मुख्यमंत्री मायावती का कर्फ्यू के माहौल में दौरा सफल ही रहना था, क्योंकि मीडियाकर्मी, पीडि़त, शोषित व दलित आसपास भी नहीं फटकने दिये गये। बदायूं के गांव घड़ा कंचनपुर में मायावती का उडऩ खटोला पहुंचा, लेकिन पूरा गांव पहले से ही नजर बंद घोषित किया जा चुका था, जिससे मायावती से यहां भी कोई नहीं मिल पाया। इसके बाद वह सीधे पुलिस लाइन पहुंची और यहां से एनएसजी व स्थानीय पुलिस की सुरक्षा के बीच जिला अस्पताल पहुंची पर अस्पताल में आज मरीजों का प्रवेश बंद था और तमाम तरह की बीमारियों से पीडि़त मरीज अस्पताल के बाहर इधर-उधर पुलिस की सुरक्षा में छिपा कर बैठा दिये गये, ताकि उन पर किसी की नजर न पड़े।
कई मरीज तो दर्द से बुरी तरह कराह भी रहे थे, पर किसी का दिल नहीं पसीजा। इतना ही नहीं अस्पताल के अंदर रैन बसेरा तक में ताला डाल दिया गया और वह मायावती के हेलीकाप्टर के आने के बाद खोला गया, ताकि उसमें कोई बैठ न जाये। शहर के हालातों पर एक नजर डाली जाये तो चारों ओर दूर-दूर तक बैरिकेटिंग थी और पूरे जिले की पुलिस सभी मार्गों पर तैनात की गयी थी, जो वाहनों को नहीं बल्कि पैदल यात्रियों तक को नहीं जाने दे रहे थे। सभी सरकारी कार्यालयों को पहले से ही चमका दिया गया था, जिसे देखकर कोई खुश हो ही सकता था, पर परेशान लोगों के चेहरे साफ बयां कर रहे थे कि उन्हें भी एक पेंट की जरूरत है, पर सबसे बड़ा सवाल फिर वही है कि अधिकारियों की मायावती को खुश करने की जिम्मेदारी है न कि पीडि़त व आम लोगों को करने की। इसलिए उन्हें जिस भटटी में भुनना था, उसी में भुनते रहना है।
Comments on “इन पीडि़तों के चेहरे किस पेंट से चमकाओगे”
maya ki maya aprampaar hai use koi nahi samajh sakta hai per itna to saaf hai ki maya jo daliton ko uthane ki baat kartin hai wo ek dum galat hai are maya to daliton k vote per raajniti kar k daliton ko hi road per marne k liye majboor kar detin hain.iski ek vaangi bhar hai bulandshaher ki ghatna…..
bhai ………sab us buddhe ka kamal hai jo picche file lekar daudta hai.