शोमा दास की उम्र सिर्फ 25 साल की है। पत्रकारिता का पहला पाठ ही कुछ ऐसा पढ़ने को मिला कि हत्या करने का आरोप उसके खिलाफ दर्ज हो गया। हत्या करने का आरोप जिस शख्स ने लगाया संयोग से उसी के तेवरों को देखकर और उसी के आंदोलन को कवर करने वाले पत्रकारों को देखकर ही शोमा ने पत्रकारिता में आने की सोची। या कहें न्यूज चैनल में बतौर रिपोर्टर बनकर कुछ नायाब पत्रकारिता की सोच शोमा ने पाल रखी थी।
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संपादक शब्द से बड़ा है हरिवंश का नाम
प्रभात खबर के 25 साल पूरे होने पर दिग्गजों की राय (1) : अस्सी के दशक के भारत को अगर 2009 में पकड़ने की कोशिश की भी जाए तो सिवाय ग्रामीण जीवन के उथल-पुथल के नीचे दबी भावनाओं के अवशेष और शहरों में बुजुर्गों की खामोश अकुलाहट भरी शिकन के अलावा कुछ मिलेगा भी नहीं। इस दौर में राजनीति ही नहीं, जिंदगी जीने के तौर-तरीकों से लेकर रिश्तों और संबंधों में संवाद बनाने की समझ तक उलट चुकी है। आज अगर यह मुनादी करा दी जाए कि बीते 25 सालों में हमने क्या पाया, तो आवाज उठेगी आधुनिकीकरण। लेकिन इस आवाज के अंदर की खामोशी हाशिये पर घिसटती भावनाओं और शिकन के जरिए इस एहसास को जिएगी कि 25 साल के आधुनिकीकरण के दौर में हर शख्स अकेला होता जा रहा है। विकास की अंधी मोटी लकीर तले 25 साल में 25 लाख से ज्यादा लोग घर-बार गंवा बैठे। एक लाख से ज्यादा किसान-मजदूर से लेकर ग्रामीण आदिवासियों ने खुदकुशी कर ली।