राज एक्सप्रेस में प्रिंट लाइन में नाम जाने का मतलब है- … न घर का न घाट का

किसी भी अखबार का संपादक अखबार का चेहरा-मोहरा होता है। संपादक के नाम से अखबार जाता है और लोग संपादक के नाम पर ही भरोसा कर तय करते हैं कि अखबार कितना निष्पक्ष या किस धारा में बहने वाला होगा। लेकिन आजकल मध्यप्रदेश के चार महानगरों से प्रकाशित होने वाले राज एक्सप्रेस नामक अखबार में संपादक नाम की जितनी लानत-मलानत की जा रही है,  उसे देखकर तो यही लगता है कि संपादक कोई भी बन सकता है और कभी भी उस पर गाज गिर सकती है।

राज एक्‍सप्रेस से संपादक प्रभु मिश्रा का इस्‍तीफा, नवज्‍योति के आरई बने कमलेश कसोटे

राज एक्‍सप्रेस, भोपाल से प्रभु मिश्रा ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे यहां पर एडिटर के पोस्‍ट पर कार्यरत थे तथा रविन्‍द्र जैन के जाने के बाद वे ही राज का प्रभार संभाल रहे थे. सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन से अनबन होने के बाद उन्‍होंने इस्‍तीफा दिया है. प्रभु पूर्व संपादक रविन्‍द्र जैन का करीबी माना जाता था. कहा जा रहा है कि वे जल्‍द ही किसी बड़े ग्रुप के साथ अपनी नई पारी शुरू करने जा रहे हैं.

अरुण सहलोत ने दी पीपुल्‍स के मालिक सुरेश विजयवर्गीय को जान से मारने की धमकी

राजधानी से प्रकाशित पीपुल्‍स समाचार के मालिक सुरेश विजयवर्गीय को राज एक्‍सप्रेस के मालिक अरुण सहलोत ने जान से मारने की धमकी दी है। पीपुल्‍स के मालिक विजयवर्गीय ने इसकी शिकायत कमिश्नर व कलेक्टर से की है। कलेक्‍टर ने शिकायत को संज्ञान में लते हुए एसएसपी को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं।

राज एक्‍सप्रेस इंदौर में हड़कम्‍प, कई वरिष्‍ठ जबरिया छुट्टी पर भेजे गए

राज एक्‍सप्रेस इंदौर से बड़ी खबर है. यहां के सभी विभाग खाली हो चुके हैं. अधिकांश कर्मचारियों को तीन महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया है. मार्केटिंग और सर्कुलेशन विभाग पूरा खाली हो गया है. तीन दिनों से एडिटोरियल में भी लोगों को छुट्टी पर भेजने का दौर शुरू हो गया है. इसके चलते हड़कम्‍प मचा हुआ है. पत्रकार परेशान हैं.

बुरे फंसे इनकी नौकरी करके

: सैकड़ों पत्रकार हुए बेरोजगार : कुछ दिन तक ग्वालियर के अखबारी जगत में सब कुछ ठीक-ठाक था। कलम के कारीगरों की पौं-बारह थी। दनादन ग्वालियर में मीडिया जगत में धनकुबेर पांव पसार रहे थे और कलम के हर छोटे-बड़े कारीगर को उसकी क्षमता के मुताबिक काम करने का मौका मिल रहा था। या यूं कहें सभी का सिर कड़ाही में था। लेकिन पलक झपकते ही सब कुछ ध्वस्त हो गया। धन कुबेरों का मीडिया में कूदना और पत्रकारों का धन कुबेरों से धन उलीचना।

राज एक्‍सप्रेस ग्रुप की कंपनियों से चार सौ कर्मचारी कंपलसरी लीव पर भेजे गए

: छंटनी की गाज पत्रकारों पर भी गिरी : शिवराज सकरार के कहर से राज ग्रुप के बुरे दिन शुरू हो गए हैं. सरकार की कार्रवाई से एक अनुमान के तहत इस ग्रुप को लगभग 500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है.  राज ग्रुप की सभी कंपनियों राज इंडस्‍ट्रीज, राज होम्‍स, राज एक्‍सप्रेस की आर्थिक हालात खराब हो गए हैं. खबर है कि इस ग्रुप की विभिन्‍न कंपनियों से लगभग चार सौ लोगों को तीन माह की कंपलसरी लीव दे दी गई है.

