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तहलका मैग्जीन की ये कौन सी मानसिकता है?

: लालू को टाप टेन महानायकों में से एक बताया और नितिश कुमार को सूची से बाहर रखा : दिल्ली से प्रकाशित एक जानी-मानी हिन्दी की पत्रिका ने बिहार के दस नायकों के ऊपर एक बड़ी सी स्टोरी की है. पत्रिका का नाम है, तहलका.  इस पत्रिका ने अपनी इस स्टोरी में बिहार में दो बार से मुख्यमंत्री नितिश कुमार को जगह नहीं दी. जबकि ये सर्वविदित है कि नितिश कुमार बिहार में नया इतिहास लिख रहे हैं. नितिश इस राज्य में विकास पुरुष की तरह उभरे हैं और देखते ही देखते समूचे देश में छा गए हैं.

<p style="text-align: justify;">: <strong>लालू को टाप टेन महानायकों में से एक बताया और नितिश कुमार को सूची से बाहर रखा</strong> : दिल्ली से प्रकाशित एक जानी-मानी हिन्दी की पत्रिका ने बिहार के दस नायकों के ऊपर एक बड़ी सी स्टोरी की है. पत्रिका का नाम है, तहलका.  इस पत्रिका ने अपनी इस स्टोरी में बिहार में दो बार से मुख्यमंत्री नितिश कुमार को जगह नहीं दी. जबकि ये सर्वविदित है कि नितिश कुमार बिहार में नया इतिहास लिख रहे हैं. नितिश इस राज्य में विकास पुरुष की तरह उभरे हैं और देखते ही देखते समूचे देश में छा गए हैं.</p>

: लालू को टाप टेन महानायकों में से एक बताया और नितिश कुमार को सूची से बाहर रखा : दिल्ली से प्रकाशित एक जानी-मानी हिन्दी की पत्रिका ने बिहार के दस नायकों के ऊपर एक बड़ी सी स्टोरी की है. पत्रिका का नाम है, तहलका.  इस पत्रिका ने अपनी इस स्टोरी में बिहार में दो बार से मुख्यमंत्री नितिश कुमार को जगह नहीं दी. जबकि ये सर्वविदित है कि नितिश कुमार बिहार में नया इतिहास लिख रहे हैं. नितिश इस राज्य में विकास पुरुष की तरह उभरे हैं और देखते ही देखते समूचे देश में छा गए हैं.

लेकिन इस पत्रिका ने उन्हें इस स्टोरी में शामिल करने के लायक नहीं समझा.  मेरा मानना है कि ये नितिश कुमार की नहीं बल्कि राज्य की उस तमाम जनता का अपमान है जिसने नितिश में अपनी आस्था दिखाई है. इस पत्रिका के पत्रकारों ने और इस स्टोरी के पैनल मेम्बर ने इस स्टोरी के माध्यम से अपनी मानसिकता दिखाई है. बिहार में हो रहे विकास और चल रहे सुशासन से नज़र फेर लेना कहां की समझदारी है? ये कौन सी पत्रकारिता है कि जो अच्छा काम कर रहा है, जिसे जनता ने रिकोर्ड तोड़ बहुमत से जिताया है उसे आप नायक नहीं मान रहे हैं और जिन्हें बिहार में जंगल राज चलाने का तगमा मिला उन्हें नायक बना कर पेश किया जा रहा है. इसे एक इनसान मात्र को नकारने के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. इस स्टोरी के माध्यम से तहलका का विकास विरोधी रूप दिखता है और साथ ही साथ पैनल में बैठे उन तमाम कथित बड़े पत्रकारों और बुद्धीजीवियों का चेहरा भी बेनकाब हो गया है जो कम्बल के नीचे बैठकर घी पीते हैं.

