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यशवंतजी, संपादक पद की गरिमा का खयाल रखें

प्रिय यशवंत जी, बहुत ही प्रचलित हो चुकी आपकी साईट के आप संपादक भी हैं, इस नाते मैं एक बात कहना चाह रहा हूं. आपकी साईट में जितने भी कमेन्ट आते हैं उनको प्रकशित करने के पूर्व ये जरुर देखें कि वो किसी कि मान प्रतिष्ठा पर प्रहार तो नहीं है. मैं ये मानता हूँ कि कई संपादक थोड़े दूसरे किस्म के होते हैं लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि उनको गरियाया जाये. ये कतई उचित प्रतीत नहीं हो रहा है. संपादक पद की एक गरिमा है और जो भी व्यक्ति उस पद को गाली देता है, मेरे विचार से वो कभी पत्रकार हो ही नहीं सकता है. व्यक्तिगत परेशानियों को लेकर आप उस व्यक्ति के बारे में कुछ कह सकते हैं, लेकिन चुटकुले के नाम पर संपादक को गाली देना, पत्रकारिता के धर्म से परे की चीज़ आपके साईट के माध्यम से प्रचारित की जा रही है.

<p align="justify">प्रिय यशवंत जी, बहुत ही प्रचलित हो चुकी आपकी साईट के आप संपादक भी हैं, इस नाते मैं एक बात कहना चाह रहा हूं. आपकी साईट में जितने भी कमेन्ट आते हैं उनको प्रकशित करने के पूर्व ये जरुर देखें कि वो किसी कि मान प्रतिष्ठा पर प्रहार तो नहीं है. मैं ये मानता हूँ कि कई संपादक थोड़े दूसरे किस्म के होते हैं लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि उनको गरियाया जाये. ये कतई उचित प्रतीत नहीं हो रहा है. संपादक पद की एक गरिमा है और जो भी व्यक्ति उस पद को गाली देता है, मेरे विचार से वो कभी पत्रकार हो ही नहीं सकता है. व्यक्तिगत परेशानियों को लेकर आप उस व्यक्ति के बारे में कुछ कह सकते हैं, लेकिन चुटकुले के नाम पर संपादक को गाली देना, पत्रकारिता के धर्म से परे की चीज़ आपके साईट के माध्यम से प्रचारित की जा रही है. </p>

प्रिय यशवंत जी, बहुत ही प्रचलित हो चुकी आपकी साईट के आप संपादक भी हैं, इस नाते मैं एक बात कहना चाह रहा हूं. आपकी साईट में जितने भी कमेन्ट आते हैं उनको प्रकशित करने के पूर्व ये जरुर देखें कि वो किसी कि मान प्रतिष्ठा पर प्रहार तो नहीं है. मैं ये मानता हूँ कि कई संपादक थोड़े दूसरे किस्म के होते हैं लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि उनको गरियाया जाये. ये कतई उचित प्रतीत नहीं हो रहा है. संपादक पद की एक गरिमा है और जो भी व्यक्ति उस पद को गाली देता है, मेरे विचार से वो कभी पत्रकार हो ही नहीं सकता है. व्यक्तिगत परेशानियों को लेकर आप उस व्यक्ति के बारे में कुछ कह सकते हैं, लेकिन चुटकुले के नाम पर संपादक को गाली देना, पत्रकारिता के धर्म से परे की चीज़ आपके साईट के माध्यम से प्रचारित की जा रही है.

कोई व्यक्ति अगर ये चाहता है कि उसको कभी परेशानी नहीं हो और जो भी संपादक आये वो उसको उसी रूप में स्वीकार करे ले, ये संभव नहीं है. अपनी भड़ास निकलने के लिए संपादक जैसे पद को गाली देना, मेरे विचार से तो उचित नहीं है. मैं लगातार ये देख रहा हूं इस तरह के कमेन्ट रोजाना आपके साईट में आ रहा है. चाहे चुटकुले हो या फिर अपनी भड़ास, इस तरह के कमेन्ट को कृपा करके एडिट जरूर करें क्यूंकि आप भी एक संपादक हैं और आपके अधीन काम करने वालों के मन में जो सम्मान आपके लिए होता है वो इसलिए नहीं कि आप व्यक्ति अच्छे होंगे, इसलिए कि आप संपादक हैं.

