झारखंड में कुख्यात लोग बनेंगे सूचना आयुक्त!

रांची : झारखंड में सूचना आयोग के गठन को लेकर एक विवाद उत्पन्न हो गया है। चयन समिति द्वारा दस अक्तूबर को गुपचुप तरीके से तीन लोगों के नाम तय करने की बात सामने आयी है। लेकिन इन नामों को अब तक रहस्यमय तरीके से गोपनीय रखा जा रहा है। पारदर्शिता के कानून के मामले में ऐसी गोपनीयता से सब हैरान हैं। मीडिया में जिन तीन नामों की चर्चा सामने आयी है, उन नामों से भी सबको हैरानी हो रही है।

आरटीआई इस पर लगनी चाहिए की न्यूज24 की टीआरपी बढ़ी तो कैसे बढ़ी!

: राजीव शुक्ला और दीपक चौरसिया में नोंकझोंक : नीचे एक वीडियो है. स्टार न्यूज पर प्रसारित एक प्रोग्राम की. दीपक चौरसिया इंटरव्यू कर रहे हैं राजीव शुक्ला का. राजीव शुक्ला जो बीसीसीआई के उपाध्यक्ष हैं और केंद्रीय मंत्री भी हैं. बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में लाए जाने के मुद्दे पर राजीव-दीपक के बीच बातचीत चल रही थी. लेकिन जब राजीव शुक्ला बातचीत को बुद्धि-विवेक और टीआरपी तक ले गए तो दीपक ने भी करारा जवाब देते हुए सरकार के बुद्धि विवेक और न्यूज24 की टीआरपी पर सवाल खड़ा कर दिया.

पारदर्शिता क्रांति में नेता, अफसर, व्यवसायी बाधक

: पर अब रोके न रुकेगा यह महाभियान : भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम से कांग्रेस के अंदर भी खदबदाहट मची है. कोई कांग्रेसी चाहकर भी रामदेव और अन्ना के आंदोलन को सपोर्ट नहीं कर पा रहा क्योंकि देश में भ्रष्टाचार की जमनोत्री-गंगोत्री कांग्रेस को ही माना जाता है, और, बाबा व अन्ना का आंदोलन कांग्रेस के राज करने के तौर-तरीके के खिलाफ है जिसके कारण लाखों करोड़ रुपये विदेश में ब्लैकमनी के रूप में जमा है.

अमेरिका में ज्यादातर लोग अगंभीर सूचनाएं मांगते हैं!

नूतन ठाकुरआज मुझे अमेरिका आये सात दिन हो गए हैं. यहाँ परिवार से दूर हूँ, इस लिहाज से बहुत मन तो नहीं लग रहा है पर यह भी है कि जिस प्रकार का मौका मिला है, उसका पूरा और वाजिब उपयोग जरूर करना चाहती हूँ. अभी तक हमारा समूह कई प्रकार के लोगों और संगठनों से मिल चुका है और इसके जरिये हम लोगों ने कई तरह की नयी बातें सीखी और जानी हैं. हम अमेरिका के बारे में जान रहे हैं और अमेरिका के वे सम्बंधित लोग हम लोगों को जान-समझ रहे हैं.

उस अखबार के संपादक से पूछो, जिसमें खबर छपी थी

अंबाला सिटी में सहायक जन सूचना अधिकारी की भूमिका निभा रहे डीएसपी राजकुमार ने इस दबंगई से एक सूचना का जवाब दिया है कि कोई भी उसे पचा न पाए। सूचना मांगने वाला भी इस जवाब से हैरान रह गया। आरटीआई के तहत सूचना मांगने वाले ने अब पूरे मामले को राज्य सूचना आयुक्त को अवगत करवाने का निर्णय लिया है। उधर कानून के जानकारों ने भी अधिकारी के जवाब पर असहमति जताई है।

आरटीआई कार्यकर्ता पर जानलेवा हमले के खिलाफ लखनऊ में धरना

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे आरटीआई कार्यकर्ता अमरनाथ पांडेय पर प्राणघातक हमला कल शाम किया गया. इस हमले के सिलसिले में एक खंड विकास अधिकारी सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. उधर लखनऊ में आज शहीद पार्क स्थित धरना स्थल पर नूतन ठाकुर समेत कई आरटीआई एक्टिविस्ट इस हमले के खिलाफ धरना दे रहे हैं.