राज एक्‍सप्रेस से केके, नीरज एवं प्रभात का इस्‍तीफा, राजीव जागरण से जुड़े

राज एक्‍सप्रेस, जबलपुर से केके दुबे ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे यहां पर ब्रांड और मल्‍टीमीडिया सेक्‍शन में असिस्‍टेंट मैनेजर थे. वे अपनी नई पारी कहां से शुरू करने जा रहे हैं इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है. वे तीन सालों से राज एक्‍सप्रेस से जुड़े हुए थे. केके ने करियर की शुरुआत 2004 में नवभारत से की थी. इसके बाद से भोपाल में आईएनएस एडवरटाइजिंग एजेंसी से जुड़ गए. वहां से इस्‍तीफा देने के बाद राज एक्‍सप्रेस ज्‍वाइन कर लिया था.

मध्य प्रदेश के अख़बार मालिक सरकारी दबाव में

: रवीन्द्र जैन के बाद अवधेश बजाज हुए सरकारी दबाव के शिकार : भोपाल। मध्यप्रदेश के अख़बारों पर शिवराज सरकार का दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है और दबंग पत्रकार इस दबाव का शिकार हो रहे हैं। रवीन्द्र जैन के बाद इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है. अवधेश बजाज ने भी अख़बार प्रबंधन से खटपट के चलते पीपुल्स समाचार के समूह सम्पादक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।

अवधेश बजाज के इस्तीफे से पीपुल्स ग्रुप हिला

: कई स्थानीय संपादकों के भी इस्तीफे की चर्चा : आज सुबह से ही भोपाल में मीडियावालों के बीच चर्चाओं का गर्मागर्म दौर चल रहा है. पीपुल्स समाचार के ग्रुप एडिटर अवधेश बजाज के इस्तीफे की बात दोपहर तक हर ओर फैल गई. भड़ास4मीडिया के पास कई मेल आईं और फोन से कई सूचनाएं भेजी गईं. भड़ास ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि अवधेश बजाज ने वाकई कल रात पीपुल्स ग्रुप के अखबार पीपुल्स समाचार को गुडबाय कह दिया है.

दैनिक जागरण को विज्ञापन रोकने की धमकी दी मायावती ने

मायावती सरकार के चार साल पूरे होने पर दैनिक जागरण, लखनऊ संस्करण में चार किश्तों में मायावती के कामकाज पर स्टोरी प्रकाशित हुई. इन विशेष स्टोरीज वाले कालम का नाम था- वादा तेरा वादा. इन कालमों के जरिए बताया गया कि मायावती के राज में वे क्या क्या काम नहीं हुए, जिनका ऐलान किया गया था. साथ ही इन स्टोरीज में सरकार के कामकाज की आलोचनात्मक समीक्षा थी, जो कि अखबारों में आमबात है.

मुश्किलों से घिरे अरुण सहलोत को समर्थन देने की जरूरत

: मध्य प्रदेश के हिंदी दैनिक ‘राज एक्सप्रेस’ में तीखे और पोलखोल खबरों के प्रकाशन से परेशान मध्य प्रदेश सरकार ने अखबार के मालिक के माल-क्लब-निर्माणों आदि को तुड़वाने-गिराने का जो कार्य शुरू किया है, वह न सिर्फ निंदनीय है बल्कि दूसरे मीडिया हाउसों को सत्ता से पंगा न लेने का इशारा है और मीडिया को सत्ता के असीमित अधिकारों से आतंकित कर सत्ता के तलवे चाटते रहने को मजबूर करने का कुकृत्य भी है :