जाहिर सी बात है कि किसी अखबार में संपादक से ज्यादा वेतन मैनेजर को मिलता है, जिसको अखबारी भाषा में यूनिट हेड कहा जाता है, लेकिन जो सम्मान वहां सम्पादक को मिलता है, शायद यूनिट हेड को नहीं मिलता है. इसलिए मेरा ये सुझाव है कि आपके साईट में आ रहे कमेन्ट को एक बार जरूर देखें कि कहीं इस तरह के कमेन्ट सम्पादक पद की गरिमा को गिरा तो नहीं रहा है. इससे शायद आप पत्रकरिता में आने वाली नयी नस्ल को कुछ अच्छा संस्कार दे सकेंगे.

आपका

उदय शंकर खवाड़े

[email protected]

phone: 09215000333

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0 Comments

  1. स्नेह झा

    February 7, 2010 at 5:40 am

    सही कहा उदय जी ने..अच्छे विचारो एक व्यक्ति लगते है, लेकिन कुछ संपादको की कार्य गलत होता है, फिर भी मैं आपकी बात से सहमत हूँ.

  2. gr8-:)

    February 7, 2010 at 7:30 am

    यशवंत जी की महानता है जो वे आपकी बात भी पब्लिश कर दे रहे हैं. जिन संपादकों का आप पक्ष ले रहे हैं, वे साले तो आपकी बात भी नहीं छाप सकते. मैं यशवंत जी का बहुत बड़ा फैन हूं. आजकल दिन में कई बार भड़ास4मीडिया देखकर यशवंत जी की तारीफ में कुछ लिख नहीं देता तब तक मुझे चैन नहीं मिलता. मुझे जाने क्या हो गया है…

  3. बिमल राय

    February 7, 2010 at 7:50 am

    खवाड़े जी! संपादक पद को गाली देने जैसी बात तो मैंने भंड़ास में नहीं देखी, पर इस पद पर पहुंचनेवाले गलत, अयोग्य और तिकड़मबाज लोगों की सूची छोटी नहीं है. उनकी करतूतों पर टिप्पणी होनी चाहिए, क्योंकि यही एक मंच है जो हमें आइना दिखाता है.

  4. rajdev pandey

    February 7, 2010 at 8:20 am

    uday ji ki bat sahee hai. shaleenta se bhe sahee or asardar bat kahee ja sakati hai.

  5. santosh kumar jha

    February 7, 2010 at 9:15 am

    Uday Jee ki baat se main kuch had tak jaroor sahmat hoon, lekin aajkal kai sampadak apni garima ko khud dhool-dhusrit karne men lage hain to phir aise sampadkon ko apne sahyogiyon se samman kee apeksha nahin karnee chahiye.

  6. Chandan ( Freelancer Cine Editor,Patna)

    February 7, 2010 at 9:24 am

    Right bilkul right……

    But….mai to manta hu ki media industries hi bilkul currupt ho chiki hai ye Website to un chirkut patrakaro ki story publist karti hai…jo ki journalist ka maine nahi janta… Reporter ki bibi ke sath rat gujarna..(Bhopal)….bina story ka story banana….. Uday Shankar J jab Editor sahab maa bahan karte hai tab kio nahi ye bate ap karte hai…

    Ore bha bhai……. ye kaise LOKTANTRA HAI….. APNE SE NICHE KO GALI DO TO ACHHA JAB SUNNA PARE TO KHARAB…..

  7. Chandan ( Freelancer Cine Editor,Patna)

    February 7, 2010 at 9:27 am

    Are Sahab Jee

    Chhapo….. Jee Bhar ke chapo…… lakin comment koi bina name ka mat chapo…

    Galat jo bho chahe ho Editor ho ya getman sab ka kali kartut chapo… taki Indian media sahi disha mai ja sake….

    thank u je

    Yashwant Shahab

  8. ravi

    February 7, 2010 at 9:29 am

    kin sampadakon ki baat kar rahe hain? sampadakon ko bhi pata chalana chahiye aur anya patrakaro ko bhi ki log unke bare me kya rai rakhte hain.

  9. Ashish Khaware

    February 7, 2010 at 10:41 am

    I agree with Mr.Uday, one should express without abusing others. Specially Person with one of the most respectable position like Editor must act responsible.