इस पत्रिका ने अपने 15 फरवरी के बिहार-झारखंड संस्करण में ’प्रदेश के महानायक” नाम से कवर स्टोरी की है. इस स्टोरी में उन तमाम चेहरों को खोजा गया है जिन्होंने बिहार के विकास में अपना योगदान दिया. इस पत्रिका ने इस काम के लिए बिहार से दस लोगों को बतौर पैनल जुटाया और इनका कहना है कि जो भी नाम दस महानायकों के नाम पत्रिका में शामिल किए गए हैं वो इन्हीं लोगों (पैनल मेम्बर) के द्वारा सुझाए गए हैं. इस स्टोरी में लालू यादव को बिहार के दस महानायकों में रखा गया है और बिहार के वर्तमान मुखिया नितिश कुमार को इन दस में से बाहर माना गया है. इस स्टोरी में जिन लोगों को पैनल में बताया गया है उनका नाम भी जानना जरूरी है ताकि पाठक इन लोगों की मानसिकता को अच्छे से समझ सकें. इन नामों को बता देने के बाद मुझे और कुछ नहीं कहना है. सुधी पाठक खुद ही समझ जाएंगे कि किन कारणॊं की वजह से इस पत्रिका के पत्रकारों ने और इन लोगों ने लालू को प्रदेश का महानायक बताया और नितिश कुमार को बाहर रखा.

स्टोरी के पैनल मेम्बर हैं-  शैवाल (कथाकार), सत्यनारयण मदन (सामाजिक कार्यकर्ता), महेंद्र सुमन (राजनीतिक विश्लेषक), डॉ. रजी अहमद (गांधीवादी विचारक), विनोद अनुपम (फिल्म समीक्षक), श्रीकांत (वरिष्ठ पत्रकार), राजीव (सामाजिक कार्यकर्ता), रामाआधार (पूर्व आईएस आधिकारी), मणिकांत ठाकुर (वरिष्ठ पत्रकार), आलोक धन्वा (मशहूर कवि), कुमार शुभमूर्ति (भूदान कमेटी के बिहार प्रमुख), भारती एस कुमार (इतिहास विभागाध्यक्ष, पटना विश्वविधालय)

पटना के एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. इन पत्रकार महोदय ने अपना नाम गुप्त रखने का अनुरोध किया है.

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0 Comments

  1. ts saumitra

    February 9, 2011 at 6:57 am

    yah Murkhta ka Tahalka hai! ise Tahalka ka Kuda vishleshan samajhkar bhul jaiye. Nitish kumar ko Tahalka se certificate ki jarurat bhi nahi hai. Ii suchi ke 90% namom se Bihar ke am log parichit nahi hain! Rahi bat Lalu ki to ve itihas ke fatichar or nikamma patro mese aik hain.

    Ts saumitra

  2. संजय कुमार सिंह

    February 9, 2011 at 6:58 am

    नाम गुप्त रखने का अनुरोध करने वाली स्टोरी का एक स्तर होना चाहिए। भड़ैती करने में भी नाम गुप्त रखें ताकि नीतिश से लड्डू मिले को गपागप और साथियों की गाली से बच जाएं। मेरा मानना है कि ऐसी खबरें नाम न देने की शर्त के साथ आएं तो रद्दी की टोकड़ी में डाली जाएं। माननीय लेखक ने लिखा है, ” सुधी पाठक खुद ही समझ जाएंगे कि किन कारणॊं की वजह से इस पत्रिका के पत्रकारों ने और इन लोगों ने लालू को प्रदेश का महानायक बताया और नितिश कुमार को बाहर रखा। ” लेखक अपना नाम बता देते तो हम यह भी समझ जाते कि उन्होंने यह सब क्यों लिखा है।

  3. Vigilante

    February 9, 2011 at 9:50 am

    #*#*#*#*#* Shabd kam par gaye
    Ntish jee aur kuch kare naa kare media se relation ache banae huen hain

