: कई स्थानीय संपादकों के भी इस्तीफे की चर्चा : आज सुबह से ही भोपाल में मीडियावालों के बीच चर्चाओं का गर्मागर्म दौर चल रहा है. पीपुल्स समाचार के ग्रुप एडिटर अवधेश बजाज के इस्तीफे की बात दोपहर तक हर ओर फैल गई. भड़ास4मीडिया के पास कई मेल आईं और फोन से कई सूचनाएं भेजी गईं. भड़ास ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि अवधेश बजाज ने वाकई कल रात पीपुल्स ग्रुप के अखबार पीपुल्स समाचार को गुडबाय कह दिया है.
अवधेश बजाज ने इस्तीफे की पुष्टि की लेकिन पूरे मसले पर अभी कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हालांकि उनके करीबी लोगों का कहना है कि अखबार प्रबंधन तरह तरह के फरमान सुना रहा था, जिससे अवधेश बजाज अनकंफर्टबल महसूस कर रहे थे. अपने 25 साल के करियर में किसी अखबार मालिक की बात सुने बिना पत्रकारीय सरोकार के आधार पर अखबार निकालने वाले अवधेश बजाज पीपुल्स ग्रुप में थोड़ी बहुत मालिकों की सुन भी रहे थे लेकिन जब ज्यादा दबाव पड़ने लगा तो उन्होंने काम करने से इनकार कर दिया. अवधेश बजाज ने अपने वैल्यूज और एथिक्स के लिए अखबार छोड़ दिया. हालांकि उनका कोई सीधा दुराव प्रबंधन से नहीं है.
बताया जा रहा है कि अवधेश के इस्तीफे के बाद पीपुल्स समाचार के कई स्थानीय संपादकों ने भी इस्तीफा दे दिया है. भोपाल संस्करण, ग्वालियर संस्करण और जबलपुर संस्करण के स्थानीय संपादकों ने ग्रुप एडिटर के जाने के बाद खुद भी इस्तीफा देने का फैसला लिया. हालांकि अभी इस खबर की पुष्टि नहीं हो पाई है. पता चला है कि अवधेश बजाज अब बिच्छू डाट काम को फिर जीवित करेंगे और इस नाम से अपना अखबार भोपाल के अलावा दिल्ली और रायपुर से निकालेंगे. सूत्रों के मुताबिक बिच्छू डाट काम अखबार के छत्तीसगढ़ एडिशन के लिए तैयारियां अवधेश बजाज ने शुरू कर दी है.
उल्लेखनीय है कि अवधेश बजाज ने पीपुल्स समाचार में ग्रुप एडिटर के बतौर ज्वाइन करने के बाद बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चलाया था और दर्जनों लोगों को इस्तीफा देने या खुद चले जाने को मजबूर कर दिया था. उन्होंने चुन चुन कर अपने लोगों को हर यूनिटों में फिट किया. कहा जाता है कि अवधेश बजाज के काम करने का यही तरीका है. वे जहां भी जाते हैं, अपनी स्टाइल और अपने लोगों के साथ काम करते हैं. पर जो लोग अवधेश बजाज के चलते बेरोजगार हुए, उन लोगों ने उनको जी भरकर बददुवाएं दीं. अवधेश बजाज के विरोधियों की लंबी चौड़ी फौज तैयार हो चुकी है और ये लोग काफी समय से अवधेश बजाज पर तमाम तरह के आरोप लगाने के साथ-साथ उनकी जल्द विदाई की अटकलें लगा रहे थे.
अवधेश बजाज के करीबियों का कहना है कि अवधेश बजाज की शख्सियत ही कुछ ऐसी है कि वे मिडिलमैन कभी नहीं बन सके. वे हमेशा एक एक्स्ट्रीम पर रहते हैं और एक्स्ट्रीम पर जो सूट करता है, उसे वो अपने साथ जोड़ते रखते हैं. बाकियों के साथ बिना कोई समझौता किए उन्हें अलग कर देते हैं. इस कारण उनके जितने प्रशंसक नहीं हैं, उससे ज्यादा उनके विरोधी हो गए हैं.
एक चर्चा ये भी है कि अवधेश बजाज अब राज एक्सप्रेस ज्वाइन करने वाले हैं. पर बजाज के करीबी लोग इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं. इनका कहना है कि अब अवधेश बजाज किसी की गुलामी-नौकरी नहीं करने वाले. वे अपने अखबार पर ही ध्यान केंद्रित करेंगे. सूत्रों का कहना है कि राज एक्सप्रेस के मालिक को मध्य प्रदेश सरकार ने जो झटका माल वगैरह गिराकर दिया, उसके बाद अवधेश बजाज ने पीपुल्स समाचार के प्रथम पेज पर राज एक्सप्रेस और अरुण सहलोत के पक्ष में एक टिप्पणी प्रकाशित की थी.