  10. nitin sharma

    February 7, 2010 at 10:52 am

    udayji aap bahut senior hai lekin ye bhi sahi hai ki sampadak pad ki garima coments se nahi kam ho rahi hai………ye garima vahi kam kar rahe hai jo log is pad ka durpyog kar rahe hai to aise logo ke bare main likhne main kya galat hai

  11. Banbir Singh

    February 7, 2010 at 11:26 am

    आदरणीय यशवंत जी ..
    यह सही है की आज मीडिया खबर देखने के लिए मीडिया से जुड़े लोग रोज ही आपकी और देखते है और अब तो आम आदमी भी भी इसी पढने लगा है ..लिहाजा निःसंदेह आपके लिए प्रसन्नता और गौरव की बात है ..लिहाजा ऐसे ऐसे लोगो की तादात भी तेजी से बढ़ रही है जो अपनी लड़ाई आपके पोर्टल के जरिए लड़ना चाहते है .लिहाजा किसी के बारे में भी कोई बात चाहे वह सत्य हो या सत्य से परे आपको भेज देते है ..अब आपको इस बात का ध्यान रखना है की कौन सही खबर भेज रहा है और कौन है जो अपनी वाहवाही के लिए मिर्च मसाला लगाकर ऐसी खबर भेज रहा है जो एक पक्षीय और सत्य का महज एक पहलू है ..लिहाज मेरी गुजारिश है की इस बात का ध्यान आप जरूर रखे क्योकि आपकी एक छोटी भूल किसी भी दिन ऐसे शक्शियत के दामन पर दाग लगा सकती है जिसका उससे कोई लेना देना ही नहीं रहा हो ….इसलिए मेरी सलाह और राय को और बुसमे प्रयोग किए शब्दों को ऐसे सुभचिन्तक की तरह लीजिएगा जो आपको नित नई उंचाइयो पर पहुँचते देखना चाहता है ………
    बनबीर सिंह
    मो०-09415718047- b][b][/b]

  12. sanjay

    February 7, 2010 at 1:28 pm

    aree bhai kyu ho halla macha rakhe hai aap log………ab sampadak hote hai kaha ab to sampadak ka matlab mailk ka dalal…jinka kaam reporter ke khun ko chush ke apni salary mota karna.ye to (sampadak)gali ya coments ke kabil bhi nahi hai

  13. sanjay

    February 7, 2010 at 1:39 pm

    yashwant jee,uday shankar khawade sahab kyu chintit hai mujhhe nahi malum but shayad unhe bhi pata hai ki ab SAMPADAK ka matlab malik ka chamcha hota hai jinka kam ab sirf aur sirf reporters ka khun chush ke kam paise me akhwar nikalna hota hai aur har sal apni salary moti karna hota hai bus………..phir hangama kyu barpa hai..aree bhai jab sampadak hi nahi hota hai to apman kya..?

  14. gopal shukla

    February 7, 2010 at 2:38 pm

    sri uday ji aapki bat achchhi hai parantu chamchagiri se bane patrkar ya sampadak aj kal bahut ho gaye hai unki sachchai to samne aani hi chahiye

  15. ambuj

    February 7, 2010 at 3:44 pm

    you may be right but dont you think you are trying to curb the fundamental right of expression.
    if editor’s post is so respectable then it is the duty of editor to maintain it.

    kya jarurat hai aisa kuch post karne ki jisse reader kuch aisa comment de jo pad ki garima ko thes pahuchata ho.

    thanks

  16. hasan

    February 7, 2010 at 6:36 pm

    sahi waqt pr aap n sahi baat kahi h.. ab lagta zameen pr aane k koshish karenge yeshwant

  17. Abhilash Nair

    February 8, 2010 at 5:03 am

    Udayshankar ji has forgotten one thing that TRUTH cannot be edited….Yashwant ji is doing a good job and i wish him all the luck

    P.S. Uday ji , Gehoon ( corrupt editors) ke saath ghun ( honest editors) bhi pista hai.

  18. अजय शुक्ल

    February 8, 2010 at 3:39 pm

    यशवंत जी
    निश्चित रूप से सच्चे संपादक है क्योकि कम संपादको मे ये बूता होता है की सच सुने और फिर लिख भी दें. यशवंत जी सदा सभी की बात को स्थान देते हैं चाहे वो खुद उनके ही खिलाफ क्यों न हो. सच लिखने के लिए बधाई. अजय शुक्ल

  19. Ajay shukla

    February 8, 2010 at 3:50 pm

    Yashwan ji sachche Editor hain. Wo purwa grah se grasit nahi hote. wo sada sabki bat ko na kewal sthan dete hai balki apne khilaf bhi lekh chhapne se parhej nahi karte. wo sudhar ki gunjaish sada hi rakhte hain.

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