दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर और दैनिक हिंदुस्तान। संजय गुप्ता, सुधीर अग्रवाल और शोभना भरतिया। तीन बड़े अखबार, तीन बड़े मीडिया ब्रांड और इनके तीन मालिक। तीनों ऐसे मालिक जिन्हें अपने-अपने ब्रांडों के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। तीनों में काबिलियत है। तीनों सिंसीयर हैं। तीनों डायनमिक हैं। तीनों देश व समाज के हित की चिंता करते हुए दिखते हैं। तीनों कभी न कभी किसी न किसी रूप में ताकतवर व्यक्ति, प्रतिष्ठित आदमी, सूझबूझ वाले उद्यमी, सोच-समझ वाले युवा आदि के रूप में अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। तीनों का व्यक्तित्व इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि तीनों के जीवन का एक नैतिक पक्ष है, जिसे उनके अधीन काम करने वाले लोग उद्धृत करते हैं, फालो करते हैं, बताते रहते हैं। पर इन तीनों ब्रांडों के तीनों मालिकों के दामन पर धब्बा है। बहुत गहरा धब्बा है। पेड न्यूज का धब्बा। पेड न्यूज को भ्रष्टाचार का दूसरा नाम बताया गया है। इन तीनों मालिकों ने कभी न कभी भ्रष्टाचार को देश के विकास में बाधक जरूर बताया है। पर इन्हीं मालिकों ने बदले हुए समय में भ्रष्टाचार को अंगीकार किया।
Tag: shobhna bharatiya
आलोक तोमर ने शोभना भरतिया को लिखा पत्र
वेब जर्नलिस्ट सुशील कुमार सिंह को फर्जी मुकदमों में फंसाने की एचटी मीडिया के कुछ मठाधीशों की कुत्सित चाल के खिलाफ पूरे देश के पत्रकारों की एकजुटता का असर अब दिखने लगा है। सुशील को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली में कई दिनों से डेरा डाले लखनऊ पुलिस अब वापस लौट चुकी है। लखनऊ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले की सत्यता के बारे में पता चल चुका है, इसलिए वो अब एचटी मीडिया के कुछ मठाधीशों की चाल और जाल में आने से इनकार कर चुके हैं। लखनऊ पुलिस देश भर के मीडिया कर्मियों के उठ खड़े होने से भी सकते में है। वह अब ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिससे यूपी पुलिस की छवि पर खराब असर पड़े। उधर, रायपुर प्रेस क्लब ने आज आपात बैठक कर सुशील कुमार सिंह को फंसाए जाने की निंदा की।