उस टिप्पणी के छपने के बाद से अवधेश बजाज और पीपुल्स प्रबंधन के बीच तनाव बढ़ गया. पीपुल्स प्रबंधन डर गया था कि कहीं सरकारी कार्रवाई का विरोध करने पर उसका भी हश्र राज एक्सप्रेस के मालिक जैसा न हो जाए. इसी मुद्दे पर अवधेश बजाज और पीपुल्स प्रबंधन में खटपट बढ़ी और मामला इस्तीफे तक पहुंच गया. तभी यह चर्चा भी फैली कि इस्तीफे के बाद अवधेश बजाज राज एक्सप्रेस के ग्रुप एडिटर बन सकते हैं. इस प्रकरण को लेकर जितने मुंह उतनी बातें कही जा रही है पर यह अब तय है कि पीपुल्स के साथ अवधेश बजाज नहीं हैं.
Comments on “अवधेश बजाज के इस्तीफे से पीपुल्स ग्रुप हिला”
पीपुल्स समाचार के समूह संपादक आदरणीय बजाज साहब द्वारा लिया गया निर्णय निश्चित ही सहराहनीय है। एक पत्रकार का अपना वजूद होता है, उसकी अपनी एक स्वंतंत्रता होती है उसका स्वाभिमान होता है यदि वह इन सबसे से समझौता कर लेता है तो वह जीते जी मर जाता है और अवधेश बजाज जैसे इंसान के लिए यह संभव नहीं है। उन्होंने एक दम सही निर्णय लिया है। पीपुल्स के मालिकों को लिए पत्रकार नहीं बल्कि भांड चाहिए हैं जो मालिकों के मुताबिक भाड़गिरी कर सकें। यह सब कर पाना विशुद्ध पत्रकार के लिए कतई संभव नहीं हैं। जबकि पीपुल्स के मालिक हर एक को अपने इशारों पर नचााने का प्रयास कर रहे थे। जो अवधेश जी जैंसे व्यक्त्वि के लिए संभव नहीं हैं। बजाज जी ने इस्तीफा देकर बहुत अच्छा काम किया है कम से कम प्रदेश का एक बड़ा पत्रकार बच गया। बजाज साहब को बधाई साथ ही नई पारी के लिए शुभकामनाएं, वे सतत इस मार्ग को प्रशस्त करें। शिव मंगल सिंह सुमन के शब्दों में ……..तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार, बजाज साहब भी इसी परंपरा का नेतृत्व करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे, ऐसा मेरा विस्वास है।
अतुल दुबे
avdesh je ne akhbaaer ko mukti di hai 24 ghante sharab ke nashe me gali dene bale ki …yashvant bhai aap ne bahut kuch galat ko sahi batakar paysa le liya…meri baat dil me lage to maaf kariyega
ek kahani to sabne suni hogi. bailgadi ke neeche ghalne wale dog ke. ab yadi dog yah sooche ki bailgadi bho kheech raha hai to dog he galti par tha> dog ke baithne par bailgadi aage nikal jati hai. yahi hal peoples ka hai. bajaj peoples ko nahi chala raha tha> peoples me baith kar apni dukan chala raha tha. maliko ko yah bat halanki pooree 15 month bad me samaz me aai par aa gai aur bajaj ko out kar dia. bajaj ne isteefa nahi dia hai, bajaj ko bahar kiya gaya hai. bajaj jaise logo ko mahimamandit karna band karo yasvantjee.
अवधेश बजाज ने नाम कमाया है जो सब नही कमा पाते जिन्होने भी उनसे पत्रकारिता सीखी है अकेला सरकार के बराबर है दिल्ली,मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ का हर जागरूक इंसान,पत्रकार ,नेता आज बजाज जी को जानता है अवधेश बजाज चाहे तो अकेला सरकार को हिला सकता है उनसे मिलो तब जानोगे क्या होती है दमदार पत्रकारिता ……………हमे तो गर्व है अपने मध्यप्रदेश पर जहाँ अवधेश बजाज जैसे पत्रकार है ………..
जय प्रकाश त्रिपाठी
न्यूज़24 रायपुर(छत्तीसगढ़)