होनहार और तेजतर्रार पत्रकार साथी जयंत चड्ढा दिल्ली में जीवन और मौत से संघर्ष कर रहे हैं. जयंत चड्ढा के बारे में बताया जा रहा है कि वे होश में नहीं आ पा रहे हैं. पिछले महीने की बारह तारीख से वे अस्पताल के बिस्तर पर पड़े हुए हैं. पहले कैलाश हास्पिटल, नोएडा में थे. हालत न सुधरते देख उन्हें एम्स के ट्रामा सेंटर में रखा गया है जहां डाक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं.
कुछ लोगों का कहना है कि उनके दिमाग में काफी गहरी चोट है जिसके कारण तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें होश में ला पाने की स्थिति नहीं बन पा रही है. कुछ का यह भी कहना है कि उनकी हालत ब्रेन डेड जैसी है, पर शरीर में धड़कन है, हलचल है. एक सड़क हादसे में जयंत चड्ढा समेत चार लोग घायल हुए थे जिसमें से बाकी तीन की अस्पताल से छुट्टी हो चुकी है. घायल होने वालों में पी7न्यूज की क्राइम टीम के हेड मुकुंद शाही भी थे जो अब आफिस आने-जाने लगे हैं, हालांकि उनके घाव अभी भरे नहीं हैं. एक कैमरापर्सन और ड्राइवर भी घायल हुआ. सभी लोग एक शूट से लौट रहे थे. जयंत व पूरी टीम जिस गाड़ी पर सवार थी, वह पी7न्यूज चैनल की ही गाड़ी थी.
पी7न्यूज प्रबंधन ने घायल मीडियाकर्मियों के बेहतर इलाज के लिए प्रयास किया. पर अब खबर है कि जयंत चड्ढा को चैनल ने उनके हाल पर छोड़ दिया है. बताते हैं कि एक्सीडेंट में सबसे ज्यादा चोट जयंत चड्ढा और गाड़ी के ड्राइवर को पहुंची थी. बताया जा रहा है कि एम्स के ट्रामा सेंटर के डाक्टरों ने कह दिया है कि यह व्यक्ति अब पूरी तरह कभी ठीक नहीं हो सकेगा. भड़ास4मीडिया के पास जयंत की हालत के बारे में मेल के जरिए आई एक सूचना में कहा गया है-
”मीडियाकर्मी अक्सर दूसरों की लड़ाई लड़ते हैं, अपने फर्ज़ को सबसे ऊपर रखते हैं, लेकिन अपनी निजी जीवन की लड़ाई हार जाते है. क्राइम रिपोर्टर जयन्त चड्ढा ने कई मौकों पर चैनल के लिए वो सब किया है जो एक रिपोर्टर को करना चाहिए. लेकिन एक्सीडेंट के काफी दिनों बाद कंपनी ने उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर में एडमिट कराया. अब जबकि डॉक्टरों ने ये कह दिया है कि ये व्यक्ति कभी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाएगा तो इसके लिए आईसीयू का एक बेड रिजर्व रखने का कोई कारण नहीं बनता. इस तरह जयंत को ट्रॉमा सेंटर के बाहर रख दिया गया. बेचारे बूढे मां-बाप अपने बच्चे को लिए चैनल से फरियाद की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन चैनल के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही.”
पढ़ लिया न आपने. क्या हालत है अपने पत्रकारों की और मीडिया हाउसों की. जयंत चड्ढा बेहद टैलेंटेड जर्नलिस्ट हैं. वे करीब दस वर्षों से मुख्य धारा की पत्रकारिता में सक्रिय हैं. उन्होंने करियर की शुरुआत अमृत प्रभात, इलाहाबाद से की. जयंत ने कुछ समय तक स्वतंत्र चेतना, इलाहाबाद में भी अपनी सेवाएं दी. इसके बाद चैनल7, दिल्ली जो अब आईबीएन7 हो चुका है, के साथ दो साल तक जुड़े रहे. जयंत एमएच1 न्यूज चैनल की लांचिंग टीम के सदस्य रहे. एमएच1 न्यूज के साथ वह पिछले तीन वर्षों से थे. मूल रूप से इलाहाबाद निवासी जयंत की शिक्षा दीक्षा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हुई है. अपनी एक ब्लाग रचना में जयंत ने लिखा है कि वे पहले आईसक्रीम बेचने वाला बनना चाहते थे, बाद में फौजी बनने की इच्छा हुई, लेकिन इलाहाबाद के एक गुरु ने ऐसी ट्रेनिंग दी कि उनके हाथ में जब कलम आई तो वे इसे ही बंदूक मानकर इस्तेमाल करने लगे. अपने ब्लाग पोस्ट में जयंत आगे लिखते हैं कि उनकी इच्छा है कि जब वे मरें तो करोड़ों लोग जानें, भले ही लोग यह कहते हुए रिएक्ट करें कि चलो अच्छा हुआ साला मर तो गया.