शेष कार्रवाई से बचने के लिए ली गई रविंद्र जैन की बलि

एक गैर पत्रकार अख़बार मालिक से जिस तरह की उम्मीद की जानी चाहिए, राज एक्सप्रेस के मालिक अरुण सहलोत ने ठीक वैसा ही किया। उन्होंने राज एक्सप्रेस के ग्रुप सम्पादक रविन्‍द्र जैन को सरकारी दबाव में आकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। चर्चा है की रविन्द्र जैन को हटाने की कार्रवाई सहलोत और सरकार के बीच हुए एक गुप्त समझौते के तहत हुई है। चर्चा है कि मिनाल रेसीडेंसी के शेष अतिक्रमण को हटाने से रोकने के लिए सहलोत सरकार के सामने झुक गए।

अरुण सहलोत ने संपादक रविन्‍द्र जैन को हटाया

राज एक्‍सप्रेस में मध्‍य प्रदेश सरकार के खिलाफ, सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ खबरें लिखने की कीमत संपादक रविन्‍द्र जैन को चुकानी पड़ गई है. सरकार की आंख की किरकिरी बन चुके रविन्‍द्र जैन पर दबाव बनवाने के लिए सरकार ने पहले राज एक्‍सप्रेस के मालिक और सीएमडी अरुण सहलोत के शापिंग मॉल को निशाना बनाया. इसके बाद दबाव में आए अरुण सहलोत ने संपादक रविन्‍द्र जैन को अखबार से एक झटके में अलग कर अपनी हताशा का परिचय भी दे दिया.

अरुण शहलोत का माल टूटा तो हृदयेश दीक्षित ने रवींद्र जैन पर निशाना साधा

राज एक्सप्रेस के मालिक हैं अरुण शहलोत. इनके यहां राज एक्सप्रेस में पहले हृदयेश दीक्षित संपादक हुआ करते थे. बेआबरु होकर इन्हें राज से बाहर जाना पड़ा. जाहिर है, बाहर करने का फैसला अरुण शहलोत ने ही लिया होगा. लेकिन आजकल के चालाक पत्रकार और बड़े पदों पर आसीन पत्रकार किसी भी मामले में मालिक को कभी दोषी नहीं मानते. वे हमेशा दोष किसी निर्दोष पत्रकार के मत्थे मढ़ देते हैं. हृदयेश दीक्षित गए तो रवींद्र जैन को पूरा पावर मिल गया और संपादक बना दिए गए.

सिटी एसपी के डर से परेशान हैं राज एक्‍सप्रेस के सिटी इंचार्ज और फोटोग्राफर

राज एक्‍सप्रेस, सागर के फोटोग्राफर दीपक विश्‍वकर्मा और सिटी इंचार्ज राहुल सिलकारी परेशान हैं. दोनों लोगों ने आरोप लगाया है कि सागर के सिटी एसपी उन दोनों लोगों को फर्जी आपराधिक मुकदमें फंसा सकते हैं. इन दोनों लगों ने सागर रेंज के आईजी, सागर के एसएसपी समेत गृहमंत्री, डीजीपी एवं कई अन्‍य लोगों को पत्र भेजकर सिटी एसपी अमृतलाल मीणा की शिकायत की है तथा कहा है कि अगर भविष्‍य में किसी प्रकार की घटना उनके साथ घटित होती है तो इसकी सारी जिम्‍मेदारी सिटी एसपी की होगी.

विपेश, मुकेश और नवाज ने राज एक्‍सप्रेस से नाता तोड़ा

राज एक्‍सप्रेस, भोपाल से पिछले एक सप्‍ताह में तीन सब एडिटरों ने इस्‍तीफा दे दिया है. इस्‍तीफा देने वालों में विपेश कुशवाहा, मुकेश जैन और नवाज शरीफ शामिल हैं. नवाज शरीफ ने तो अपनी पारी हिंदुस्‍तान मुजफ्फरपुर से शुरू भी कर दी है. यहां भी वे सब एडिटर की भूमिका में होंगे. नवाज नईदुनिया और ईटीवी से भी जुड़े रहे हैं.