नौकरशाहों का काम ही है सूचना देने में हीलाहवाली करना

काशीजब आरटीआई एक्ट बनाया जा रहा था तो इसमें किसी भी प्रकार का शुल्क न रखने का प्रावधान किया जा रहा था। मगर बाद में एक टोकन मनी के रूप में 10 रूपये का शुल्क सिर्फ इसलिए रखा गया ताकि उसकी रसीद से ये पता चल जाए कि आवेदनकर्ता ने कब आवेदन दाखिल किया है। आरटीआई का शुल्क बढ़ाने की वकालत वो लोग करते हैं जो इस कानून के दुश्मन है। या फिर वो नहीं चाहते कि आम आदमी के हाथों में इतना बड़ा हथियार हो।

आरटीआई को लेकर जागरूक नहीं हैं महिलाएं

काशी: काशी विद्यापीठ में ‘सूचना का अधिकार 2005 के सामाजिक प्रभाव’ विषय पर गोष्‍ठी : सूचना अधिकार कानून को लागू हुये 5 साल का वक्त गुजर चुका है। इसके बावजूद भारत में इस महत्वपूर्ण एवं क्रान्तिकारी कानून के बारे में जागरूकता बेहद कम है। एक सर्वे के मुताबिक आज भी ग्रामीण जनसंख्या के 13 प्रतिशत लोग इस ही इस कानून के बारे में जानते है। शहरों में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। शहरी आबादी के 33 प्रतिशत लोग ही सूचना के अधिकार के बारे में जानकारी रखते हैं।

सूचना मांगने वाले खुद भी पारदर्शी बनें

सूचना अधिकार कार्यकर्ता मनीष सिसोदिया ने ‘अपना पन्ना’ (सूचना अधिकार की मासिक पत्रिका) के माध्यम से सूचना अधिकार की लोकप्रियता और इसके मार्ग में बाधा को लेकर एक सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण से यह बात सामने आई कि देश भर में सूचना के अधिकार की शक्ति से जन-जन को परिचित कराने में मीडिया ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सर्वेक्षण में 54 फीसदी लोगों ने माना कि उन्हें सूचना अधिकार कानून की जानकारी प्रिंट मीडिया से हुई। अर्थात अखबार और पत्रिकाओं ने उन्‍हें इस कानून से परिचित कराया। 09 फीसदी लोगों को इस कानून के संबंध में पहली जानकारी टीवी से प्राप्त हुई। 09 फीसदी लोग ऐसे भी थे, जिन्‍हें रेडियो ने बताया कि सूचना का अधिकार है क्या? 13 फीसदी लोगों को इसकी जानकारी किसी स्वयं सेवी संस्थान और 13 फीसदी लोगों को यह जानकारी मित्रों और सगे संबंधियों से मिली।

भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं तो इस text को अपने नाम से usrti-dopt@nic.in पर मेल कर दें

: OBJECTIONS TO PROPOSED RTI RULES : To, Government of India, Ministry of Personnel, Public Grievances & Pensions, Department of Personnel Training, North Block, New Delhi-110001 : Subject : Objections on the proposed amendment in the Right to Information Rules-2010 notified by Ministry of Personnel, Public Grievances & Pensions, DoPT (File No : 1/35/2008-IR dated 10-12-2010)

आउटलुक के सैकत को आरटीआई पुरस्‍कार

सैकतआउटलुक पत्रिका के सहायक संपादक सैकत दत्‍ता को आरटीआई अधिकार का उपयोग करके ढाई सौ करोड़ रुपये के चावल घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए आरटीआई पुरस्‍कार 2010 मिला है. सैकत ने आरटीआई के माध्‍यम से जानकारियां इकट्ठी करके इस पूरे मामले की पोल खोली थी. इस पुरस्‍कार के लिए सैकत के अलावा चार अन्‍य लोगों को भी नामित किया गया था. जिन्‍होंने आरटीआई के इस्‍तेमाल से कई खुलासे किए थे.