जयंत जीवन-मौत से जूझ रहे हैं. उनकी हालत बेहद नाजुक है. डाक्टरों ने भले ही हाथ खड़े कर दिए हों (जैसी की सूचना है) पर कहा जाता है कि दवा से ज्यादा असर दुआ में होता है. आप भी दुवा करिए कि अपना जयंत ठीक हो जाए. अगर आपको जयंत के बेहतर इलाज या उन्हें होश में लाने की कोई तरकीब पता हो, तो जरूर जयंत के शुभचिंतकों और परिजनों को सूचित करिए. जयंत की प्रतिभा को जानने के लिए उनकी लिखी रचनाएं पढ़ सकते हैं. ये रचनाएं जयंत के ब्लाग से साभार ली गई हैं और भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हो चुकी हैं. जयंत खुद के बारे में अपने ब्लाग पर अपनी प्रोफाइल में यूं लिखते हैं-
”मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं. मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है! मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं……. कभी कभी बहुत चालाक और कभी बहुत भोला भी… कभी बहुत क्रूर और कभी बहुत भावुक भी…. मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं… बहुत टूटे भी हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं… पर मैं भी एक आम आदमी की तरह् अपनी ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नही हूं… मुझे लगता है कि मैं नास्तिक भी हूं थोड़ा सा… थोड़ा सा विद्रोही…परम्परायें तोड़ना चाहता हूं… और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं… मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी…लेकिन बोल कर नहीं…बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं बहुत अकेला हूं… मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी…लोग कहते हैं लड़कों को नहीं रोना चाहिये…पर मैं रोता भी हूं…और मुझे इस पर गर्व है क्योंकि मैं कुछ ज्यादा महसूस करता हूं…”
जयंत चड्ढा ने अपने ब्लाग पर कम ही पोस्टें लिखी हैं, लेकिन उतनी पोस्टों के जरिए पता चल जाता है कि जयंत के अंदर जबरदस्त आग है. शब्द, भाषा, शैली… सबको जयंत साधने में सक्षम. जयंत के अंदर की छटपटाहट उनके किस्सा-ऐ-न्यूजरूम सिरीज को पढ़कर जाना जा सकता है. इस सिरीज की सभी पोस्टें आंख खोलने वाली तो हैं ही, जयंत के अंदर के औघड़ और अदभुत पत्रकार को भी सामने लाने वाली हैं. कोई भी अगर जयंत के इन पोस्टों को पढ़ लेगा तो वह जयंत का फैन हुए बिना नहीं रह सकता. ऐसा प्रतिभाशाली पत्रकार आज जीवन-मौत से जूझ रहा है. और, दूसरों की खबर लेने-देने वाले पत्रकारों को खुद ही अपने एक होनहार पत्रकार साथी की सुध नहीं.
जयंत चड्ढा के ब्लाग की रचनाओं को भड़ास4मीडिया पर समय-समय पर प्रकाशित किया जाता रहा है, उन सभी के लिंक यहां दिए जा रहे हैं. आप नायाब जर्नलिस्ट जयंत के ठीक हो जाने और उनके फिर से लिखने-पढ़ने लायक बन जाने के लिए उपर वाले से दुवा तो करिए ही, इन पोस्टों को भी पढ़ लीजिए ताकि जयंत को आप अच्छे से महसूस कर उनके लिए सच्चे मन से दुवा मांग सकें. जयंत के ब्लाग पर उनकी आखिरी पोस्ट ”सुख कहां है…?” शीर्षक से प्रकाशित है. इसे पढ़ते हुए आपको लगेगा कि जयंत कितने आध्यात्मिक और चिंतनशील व्यक्ति हैं. डूबकर, और पूरी ईमानदारी से लिखते हैं. जयंत के लिखे कुछ लेखों का लिंक यहां दिया जा रहा है….
Comments on “इस अदभुत जर्नलिस्ट को सलाम कहिए, दुवा करिए”
दुआ है कि जल्द स्वस्थ हों..
Iwill pray the GOD to save his life.
Yashwant ji,i’m always ready for whatever support requires for his better treatment in my best capacity.pl update me.
Bijay singh,jamshedpur
ph-09334421085
यशवंत जी,
इंसानियत और भावुकता का हम लोगों के लिए कितना अधिक मोल है और हम लोग इस दिशा में कितना कम कर पाते हैं, यह मैंने इस लेख को पढ़ने के बाद जाना.
सचमुच मन करता है कि जयंत भाई की कोई ऐसी मदद कर दूँ कि इनका सब कष्ट समाप्त हो जाए. इसके विपरीत यह जानता हूँ कि ना तो कुछ कर पाऊंगा और ना ही कुछ करने की दिशा में सक्रीय होऊंगा.
अपने ही इतने सारे झंझंट और दुनियावी मुश्किलात पाल रखे हैं कि उन्ही से निकालना असंभव हो जाता है. जानता हूँ कि वे सब बेमानी है पर इससे क्या होता है. मेरे लिए तो वे बेवकूफियां ही इतनी बड़ी हैं कि जयंत जी की कौन सी मदद कर पाऊं.
हममे से शायद सभी लोग इसी उहापोह और अपने-अपने भाग दौड़ में फंसे रहते हैं कि हममे से हर कोई अपनी परेशानियों में उसी तरह अकेला हो जाता है जैसे आज जयंत अपनी तनहा लड़ाई में हैं.
