Connect with us

Hi, what are you looking for?

पॉवर-पुलिस

यूपी के अफसरों की खुली पोल, एक फोन पर हराम की रकम हाजिर

: दो ठगों ने दर्जनों अफसरों को चूना लगाया : ग्‍वालियर के डीएम ने भी दिए दो लाख रुपये : यूपी में यह एसटीएफ की अक्‍लमंदी है, अफसरों की औकात या फिर अफसरशाही में उगाही की प्रवृत्ति का भंडाफोड़। जो भी हो, मगर गुरुवार की एक घटना ने बता दिया है कि यूपी के अफसरों को टुच्‍चे किस्‍म के धोखेबाज ब्लैकमेल कर सकते हैं।

कुमार सौवीर

: दो ठगों ने दर्जनों अफसरों को चूना लगाया : ग्‍वालियर के डीएम ने भी दिए दो लाख रुपये : यूपी में यह एसटीएफ की अक्‍लमंदी है, अफसरों की औकात या फिर अफसरशाही में उगाही की प्रवृत्ति का भंडाफोड़। जो भी हो, मगर गुरुवार की एक घटना ने बता दिया है कि यूपी के अफसरों को टुच्‍चे किस्‍म के धोखेबाज ब्लैकमेल कर सकते हैं।

यूपी एसटीएफ ने आज एक जांच के बाद रांची से दो ठगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। इन पर आरोप है कि इन लोगों ने यूपी के बड़े अफसरों से भारी रकम ऐंठी है। पटना की बेउर जेल से संचालित हो रहे इस रैकेट में तो ग्‍वालियर के डीएम भी फंस गये और मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त के नाम पर दो लाख रूपये अदा कर दिये। बहरहाल, एसटीएफ इन लोगों को अब लखनऊ लाकर गोंडा की अदालत में पेश करेगी। लेकिन इस बात का सरकारी तौर पर कोई भी खुलासा नहीं किया जा रहा है कि आखिर यह रकम इन अफसरों के पास आयी कहां से।

बड़ा मजेदार किस्‍सा है यह, जो यूपी के अफसरों की हालत का खुलासा कर देता है। इस घटना ने साबित कर दिया है कि यूपी के अफसरों को कोई, कहीं, कभी भी और कितना भी बेवकूफ साबित कर सकता है। बस एक फोन घुमाइये, अफसर से कहिये कि आप फलां मंत्री, नेता, विधायक या कोई कमिश्‍नर बोल रहे हैं और मेरे एकाउंट में इतना पैसा जमा करा दो। पूरी तरह यकीन रखिये कि आपके फोन काटते ही यह अफसर आनन-फानन मांगी गयी रकम दिये गये एकाउंट नम्‍बर पर फौरन जमा करा देंगे। रकम चाहे जितनी हो, इन अफसरों के लिए यह समस्‍या होती ही नहीं। अब यह सवाल पूछना निरर्थक है कि इन अफसरों के पास इतनी मोटी रकम आती कहां से है, जिसे एक साथ गिन तक पाना आम आदमी के लिए मुमकिन नहीं होता।

तो हुआ यह कि, जैसा कि यूपी की एसटीएफ बताती है, बीती 27 जुलाई को राजधानी लखनऊ के करीब वाले जिले गोंडा की मनकापुर तहसील के एसडीएम के सरकारी मोबाइल फोन पर काल आयी। सुबह आयी इस काल में फोन करने वाले ने खुद को डिवीजन कमिश्‍नर बताते हुए एसडीएम को स्‍टेट बैंक का एक एकाउंट नम्‍बर देते हुए कहा कि उसके खाते में चालीस हजार रूपये जमा कर दो। फोन सुनते ही एसडीएम ने बिना किसी पूछतांछ के अपने तहसीलदार की मार्फत उस एकाउंट में पूरा पैसा जमा करा दिया। खबर है कि इस अफसर ने उक्‍त कॉलर से यह भी कहा कि सर अगर और जरूरत पड़े तो तत्‍काल आदेश दीजिएगा।