आरटीआई कार्यकर्ताओं का पंजाब राज्‍य सूचना आयोग के खिलाफ प्रदर्शन

पंजाब राज्य सूचना आयुक्त के सेक्टर-17 मुख्यालय के बाहर आरटीआई एक्टिविस्ट फेडरेशन, पंजाब ने धरना दिया और जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व राज्य अध्यक्ष एचसी अरोड़ा और सचिव अनिल वशिष्‍ठ ने किया। पंजाब भर से फेडरेशन के ज्यादातर पदाधिकारी और सदस्यों ने हिस्सा लिया। सैकड़ों लोगों ने हाथों में सूचना अधिकार को सही ढंग से लागू करने और पंजाब राज्य सूचना आयोग को अपने कामकाज में सुधार करने बाबत बैनर और तख्तियां उठा रखी थीं। कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर आक्रोश था कि आयोग में आरटीआई कार्यकर्ताओं के साथ ठीक व्यवहार नहीं किया जाता।

इस साजिश के खिलाफ मौका न गंवाएं!

यदि आप हिंदुस्तान को भ्रष्टाचार मुक्त व आम आदमी की आवाज़ को और बुलंद होते हुए देखना चाहते है तो आरटीआई एक्ट 2005 के तहत सूचना मांगने के अधिकार को सिर्फ 250 शब्दों व एक विषय तक सीमित करने के निर्णय के विरोध में 27 दिसम्बर तक अपने ऐतराज़ जरूर दर्ज करवाएं. क्योंकि यदि आपने यह मौका गवां दिया तो समझिए कि आप अपने देश व समाज के हितों के प्रति जागरूक नहीं हैं.

प्रभात डबराल का साधना से इस्तीफा

[caption id="attachment_18304" align="alignleft" width="77"]प्रभात डबरालप्रभात डबराल[/caption]: उत्तराखंड के इनफारमेशन कमिश्नर बने : साधना ग्रुप से बड़ी खबर है. प्रभात डबराल ने इस्तीफा दे दिया है. साधना न्यूज नाम से कई चैनल लांच कराने वाले और इन चैनलों को स्थापित करने वाले प्रभात डबराल नई पारी उत्तराखंड राज्य के सूचना आयुक्त के रूप में शुरू करने जा रहे हैं.

पारदर्शी उम्‍मीदों के पांच साल

विष्‍णु : आरटीआई कानून ने अधिकारियों को बनाया जवाबदेह : गरीबी रेखा से नीचे श्रेणी की पुष्पा कुमारी की कहानी सुनिये। रांची विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र की छात्रा है। उसे पता चला कि स्नातकोत्तर के हर विभाग में बीपीएल के दो विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। अलग से 500 रुपये मासिक छात्रवृति भी मिलनी है। इसका लाभ न तो पुष्पा को मिल रहा था, न अन्य को। पुष्पा ने अपने भाई मुकेश की मदद से सूचना का आवेदन डाला। नतीजा यह हुआ कि पुष्पा को छात्रवृति की राशि मिलने लगी। स्नातकोत्तर के 23 विभागों से मिली सूचना के मुताबिक किसी भी विभाग ने गरीब छात्र-छात्राओं को उनका जायज हक नहीं दिया।

