फिर अचानक मौत की खबर सुनने को मिलती है.
यकीन नहीं हो रहा प्रणयजी का यूं चले जाना
: दिल के सच्चे आदमी को दिल ने ही धोखा दिया : सुबह अपने कमरे पर बैठा था, फोन आया तो हालचाल पूछने की स्वाभाविक प्रवृत्ति के अनुसार मैंने पूछा क्या हाल है भाई…उधर से आवाज आई कि यार बुरी ख़बर है… बुरी ख़बर मीडियाकर्मियों में आमतौर किसी के इस्तीफे के रुप में ही होती है… क्योंकि मीडिया में बुरी खबर को देखने का नजरिया अलग होता है… फोन करने वाले मित्र आशीष ने बताया कि प्रणय मोहन नहीं रहे… यकीन नहीं होने के कारण तीन बार पूछना पड़ा कौन नहीं रहा.
ईटीवी के सीनियर कापी एडिटर प्रणय मोहन की हार्ट अटैक से मौत
एक दुखद खबर हैदराबाद से मिली है. ईटीवी में यूपी डेस्क पर सीनियर कापी एडिटर के पद पर कार्यरत प्रणय मोहन सिन्हा की आज हार्ट अटैक से निधन हो गया. पहले उन्हें हैदराबाद के एक स्थानीय हास्पिटल में ले जाया गया जहां डाक्टरों ने बताया कि हार्ट अटैक के कारण प्रणय का प्राणांत हो चुका है. प्रणय ईटीवी में करीब सात वर्षों से थे. उनकी उम्र अभी 42 साल की थी.