आउटलुक पत्रिका के सहायक संपादक सैकत दत्ता को आरटीआई अधिकार का उपयोग करके ढाई सौ करोड़ रुपये के चावल घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए आरटीआई पुरस्कार 2010 मिला है. सैकत ने आरटीआई के माध्यम से जानकारियां इकट्ठी करके इस पूरे मामले की पोल खोली थी. इस पुरस्कार के लिए सैकत के अलावा चार अन्य लोगों को भी नामित किया गया था. जिन्होंने आरटीआई के इस्तेमाल से कई खुलासे किए थे.
सैकत का चयन एक जूरी ने किया जिसमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह तथा इंफोसिस के मुख्य संरक्षक एनआर नारायणमूर्ति भी शामिल थे. जूरी ने इस खुलासे को राष्ट्रहित में मानते हुए सैकत को आरटीआई पुरस्कार के लिए चयनित किया. जूरी का मानना था कि पत्रकार सैकत दत्ता चावल निर्यात घोटाले को उजागर करने में प्रभावशाली लोगों से बैर मोल लिया. ये लोग उसे नुकसान पहुंचाने में सक्षम थे. फिर भी उसने एक बड़ा जोखिम उठाया.
यह पुरस्कार प्रति वर्ष लोक कारक अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रदान किया जाता है. यह पुरस्कार मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अरविंद केजरीवाल द्वारा स्थापित किया गया है. जिसके तहत पुरस्कार पाने वाले को प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और दो लाख रुपये दिया जाता है.
सैकत ने आरटीआई के माध्यम से पता लगाया था कि किस तरह सरकार की आंख में धूल झोंककर निहित स्वार्थों के लिए कुछ लोगों ने चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. उनके इस खुलासे के बाद ढाई सौ करोड़ रुपये के घोटाले पर से पर्दा उठा था. जिसके बाद सरकार ने कई डील रद्द कर दिए. पिछले हफ्ते इस केस को जांच के लिए सीबीआई के पास भेजा गया है. सैकत इसके पूर्व 2007 में आईपीआई पुरस्कार भी जीत चुके हैं.
Comments on “आउटलुक के सैकत को आरटीआई पुरस्कार”
बधाई हो बधाई! आगे भी आप इसी जज्बे के साथ सच को सामने लाते रहें, हम सभी साथी आपके साथ हैं…
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झारखंडी जोहर
आप को बंधाई. लेखन की दुनिया में आप को ताकत मिले कामना है मेरी
आलोका.