खबरों के अनुसार इसी दौरान गोंडा की ही तरबगंज तहसील के एसडीएम के फोन पर भी ऐसी ही काल आयी और इस अफसर ने भी बिना किसी पूछतांछ के अपने इस सर के दिये गये एकाउंट नम्‍बर पर पूरी रकम जमा करा दी। उधर बदायूं जिले की बिल्‍सी तहसील के एसडीएम से भी फोन पर ऐसी ही रकम की मांग की गयी जो फौरन पूरी हो गयी। बताते हैं कि ऐसी दर्जनों घटनाएं हुईं और भारी-भरकम रकम उस एकाउंट में जमा की गयी। लेकिन इसी बीच शायद मनकापुर के एसडीएम ने अपने दोस्‍तों से बात की, तो उन्‍होंने भी अपने साथ हुई वारदात का जिक्र कर दिया।

इसके बाद तो यह बात पूरी ब्‍यूरोक्रेसी तक पहुंच गयी, और हंगामा खड़ा हो गया। लेकिन बाद में कई अफसरों ने जांच-पड़ताल के लफड़े में पड़ने के बजाय मामले को भूल जाने में ही अपनी भलाई समझी। मगर अब तक मनकापुर में एसडीएम की खासी खिल्‍ली उड़ चुकी थी, कारण यह कि उस तहसीलदार ने ही एसडीएम से रकम न मिलने पर हंगामा शुरू कर दिया था। हार कर मनकापुर थाने में इस वारदात की रिपोर्ट दर्ज करा दी गयी। इस एफआईआर के बाद बिल्‍सी में भी एसडीएम ने रिपोर्ट दर्ज करा दी। जांच का काम एसटीएफ को सौंपा गया तो पता चला कि यह खाता केरल के येदुक्‍की जिले में एसबीआई का है।

पता चला कि इस खाते में पिछले कई महीनों के दौरान देश के अलग-अलग हिस्‍सों से भारी रकम जमा की गयी, लेकिन रकम की निकासी केवल बिहार से ही हुई। मामले की जांच कर रहे पुलिस उपाधीक्षक डॉक्‍टर अरविंद चतुर्वेदी और दुर्गेश कुमार ने छानबीन में पाया कि जिस फोन से इन अफसरों को फोन किया गया, उसी नम्‍बर से यूपी के अनेक सरकारी अफसरों के नम्‍बरों पर भी कॉल की गयी थी। देश के दूसरे हिस्‍सों में भी कई सरकारी अफसरों ने फोन करने वाले इस -सर- के आदेश का पूरी निष्‍ठा के साथ पालन किया। ग्‍वालियर के जिला निर्वाचन अधिकारी जो जिलाधिकारी होता है, ने तो अपने नम्‍बर पर फोन करने वाले देश के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त के निर्देश का पालन किया और उस एकाउंट में दो लाख रूपये जमा कराये।

यूपी एसटीएफ की जांच के बाद मामला खुलने पर उसने थाना यूनिवर्सिटी रोड पर मुकदमा दर्ज कराया। जांच अधिकारियों ने पाया कि मांगी गयी रकम जमा कराने के लिए इन माननीय अफसर-ठगों ने कई-कई बैंकों में अपने खाते खुलवा रखे थे। हैरतनाक बात यह कि मई-11 से पटना की बेउर जेल में बंद रंजन मिश्रा नामक व्‍यक्ति ने ज्‍यादातर फोन किये थे। रंजन को पटना के डीएम के नाम पर पैसा मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

एसटीएफ की पूछताछ में अब तक जितने अफसरों के साथ ऐसी धोखाधड़ी हुई है, उनमें यूपी के कई जिलों के नगर मैजिस्‍ट्रेट और एसडीएम स्‍तर के अधिकारी हैं। पकड़े गये लोगों में हजारी बाग के इचाक थाने के तिलरा गांव का विवेक कुमार, हालपता 16- टिस्‍को कालोनी, ड्राइर्स हट वेस्‍ट बोकारो, थाना घाटोटांड मांडू, रामगढ़, झारखंड और अमर नाथ, निवासी बिहार शरीफ, हालपता पोकर चूना भट्टी, गली नम्‍बर-1, थाना पोकर रांची झारखंड है। कुछ भी हो, इस ठगी की श्रंखला ने इतना तो तय कर ही दिया है कि यूपी के अफसरों के पास बेहिसाब पैसा है और अक्‍ल धेला भर भी नहीं। अब इस सवाल का कोई अर्थ नहीं रहा जाता कि इतनी बड़ी रकम इन अफसरों के पास आती कहां से है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर की रिपोर्टकुमार सौवीर