मीडिया के बारे में जयंत जी की ये बात सच लगती है- “लेकिन कहते हुए शर्म नहीं आती कि अहसान फरामोशी इस धंधे की फितरत है। ये वो दुनिया है जो चमकदार तो है लेकिन बदबूदार है। इस धंधे में बलात्कार की खबरें बास को खुशखबरी की तरह सुनाई जाती है। सन्नाटे को सनसनी साबित करने की पुरजोर कोशिश की जाती है। डर, आस्था, प्रेम, इज्जत हर चीज को यहां भरपूर खेला और बेचा जाता है।”
कई बार ऐसा लगता है कि कोई ऐसी व्यवस्था हो पाती कि ऐसे लोगों की मदद के लिए हमेशा समय और पैसे कम नहीं पड़ते. पर इसके सबसे पहली जरूरत शुद्ध अंतःकरण से इसकी चाहत की है.
ईश्वर करे जयंत जी जल्दी ठीक होवें और मेरी यह इच्छा भी सच्चे अर्थों में पूर्ण हो.
अमिताभ,
मेरठ
94155-34526
Jayat g Get Well Soon
Mai …. Iss sansaar ko chale wali uss divya shakti ke malik se yeh prathna karta hu ki…. hamare dost jayant ko jaldi se theek karde …. mai yeah umeed karta hu ki jayant jald he hamare sath phir se koi nayi crime story pur sath hoga…..
जयंत से मेरी मुलाकात चैनल7 (अब आईबीएन7 ) के दौरान हुई थी…मुझे याद है कि जनवरी 2006 के ठीक पहले यानि 25 और 26 की रात में नक्सलियों ने बिहार के गया के पास रेलवे का एक पुल उड़ा दिया था…तब नाइट शिफ्ट में असाइनमेंट डेस्क पर मैं भी इन्टर्न के रुप में था..और क्राइम टीम की रिपोर्टिंग में इंटर्न के तौर पर जयंत था….उसने कहा मित्र चलो एक बार रेलवे स्टेशन पर जायजा लेकर आते हैं…और एक ख़बर फाइल करते हैं…घटना के बाबत….और उस रात उसने इंडिया गेट, नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन घूम-घूम कर ख़बर बनायी…बल्कि पुरानी दिल्ली के पास तो हम लोगों ने चाय भी पी…इलाहाबाद के लोगों की माफिक बोलने बतियाने का ढंग उसका अपनी तरफ खींचता था…मस्त लड़का है…पर ईश्वर को जाने क्या मंजूर है…दोस्त अभी तुम्हारी बकैती बंद नहीं होनी चाहिए….प्रार्थना है कि जल्दी स्वस्थ्य हो जाओ…..
kehte hai jab koi rasta na najar aaye, to us bhagwan ka daaman tham lo,sab kuch us upar wale per chod do, jo is duniya ko chalata hai ,jiski marji k bina yaha ek patta tak nahi hilta.mai bhagwan se prathna karti hu k jayant g jald se jald thik ho jaye taki un bujurg mata pita ki aankho se girte aansun tham sake.mujhe vishvas hai k jayant g jald thik ho jayenge.i pray to god.
yaar,,,tum jaldi ok hokar field per aa jao,,,get wel soon dost
jeevan chalne ka naam,
chalte raho shubha sham,
ye rasta kat jayg mitra
wo badal chat jayega mitra
kabhi tu rukna mitra,
kabhi tu jhukna na mitra.
आपके बारे में बेबाक टिप्पणी पड़ी..ऐसा ही होता हैं मीडिया की चकाचौंध भरी अंधी दौड़ में..ईश्वर से दुआ करता हूँ कि आप जल्द ही ठीक हो जाए..मेरी प्रार्थना जरुर स्वीकार होगी..आल द बेस्ट..
jab ma MH1 NEWS me thi tab Jayant sir se kuch jyada interaction nhi ho pata tha kyunki wo mostly morning shift me hote the or main evening shift me…..lekin jab wo kuch mahino bad evening shift me prime time ki programming karne aye to mane unse voice over karne ke liye kaha…it was my first interaction with him….aur ek senior hone ke nate mujhe ‘BABU’ kaha kar bulaya….. i was shocked ke media me bhi ase log hote ha jo tameez se or pyar se bat karte ha……and he is very talented person and a nice human being…..and i realy respect him….ma apne bhagwan se yhi dua karti hu ki ache logo ki umar ko bhadaye…kyunki ase logo ki is duniya me bhut jarurat hoti ha….god bless u jayant ji..ap jaldi se thik ho jaye…….
Harpreet Kaur
Associate Producer
CVB NEWS
sir mai vaise to aapko janta nhi hoo pr patrakarita ke line se mai bhi juda hoo aue mumbai me ek ptrakar hoo kair aap jaldi theek ho jaay mai bhagvaan se yhi duvaa karta hoo
ishwar unhe jaldi swasthy kare
ईश्वर करे जयंत जी जल्दी ठीक हो.
Rajev Pal
09412488657