राज एक्‍सप्रेस से नीरज, युवनेश्‍वर तथा कशिश न्‍यूज से मुकेश का इस्‍तीफा

राज एक्‍सप्रेस, भोपाल से नीरज शर्मा और युवनेश्‍वर शर्मा ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे मार्केटिंग टीम में थे. ये दोनों राज एक्‍सप्रेस के शुरुआत से ही जुड़े हुए थे. ये दोनों लोग अपनी नई पारी कहां से शुरू कर रहे हैं इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है. दोनों की ग्‍वालियर और जबलपुर संभाग में अच्‍छी पकड़ थी. बताया जा रहा है कि प्रबंधन से मनमुटाव होने के बाद दोनों ने इस्‍तीफा दे दिया.

खेल का झगड़ा पोल खोलने की जंग में तब्‍दील

: राज एक्‍सप्रेस और केएमजे के बीच अधूरे मैच का मामला : यह कैसा खेल है। जिसने खेल के मैदान में शुरू हुई जंग को खबरों की जंग में तब्दील कर दिया है। हो सकता है कि मालिकों को इसकी खबर हो या यह भी हो सकता है कि मालिक भी इससे बेखबर हों। पर हकीकत यह है कि जो भी इसे देख-पढ़ रहा है, लिखने वालों की अल्पबुद्धी पर तरस खा रहा। खबर पूरी पढऩे से पहले खबर का बैकग्राउंड जान लें।

रविश शर्मा बने राज एक्‍सप्रेस में सर्कुलेशन मैनेजर

: पंकज मचपुरिया ने नई दुनिया से इस्‍तीफा दिया : पत्रिका, इंदौर से रविश शर्मा ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे सर्कुलेशन मैनेजर थे. रविश ने अपनी नई पारी राज एक्‍सप्रेस, जबलपुर के साथ शुरू की है. यहां भी उन्‍हें सर्कुलेशन मैनेजर की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है. वे पिछले दो सालों से पत्रिका के साथ थे. रविश ने अपने करियर की शुरुआत ट्रेनी के रूप में दैनिक भास्‍कर, इंदौर के साथ की थी. कई वर्षों तक वे भास्‍कर से जुड़े रहे. पत्रिका ज्‍वाइन करने से पहले वे भास्‍कर में असिस्‍टेंट मैनेजर थे.

इंदौर से रवींद्र का नाम हटा, ग्वालियर में जुड़ा

: मालिक ने अपने साले को बनाया इंदौर का संपादक : विकास मिश्रा ने राज ज्वाइन किया : अजीब अखबार है राज एक्सप्रेस भी : बिल्डर और अखबार मालिक अरुण सहलोत के दिमाग का कोई ठिकाना नहीं. कब क्या कर दें, कुछ पता नहीं. आजकल वे प्रिंटलाइन-प्रिंटलाइन खेल रहे हैं. ताजी सूचना ये कि उन्होंने इंदौर एडिशन से रविंद्र जैन का नाम हटाकर अपने साले और कंपनी में निदेशक के रूप में कार्यरत संजय मेहता का नाम स्थानीय संपादक के रूप में दे दिया है.

राज एक्सप्रेस में रविंद्र जैन के पर कतरे!

राज एक्सप्रेस का इतिहास गवाह है कि यहां पर कोई भी स्थायी तो क्या लंबे समय तक टिकाऊ भी नहीं है। यही वजह है कि बदलाव की बयार की चपेट में इस बार रविंद्र जैन आए हैं। रविंद्र जैन अपने आपको समूह संपादक कहा करते थे(वैसे कभी भी उनका नाम मध्यप्रदेश से प्रकाशित होने वाले राज एक्सप्रेस के सभी संस्करणों में इस पदनाम के साथ नहीं गया और हमने भड़ास पर ही पढ़ा था कि उनका पद भी बढ़ गया है और सैलरी भी)।

नाराज अजय ने राज एक्‍सप्रेस छोड़ा

राज एक्‍सप्रेस, भोपाल से अजय द्विवेदी ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे जबलपुर रीजनल डेस्‍क के इंचार्ज थे. वे इसके पहले भोपाल, ग्‍वालियर और इंदौर डेस्‍क की जिम्‍मेदारी भी संभाल चुके हैं. माना जा रहा है कि उन्‍होंने अपना इस्‍तीफा वेतन विसंगतियों से नाराज होकर दिया है. वे कहां ज्‍वाइन करने वाले हैं इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है.