  4. मदन मिश्रा

    February 9, 2011 at 10:57 am

    एक पत्रकार भाई,
    कोई विस्फोटक जानकारी तो दे नहीं रहे हो कि अपना नाम लिखने में भी शर्म आए. यह एक पत्रकार क्या बला है…
    अब रही लालू के टाप टेन महानायकों में रखने की बात तो आप ही कह रहे हो कि पत्रिका ने पैनल बनाया और उसने जो सूची दी उसमें ये दस नाम निकलकर आए. पैनल के नामों में भी कुछ गलत नहीं लग रहा. बल्कि एक संतुलन ही दिखता है क्योंकि उसमें अलग-अलग धाराओं के लोग हैं. पत्रिका मैंने भी पढ़ी है और नीतिश उन 30 लोगों में शामिल तो हैं ही जिनमें से 10 लोगों के नाम सर्वसम्मति से फाइनल हुए. लालू महानायक हैं या नहीं इसके पक्ष और विपक्ष में आपको और हमें हजारों तर्क-वितर्क पढ़ने-सुनने को मिल जाएंगे. कोई कहेगा कि लालू ने पिछड़ों को स्वर्ग नहीं तो स्वर तो दिया ही है तो कोई कहेगा कि 15 साल में उन्होंने बिहार का बंटाधार कर दिया. हम किससे सहमत या असहमत होते हैं यह इस पर निर्भर करता है कि हमारा अपना स्टैंड क्या है. नीतिश के गुण गाने और तहलका की मानसिकता पर सवाल उठाने से तो तुम पर भी सवाल उठ सकते हैं…

  5. madan kumar tiwary

    February 9, 2011 at 1:49 pm

    यार एक तो तुम पत्रकार -वत्रकार नही लगते । किसके डर से नाम नही दिया । जहां तक लालू के टाप दस में नाम देने की बात है तो एक बात याद रखना अगर लालू के पन्द्रह साल को गुंडा राज मानते हो तो उसमें से सात साल तक नीतीश लालू के साथ थें और चाणक्य कहे जाते थें । लालू का अंतिम पांच साल अराजक था यह सत्य है लेकिन तानाशाही नही थी । आज बिहार में भ्रष्टाचार के साथ तानाशाही है , हां उच्च जाति को बदला चुकाने का एक अच्छा मौका हाथ आया है इसलिये उसे सब जगह विकास नजर आता है । तुमने अगर यह लिखा होता की कहां घर है तो कुछ सडकों के नाम बता देता खैर । जीटी रोड पर इमामंगज विधानसभा क्षेत्र , सासाराम का चौसा-कोचस -बक्सर रोड , गया -पटना रोड , एस तरह के अनेको सडके हैं जो नीतीश के विकास को बयां करती हैं । एक बात और नीतीश को सता में लाने में ईवीएम का बहुत बडा हाथ है , आज या कल नीतीश जी जेल जायेंगे । ट्रेजरी घोटाला , टीचर बहाली , इस तरह के अनेको घोटाले हैं । नीतीश बहुत हीं खतरनाक हैं , वक्त आयेगा जब इसी भडास पर आपलोग नीतीश को गालियां बकते नजर आयेंगे ।

  6. ..XYZ..

    February 10, 2011 at 12:57 pm

    Tahalka to Congress ka [b]Mouth-Piece[/b] hai . Aap Baariquee se Tahalka padhe to Uske 10 mein se 8 edition [b]Anti-NDA[/b] rahte hain. Isliye Tahlka ka ye Survey ,Tahalka ke mijaaz ke mutaabiq hai.

  7. राजीव रंजन

    February 13, 2011 at 9:02 pm

    लालू प्रसाद जी निश्चित रूप से महानायक हैं। उन्‍होंने ‘सोशल इंजीनियरिंग’ को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया और फिर बाद में उसे सफलतापूर्वक ‘फैमिली इंजीनियरिंग’ में तब्‍दील कर दिया। यह तो ईवीएम की साजिश थी, जिसने नीतीश कुमार को दोबारा सत्‍ता में बैठा दिया।

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