लाल बत्ती का मोह छोड़ें सूचना आयुक्त

सूचना कानून ने भारतीय नागरिकों को बड़ी ताकत दी है। लेकिन कुछ सूचना आयुक्तों का नौकरशाही रवैया मुश्किलें पैदा कर रहा है। इन्हें लाल बत्ती लगाने और बाडीगार्ड लेकर चलने की हैसियत मिली है। इसके कारण ये खुद को नागरिकों से उपर समझते हैं। इनके तेवर भी उन्हीं नौकरशाहों जैसे हो जाते हैं जिनके खिलाफ यह कानून है। देश के सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं ने सूचना आयुक्तों से अपने वाहनों पर लाल बत्ती उपयोग बंद करने व अंगरक्षक का दिखावा न करने की अपील की है। इस बारे में सूचना आयुक्तों को पत्र भेजा गया है, जो इस प्रकार है-

नेशनल आरटीआई फोरम के साथ चलें, साथ दें

उद्देश्य : सूचना अधिकार क्षेत्र में कार्य कर रही संस्था है नेशनल आरटीआई फोरम. इसका मुख्य उद्देश्य सूचना का अधिकार के क्षेत्र में कार्य कर रहे समस्त साथियों के लिए साझा  मंच का निर्माण करना है. इस मंच के जरिए वे सभी इस क्षेत्र में हो रही सारी प्रगतियों, समस्यायों, बुनियादी सवालों और मानदंडों के विषय में विस्तार-पूर्वक बहस व विचार-विमर्श कर सकें.

दो आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमला

रांची। रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड अंतर्गत रकुआ पंचायत में बुधवार को आरटीआई कार्यकर्ताओं शक्ति पांडेय और उषा देवी पर अज्ञात अपराधियों ने हमला कर दिया। यह हमला उस हुआ जब दोनों रकुआ में सूचनाधिकार कार्यशाला संपन्न कराकर वापस लौट रहे थे। श्री पांडेय ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि गांव में उन लोगों ने ग्रामीणों को जनवितरण प्रणाली और उसके सफल अनुप्रयोग के संबंध में सूचनाधिकार का महत्व बताने के लिए एक कार्यशाला आयोजित की थी।

आरटीआई कानून से गृह मंत्रालय भी दहशत में!

सरकारी विभाग सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी देने में आनाकानी करते हैं। जानकारी देते भी हैं, तो शर्तों के साथ। गृहमंत्रालय ने पद्म सम्मान के बारे में आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराते हुए आवेदक को संबंधित जानकारी मीडिया को न देने के लिए भी चेताया है। सुभाष अग्रवाल ने गृहमंत्रालय से जानकारी मांगी थी कि पदम सम्मान के लिए किन नामों को हरी झंडी दी गई, किनको इस सम्मान के उपयुक्त नहीं माना गया।

जेल गए संपादक को मिला आरटीआई एवार्ड

यूपी के बस्ती जिले के हिन्दी साप्ताहिक अखबार सुदृष्टि टाइम्स के संपादक सुदृष्टि नारायन त्रिपाठी को रिसर्च काज फाउण्डेशन आफ इण्डिया, नई दिल्ली की ओर से आरटीआई एक्टिविस्ट के रूप में सम्मानित किया गया। उन्हें अरविन्द केजरीवाल के हस्ताक्षर युक्त प्रमाण-पत्र भी प्राप्त हुआ। इसमें श्री त्रिपाठी को द राइट आफ इनफार्मेशन (आरटीआई) एक्ट के जरिए समाज की सेवा में योगदान के लिए सराहना की गई है।

आरटीआई अवार्ड के लिए डाली गई आरटीआई

सूचना का अधिकार कानून के प्रभावी प्रयोग करने वाले कार्यकर्ताओं और इस कानून के आधार पर कारगर निर्णय देने वाले अधिकारियों को सम्मानित करने के उद्देश्य से शुरू किया गए आरटीआई अवार्ड पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया है। यही नहीं, कुछ सूचना आयुक्तों ने भी इस अवार्ड पर प्रश्नचिह्न लगाए हैं।