नरसिंहपुर में एक पत्रकार की पिटाई, दूसरे को धमकी

नरसिंहपुर के वह गिने चुने पत्रकार, जो सच में जनता की आवाज बनकर उभरे है या अपनी लेखनी के दम पर भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने का साहस रखते है, इस वक्त भारी संकट में हैं। 29 नवंबर 2010 की शाम राज एक्सप्रेस के ब्‍यूरो प्रमुख वासुदेव शर्मा के साथ उस वक्त मारपीट की गई, जब वह होटल से रात का खाना खाकर घर लौट रहे थे। वासुदेव शर्मा की उम्र 45 के पार है और वह निर्भीक पत्रकार के रूप में नरसिंहपुर में प्रसिद्ध है। वासुदेव शर्मा से एक बीस-बाइस साल के लड़के ने हाथापाई की, जबकि वह उसे जानते भी नहीं थे। वासुदेव शर्मा ने इस घटना की शिकायत गृहनगर छिंदवाड़ा आकर दर्ज कराई।

ग्रुप एडिटर हृदयेश को हटाने की तैयारी!

राज एक्सप्रेस में जारी उठापटक थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजी सूचना के अनुसार इस अखबार के ग्रुप एडिटर हृदयेश दीक्षित के पर कतरने की शुरुआत हो गई है. संभव है, आने वाले दिनों में उन्हें कार्यमुक्त कर दिया जाए. सूत्रों के मुताबिक राज एक्सप्रेस के मालिक अरुण शहलोत ने हृदयेश दीक्षित का प्रिंट लाइन में जा रहा नाम हटाने का आदेश दे दिया है. इंदौर स्थित राज एक्सप्रेस के मुख्यालय से प्रकाशित होने वाले अखबार से हृदयेश दीक्षित का नाम हटा दिया गया है. जानकारी के मुताबिक प्रबंधन ने यह कदम हृदयेश दीक्षित के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों के चलते उठाया है. सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में नेता विपक्ष जमुना देवी ने बीते दिनों एक पर्चा बंटवाया. पर्चे में राज एक्सप्रेस के ग्रुप एडिटर पर कई गंभीर आरोप लगाए गए. पर्चा पत्रकारों के बीच वितरित कराया गया.

नए संपादक ने तीन लोगों को नौकरी से निकाला

राज एक्सप्रेस, इंदौर से खबर है कि संपादक की कुर्सी संभालते ही रवींद्र जैन ने तीन पत्रकारों को संस्थान से बाहर कर दिया है. इनके नाम हैं आशुतोष वाजपेयी (न्यूज एडिटर), राजेंद्र खंडेलवाल (सीनियर रिपोर्टर) और केके शर्मा (सीनियर रिपोर्टर). सूत्रों के मुताबिक जिन लोगों के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं, रवींद्र जैन ने उनके खिलाफ एक्शन लेना शुरू किया है.

धड़ाधड़ संपादक बदलने वाले ‘राज एक्सप्रेस’ से दो गए

अपने संपादकों को ताश के पत्तों की तरह फेंटने के लिए कुख्यात मध्य प्रदेश के हिंदी अखबार राज एक्सप्रेस से खबर आ रही है कि इसके दो संपादक विभिन्न कारणों से संस्थान से कार्यमुक्त हो गए हैं. राज एक्सप्रेस, इंदौर के संपादक गीत दीक्षित और राज एक्सप्रेस, ग्वालियर के संपादक विजय शुक्ला अब इस समूह के हिस्से नहीं रहे. इनकी जगह नए संपादकों की तैनाती कर दी गई है. इंदौर भेजा गया है रवींद्र जैन को और ग्वालियर पहुंचे हैं राकेश अग्निहोत्री. रवींद्र जैन पहले भी राज एक्सप्रेस में संपादक रह चुके हैं और इन दिनों राज एक्सप्रेस, भोपाल में सेवाएं दे रहे थे. इसी तरह राकेश अग्निहोत्री भी राज एक्सप्रेस, भोपाल में कार्यरत थे.