((कुमार सौवीर यूपी के बेबाक और ईमानदार पत्रकारों में शुमार किए जाते हैं. दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान समेत कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर रहे हैं. महुआ न्यूज के यूपी हेड रह चुके हैं. इन दिनों आजाद पत्रकार के बतौर सक्रिय हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.))

Click to comment

0 Comments

  1. ashish gaur unnao

    August 11, 2011 at 5:47 pm

    bhaiya charan sparsh kya chal rha hi

  2. अभिषेक

    August 11, 2011 at 7:52 pm

    इन ठगों ने क्या किया..? सिर्फ घूसखोर अफसरों की मोडस औपेरेंडाइ यानि जुर्म करने के तरीके की नकल कर ली.. अब समझदार घूसखोरों को चाहिए कि अपना तरीका बदलें और किसी आम आदमी से ‘शेयर’ ना करें.. सब ठीक-ठाक चलता रहेगा। 😀 ;D

  3. Harishankar Shahi

    August 12, 2011 at 4:54 am

    गुरुदेव अफसरों के पास तो अधिकार है और उस अधिकार या कार्यक्षमता के बीच से कुछ कमाकर बचा लेते हैं और अपने सीनियर अधिकारी के नाम पर चढा देते हैं. क्योंकि सीनियर और जूनियर का यह लेन देन हर स्तर पर है. एसडीएम् ने तहसीलदार से लिया इसी तरह तहसीलदार अपने नीचे से लेगा.
    गुरुदेव आप जरा उन स्ट्रिंगरों को भी चेक कर लीजिए जिन्हें बड़े पत्रकार लोग लग्गी या आई.डी. पकड़ा देते है और उसकी सेक्युरिटी के नाम पर पैसे ले लेते हैं. उसके बाद वह लोग कई हज़ार का कैमरा खरीदकर और चौपाये होकर गली-गली, ऑफिस-ऑफिस, थाना-थाना पैसे वसूलते घूमते हैं. चैनल के नाम पर इन्हें वसूली का अधिकार किस अधिकार से मिल जाता है. जब यह लग्गी छाप लोग बिना किसी अधिकार और वैध नौकरी के इन अधिकारियों से वसूल लेते हैं. तब बेचारे अधिकारी तो व्यवस्था के अंतर्गत आने वाली कार्यपालिका के सदस्य और अधिकार से भरे अधिकारी हैं.
    अधिकारियों पर ऊँगली उठाना आसान है पर कभी इन स्ट्रिंगरों पर भी कोई बड़ा जर्नलिस्ट सोचे और सोचे क्या सब कुछ जानबूझकर इन्हें करने दिया जाता है.
    आखिर बड़े लोगों को भी तो घुमाने ठहराने और खिलाने पिलाने के नाम पर लंबा चौड़ा खर्च यही लोग तो करते हैं. तो बस हर और दुनिया गोल है. भ्रष्टाचार पर बड़े बोल बोलने वाली मीडिया खुद कितनी भ्रष्ट है और कितने भ्रष्टों का पोषण जाति धर्म और मस्का पालिश के आधार पर करती है यह आप खुद जानते हैं.

  4. yogendra pratap singh

    August 18, 2011 at 10:44 am

    सौवीर सर
    आप ने तो इन सभी की धुल कर रख दी है ……

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Uncategorized

मीडिया से जुड़ी सूचनाओं, खबरों, विश्लेषण, बहस के लिए मीडिया जगत में सबसे विश्वसनीय और चर्चित नाम है भड़ास4मीडिया. कम अवधि में इस पोर्टल...

Advertisement