पत्रकार की आरटीआई से पता चला- माया व कर्ण भी डिफाल्टर

पीयूष जैन के चलते सरकार को करोड़ों का फायदा : नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) क्षेत्र की गिनती देश के सबसे पॉश माने जाने वाले इलाकों में की जाती है। वहां पर रहने वाले और कामकाज चलाने वाले लोगों को सारा देश वीवीआईपी मानता है। वह लोग जितने वीवीआईपी हैं, वह सारे उतने बड़े डिफाल्टर भी हैं। उन लोगों पर एनडीएमसी का अरबों रुपया बकाया है। आज समाज के संवाददाता पीयूष जैन ने उन सभी बड़े लोगों को बेनकाब करने के लिए सूचना के अधिकार-2005 का सहारा लिया। श्री जैन ने उनसे प्रॉपर्टी टैक्स के डिफाल्टरों के बारे में जानकारी मांगी। लेकिन एनडीएमसी ने यह जानकारी तीसरे पक्ष की जानकारी कहकर देने से इनकार कर दिया।

पत्रकार श्यामलाल यादव को मिला आरटीआई अवार्ड

[caption id="attachment_16399" align="alignleft"]श्यामलाल यादवश्यामलाल यादव[/caption]‘इंडिया टुडे’ के स्पेशल करेस्पांडेंट श्यामलाल यादव को सूचना का अधिकार कानून का इस्तेमाल कर बेहतरीन रिपोर्टिंग करने के लिए सम्मानित किया जाएगा। उन्हें उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में पुरस्कृत करेंगे। यादव को एक लाख रुपया नगद और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। आयोजकों के अनुसार आरटीआई का इस्तेमाल जनता के हित में करने के लिए उन्हें 19 अन्य लोगों के साथ सिटिजन कैटेगरी में अवार्ड दिया जाएगा।

संपादक की जमानत, जेल से रिहा हुए

बस्ती जनपद के पत्रकार एवं हिंदी साप्ताहिक ‘सुदृष्टि टाइम्स’ के संपादक को अपर जिला जज के न्यायालय से जमानत मिल गई। जेल से रिहा होने के बाद संपादक सुदृष्टि नारायण तिवारी ने सबसे पहले भड़ास4मीडिया डॉट कॉम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संकट के समय बी4एम ने जिस बेबाकी से मेरे प्रकरण को उठाया, इसके लिए मैं उसका जीवन भर आभारी रहूंगा।

मांगी सूचना, मिली संपादक को जेल

उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के एक पत्रकार को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगना काफी मंहगा पड़ गया। बदले में उसे जेल के सीखचों में जाना पड़ा। ऐसा हुआ कि हिंदी साप्ताहिक ‘सुदृष्टि टाइम्स’ के संपादक सुदृष्टि नारायण त्रिपाठी ने सीएमओ बस्ती से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत कुछ बिंदुओं पर सूचनाएं मांगी जो मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर रामनाथ राम को नागवार लगा। आनन-फानन में सीएमओ साहब ने मातहतों की मीटिंग बुलाई और निर्णय लिखित रूप से ले लिया गया कि सुदष्टि नारायण त्रिपाठी नाम के व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज कराया जाए। इसके लिए बकाएदा शहर कोतवाल बस्ती को तहरीर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नाम से दी गई। कोतवाली पुलिस ने मामले में बिना किसी हीला हवाली किए तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर ली और इस मामले में तत्परतापूर्वक कार्रवाई की।

आरटीआई एवार्ड के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित

प्रेस विज्ञप्ति : National RTI Awards 2009 : Public Cause Research Foundation invites nominations for the first ever National RTI Awards 2009. Instituted this year, these awards will be given away sometime in October every year to those who have displayed exemplary commitment to RTI. Despite the power of Right to Information (RTI) to transform Indian democracy, the Act faces stiff opposition from many sections of the government, particularly the bureaucracy. For example many Officers are not performing satisfactorily. Some Information Commissioners, who are the final adjudicating authority under the Act, are perceived to be sympathetic to bureaucrats. But there are many among the bureaucrats who are committed to transparency and honesty.