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अपमानित ना होता तो खुद को पहचान नहीं पाता

अमर बड़े-बड़े आंदोलनों और बड़ी-बड़ी क्रान्तियों का जन्म अपमान की कोख से ही होता है. महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में अच्छे भले वकील थे और अपनी सफल वकालत की मजबूती के कारण प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे, तभी किसी गोरे वर्ण के एक अंग्रेज ने उनके श्याम वर्ण पर टिप्पणी कर उन्हें फर्स्ट क्लास के डिब्बे से फिकवा दिया. फिर क्या था, रंगभेद के कारण हुए इस अपमान के विरुद्ध पिल पड़े गांधी जी ने अंग्रेज साम्राज्यवाद की चूलें भारत से उखाड़ फेंकी.

अमर

अमर बड़े-बड़े आंदोलनों और बड़ी-बड़ी क्रान्तियों का जन्म अपमान की कोख से ही होता है. महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में अच्छे भले वकील थे और अपनी सफल वकालत की मजबूती के कारण प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे, तभी किसी गोरे वर्ण के एक अंग्रेज ने उनके श्याम वर्ण पर टिप्पणी कर उन्हें फर्स्ट क्लास के डिब्बे से फिकवा दिया. फिर क्या था, रंगभेद के कारण हुए इस अपमान के विरुद्ध पिल पड़े गांधी जी ने अंग्रेज साम्राज्यवाद की चूलें भारत से उखाड़ फेंकी.

कुछ ऐसा ही मगध में चाणक्य के साथ हुआ, उन्होंने अपनी चोटी खोली और अपमान करने वाले राजा का दमन करने के बाद ही दम लिया. खुले सभागार में चीरहरण के प्रयत्न से अपमानित द्रौपदी ने भी अपने केश खोल दिये और उन्हें दुर्योधन और दुशासन के रक्त से धोने के बाद ही बांधने का निर्णय लिया. बचपन से इंदिरा जी को इंदु के रूप में जानने वाले जेपी भी अपनी वैचारिक उपेक्षा से व्यथित होकर 1977 में सम्पूर्ण क्रांति कर आपात स्थित का दमन कर सत्ता परिवर्तन कर डाले.

सिंडीकेट के बड़े नेता मोरारजी भाई, निंजलिगप्पा, अतुल्य घोष, एसके पाटिल ने गूंगी गुडि़या कह इंदिरा जी का अपमान क्या किया कि वीवी गिरी विजयी हो गए और बड़े-बड़े सूरमा पराजित हो गए. मुझे भी अगर राजनीति में मेरे पुराने दल के लोग अपमानित ना करते तो मैं न तो संघर्ष करता, न तो स्वयं को पहचानता और ना ही पूर्वाँचल के मुद्दे के लड़ाई लड़ पाता. यदि जिन्ना का उचित समन्वय और समायोजन होता तो क्या पाकिस्तान बनता? हम चाहे कितनी भी बड़ी-बड़ी बातें कर लें, क्रांति और परिवर्तन का अभ्युदय सदैव अपमान की कोख से ही होता है.

“मोहब्बत की कोई कोपल पनपने ही नहीं पाती,
हम अपनी जड़ में जो नफ़रत का मट्ठा छोड़ आए है.”

अमर सिंह के ब्‍लाग से साभार.

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0 Comments

  1. sksingh

    November 23, 2010 at 12:19 pm

    mujhe amarsingh jee sepuri sahanubhuti hai .per jis tarahkee rajneeti wokarrahe the ekdinaisa hona hitha.

  2. dhanish

    November 23, 2010 at 12:42 pm

    amar ji ki punch line ko 100 main sa 100 no.

  3. dhanish

    November 23, 2010 at 12:42 pm

    or sir jitna apmaan apka hua ussa jyada dukh muja hua..

  4. yashovardhan nayak

    November 24, 2010 at 4:57 am

    अमर सिंह जी ,आपको मेरी एक नेक सलाह है .कि आप एक “न्यूज चैनल” लांच कीजिये .आपका देश-व्यापी नेटवर्क है ,इस चैनल के माध्यम से आप देश और समाज का भला करने के साथ-साथ अपनी जायज बातें भी देश के सामने ला सकेंगे .आप आर्थिक रूप से सक्षम है ,आपके सम्पर्क कहाँ नहीं है. आशा है ,यह सुझाव आपको ठीक लगेगा .आपकी प्रतिभा का कायल -यशोवर्धन नायक ,विनोदकुन्ज तिराहा ,झाँसी रोड ,टीकमगढ़ (एम.पी.)

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